राजस्थान: पंजाब के पूर्व डिप्टी CM रंधावा को मिला राजस्थान कांग्रेस का प्रभार, जानें कौन हैं ये?

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Rajasthan News: कांग्रेस ने सोमवार को कई राज्यों में प्रभारी नियुक्ति किए है. राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा होंगे. वहीं, माकन का इस्तीफा मंजूर हो चुका है. जिसके चलते अगले साल होने वाले चुनाव से पहले अब प्रदेश की कमान पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम रंधावा को सौंपी गई है. दरअसल, 25 सितंबर को […]

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Rajasthan News: कांग्रेस ने सोमवार को कई राज्यों में प्रभारी नियुक्ति किए है. राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा होंगे. वहीं, माकन का इस्तीफा मंजूर हो चुका है. जिसके चलते अगले साल होने वाले चुनाव से पहले अब प्रदेश की कमान पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम रंधावा को सौंपी गई है.

दरअसल, 25 सितंबर को राजस्थान के विधायकों के सामूहिक घटनाक्रम के बाद माकन और गहलोत गुट में खींचतान नजर आ गई थी. इस दौरान माकन की भूमिका पर भी सवाल उठे. माकन ने इसे लेकर चिट्ठी भी लिखी. कांग्रेस नेता ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर राजस्थान के प्रभार से मुक्त करने की इच्छा जताई थी. जिसे लेकर उन्होंने बीतें 8 नवंबर को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने इस्तीफे की बात कही थी.

पंजाब के सीएम के दावेदारों में रहे शामिल
पंजाब की राजनीत‍ि में सुखज‍िंदर स‍िंह रंधावा कांग्रेस का अहम चेहरा है. राजनीतिक पर‍िवार से आने वाले रंधावा का नाम पिछले चुनाव के दौरान मुख्‍यमंत्री की दौड़ में भी शामिल रहा है. उनके पिता संतोख सिंह दो बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. जबकि सुखजिंदर स‍िंह रंधावा ने अपना पहला चुनाव साल 2002 में लड़ा.

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साल 2017 में जब व‍िधायक न‍िर्वाच‍ित हुए तो सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जेल और सहकारिता विभाग सौंपते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया. पंजाब कांग्रेस में उपाध्यक्ष और महासचिव जैसी अहम जिम्मेदारियां भी संभाल चुके है.

सिद्धू के चलते सीएम नहीं बन पाए रंधावा
सिद्धू के चलते डीप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा की ताजपोशी पर ब्रेक लग गया. रंधावा ने खुद दावेदारी की बात कबूलते हुए कहा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद सीएम के लिए उनका ही नाम था. उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिए हां भी हो चुकी थी. हालांकि बाद में चरणजीत चन्नी मुख्यमंत्री बन गए. तब कयास यह लगाए गए कि पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिद्धू ने सीएम बनने का दावा ठोक दिया था. जिसके बाद हाईकमान को रंधावा की जगह चन्नी के नाम पर राजी होना पड़ा.

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