लोकसभा के दूसरे फेज के चुनाव में बीजेपी या कांग्रेस किसका पलड़ा है भारी? पिछले चुनाव के आंकड़ों से समझिए 

अभिषेक गुप्ता

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Second Phase Election: लोकसभा चुनाव के दूसरे फेज के लिए 26 अप्रैल यानी कल मतदान होना है. इस चरण में 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 लोकसभा सीटें शामिल है. इंडिया टुडे ने इस चरण की 88 सीटों का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट प्रकाशित किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा का दूसरा चरण पार्टियों के गढ़ों का चरण है. इस चरण में शामिल 34 सीटों पर पिछले तीन लोकसभा चुनावों में एक ही पार्टी ने चुनाव जीत है. इसमें से बीजेपी ने 19 सीटें, कांग्रेस ने 8 सीटें और अन्य पार्टियों ने सात सीटें जीती है. आइए आपको बताते है दूसरे फेज में जिन सीटों पर होने है चुनाव उनका क्या है गणित. 

पिछले विजेता और चरण-2 की सीटों पर वोट शेयर का बंटवारा

88 सीटों पर होने वाले दूसरे फेज के चुनाव में साल 2019 में बीजेपी ने 52 सीटों और कांग्रेस ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2019 के चुनावों में बीजेपी ने 88 में से 72 सीटों पर चुनाव लड़ा था. पार्टी को उनमें से 56 सीटों पर 40 फीसदी से अधिक वोट शेयर मिला था. दूसरी तरफ कांग्रेस को 26 सीटों पर 40 फीसदी से अधिक वहीं 23 सीटों पर 30 से 40 फीसदी के बीच वोट शेयर मिला था. बात पिछले दो और चुनावों की करें तो 2009 के चुनावों में बीजेपी ने 26 सीटें जीती, 2014 में पार्टी ने 42 सीटें जीती. यानी पिछले चुनावों में इन 88 सीटों पर बीजेपी की जीत में लगातार बढ़ोतरी हुई है. इसके विपरीत कांग्रेस की सीटें 2009 में 37 से घटकर 2014 में 20 और पिछले चुनाव में 18 रह गईं. यानी कांग्रेस को लगातार नुकसान हो रहा है. 

इन सीटों पर पलट सकता है नतीजा 

लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में सात सीटें ऐसी हैं जहां 2019 के चुनाव में जीत का अंतर दो फीसदी से भी कम था. ये सीटें कर्नाटक में चामराजनगर और तुमकुर, केरल में अलाप्पुझा और पलक्कड़, उत्तर प्रदेश में मेरठ, छत्तीसगढ़ में कांकेर और असम में नौगोंग थी. पिछले चुनाव में बीजेपी ने चामराजनगर, मेरठ और कांकेर में क्रमशः 0.14 फीसदी, 0.39 फीसदी और 0.6 फीसदी मार्जिन से जीत हासिल की थी. इन आंकड़ों से ये बात साफ है कि, इस बार के चुनाव में इन सीटों पर कुछ भी हो सकता है. 

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क्लीन स्वीप वाली सीटें 

2019 में फेज-2 की आठ सीटों पर जीत का अंतर 35 फीसदी से ज्यादा था. बीजेपी ने इनमें से सात सीटें जीती थी और और कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब हो पाई थी जो राहुल गांधी की वायनाड सीट से 39.5 फीसदी के अंतर से जीती हुई सीट थी. वहीं बीजेपी  की सात सीटों में राजस्थान में भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और पाली, मध्य प्रदेश में होशंगाबाद और खजुराहो और असम में दीफू थी. 

ये है स्विंग सीटें

दूसरे फेज में पार्टियों के गढ़ों के साथ-साथ कई स्विंग सीटें भी है. 2009 के बाद से मौजूदा चुनावों में 88 सीटों में से 14 सीटें किसी भी दल के पास बरकरार नहीं रही है. ये सीटें-अमरोहा, बालुरघाट, बांका, भागलपुर, चलाकुडी, चित्रदुर्ग, हिंगोली, इडुक्की, कन्नूर, करीमगंज, कटिहार, रायगंज, सिलचर और त्रिशूर है. यानी इन सीटों पर कोई भी पार्टी चुनाव जीत सकती है. 

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बीजेपी-कांग्रेस के लिए ये है सेफ सीटें

पिछले चुनावों के आंकड़ों को देखें तो हमें ये नजर आता हैं कि, दूसरे फेज की 88 सीटों में से बीजेपी 19 सीटों पर सेफ है यानी आराम से चुनाव जीत सकती है क्योंकि पार्टी ने 2009 के बाद से सभी तीन चुनावों में ये सीटें जीती है. वहीं 24 ऐसी सीटें है जहां पार्टी अपेक्षाकृत सुरक्षित है क्योंकि 2009 के बाद से पार्टी ने उन्हें दो बार जीता है. छह सीटें ऐसी है जहां पार्टी कमजोर है इसके पीछे की वजह ये है कि, 2009 के बाद से बीजेपी ने वहां सिर्फ एक बार जीता है. बीजेपी के लिए 11 सीटें ऐसी है जहां पार्टी बहुत कमजोर है क्योंकि पार्टी ने इस सीटों पर कम से कम दो बार चुनाव लड़ा है लेकिन कभी जीत नहीं पाई है. 

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वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो पार्टी करीब आठ सीटों पर सुरक्षित, 11 सीटों पर अपेक्षाकृत सुरक्षित, 22 सीटों पर कमजोर और 28 सीटों पर बहुत कमजोर है. इससे ये साफ नजर आता है कि, इस चरण में बीजेपी का दबदबा रह सकता है. 
 

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