राहुल गांधी ने वायनाड छोड़ रायबरेली को क्यों चुना? लोकसभा चुनाव के नतीजों में छिपा है राज, समझिए 

अभिषेक

लोकसभा में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व यानी 80 सीटों वाले राज्य से सकारात्मक परिणाम के साथ पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि, राहुल गांधी उस सीट और राज्य को नहीं छोड़ रहे हैं जिसने उन्हें और पार्टी को चुनावों में अच्छा परिणाम दिया.

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Rahul Gandhi in Raebareli: कांग्रेस ने बीते सोमवार को ये घोषणा की कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली में अपनी सीट बरकरार रखेंगे और केरल की वायनाड सीट छोड़ देंगे. इसके साथ ही उनकी बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा वहां से उम्मीदवार होंगी. यानी प्रियंका गांधी वायनाड से अपनी चुनावी पारी की शुरुआत करेंगी. इसी बीच राहुल गांधी ने वायनाड के लोगों को ये मैसेज देते हुए कहा कि, 'अब आपके दो सांसद होने जा रहे हैं, मैं वायनाड का दौरा करता रहूंगा और प्रियंका आपकी सांसद रहेंगी. वहीं प्रियंका गांधी ने कहा, 'मैं वायनाड के लोगों को राहुल की कमी महसूस नहीं होने दूंगी. मैं कड़ी मेहनत करूंगी, वायनाड में सभी को खुश करने की पूरी कोशिश करूंगी, एक अच्छा प्रतिनिधि बनूंगी.' वैसे अगर प्रियंका गांधी वायनाड से जीतने में कामयाब हो जाती हैं, तो यह पहली बार होगा कि नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्य एक ही समय में संसद में होंगे. 

राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने और रायबरेली से सांसद बने रहने के बाद सियासी हलकों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे है. इन्हीं कायसबाजियों के बीच आइए हम आपको बताते हैं राहुल और कांग्रेस के फैसले के क्या है मायने. 

रायबरेली से UP साधना चाहते है राहुल गांधी? 

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश में छह सीटें जीतकर जबरदस्त वापसी की. 2019 के चुनाव में जहां पार्टी को सिर्फ एक सीट रायबरेली मिली थी. खुद राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे. पार्टी 2019 में UP में अपने सबसे निचले स्तर पर थी जब राज्य में उसका वोट शेयर सिर्फ 6.36 फीसदी पर आ गया था. साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने दो सीटें रायबरेली और अमेठी जीती थी. तब पार्टी का वोट शेयर 7.53 फीसदी था. वहीं इस बार प्रदेश की 17 सीटों पर चुनाव लड़कर पार्टी ने 9.46 फीसदी वोटों के साथ 6 सीटों पर जीत मिली है जिसने पार्टी का मनोबल ऊंचा कर दिया है. 

लोकसभा में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व यानी 80 सीटों वाले राज्य से सकारात्मक परिणाम के साथ पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि, राहुल गांधी उस सीट और राज्य को नहीं छोड़ रहे हैं जिसने उन्हें और पार्टी को चुनावों में अच्छा परिणाम दिया. 

UP विधानसभा चुनाव के लिए हैं तैयारी

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के खाते में जबरदस्त सीटें आने के बाद राज्य में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनता नजर आ रहा है. बीजेपी को जहां 2019 में 62 सीटें मिली थी जो 2024 के चुनाव में घटकर 33 सीटों पर आ गई है. राहुल का रायबरेली सीट को बरकरार रखने का फैसला करने के साथ ही पार्टी एक स्पष्ट संदेश दे रही है: कि, वह UP और हिंदी पट्टी में अपनी लड़ाई जारी रखेगी और बीजेपी से मुकाबला करेगी. इसके साथ ही 2027 में UP में विधानसभा चुनाव होना है. विधानसभा चुनावों में भी पार्टी लोकसभा चुनाव की भांति प्रदर्शन करने की तैयारी में है. 2022 के चुनाव में पार्टी ने प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ा था. पार्टी को 2.33 फीसदी वोटों के साथ सिर्फ दो सीटें जीतने में सफल रही थी. 

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उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के आगे रहने के बावजूद भी पार्टी का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा. प्रियंका ने प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की बहुत कोशिश की थी लेकिन सफलता नहीं मिली. अब जब लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की सपा के साथ कांग्रेस का गठबंधन सफल हो गया तब राहुल गांधी का रायबरेली पर कब्जा बनाए रखने की रणनीतिक समझ में आती है. इससे ये साफ है कि, कांग्रेस विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही प्रदर्शन करने अपने रिवाइवल की उम्मीद में है. 
 

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