महागठबंधन में मनमुटाव दूर करने के लिए कांग्रेस ने अशोक गहलोत को क्यों सौंपी यह अहम जिम्मेदारी?

बिहार महागठबंधन में सीटों पर लड़ाई के बाद अब साझा चुनाव प्रचार और घोषणा पत्र (मेनिफेस्टो) पर आरजेडी-कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ गया है. दूरी के कारण संयुक्त अभियान शुरू नहीं हो पा रहा है.

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बिहार के विपक्षी महागठबंधन के भीतर आंतरिक कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. पहले सीटों के बंटवारे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच तनातनी दिखी, जिसका नतीजा कई सीटों पर 'फ्रेंडली फाइट' के रूप में सामने आया. अब यह तकरार चुनाव प्रचार अभियान और संयुक्त घोषणा पत्र (मेनिफेस्टो) पर भी साफ दिखाई दे रही है, जिसने गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

सीटों को लेकर बनी दूरी के कारण आरजेडी और कांग्रेस के रिश्ते में खटास आ गई है. इसी वजह से दोनों दलों के बीच साझा चुनाव प्रचार शुरू करने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. इतना ही नहीं, गठबंधन के साझा घोषणा पत्र पर सहमति बनाने का काम भी अधर में लटक गया है.

ड्राफ्ट समिति नहीं कर पाई कोई फैसला 

महागठबंधन की घोषणा-पत्र तैयार करने वाली ड्राफ्ट समिति अब तक कोई फैसला नहीं ले पाई. RJD और कांग्रेस के अपने-अपने वादे हैं. RJD रोजगार और विकास पर जोर दे रही है. वहीं कांग्रेस शिक्षा, रोजगार और धर्मनिरपेक्षता जैसे मुद्दों को आगे बढ़ा रही है. दोनों दलों के वादे कई जगह समान हैं. लेकिन एक संयुक्त दस्तावेज बनाने में सहमति नहीं बन पा रही. इससे संयुक्त प्रचार अभियान पर भी असर पड़ रहा है. 

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डैमेज कंट्रोल के लिए कांग्रेस की बड़ी पहल

आरजेडी के साथ बने गतिरोध को खत्म करने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने अब अपने वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारा है. इसी क्रम में, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत आज पटना का दौरा कर सकते हैं. उनकी मुलाकात आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से होने की संभावना है, सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी से तनाव बढ़ने के बाद बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावारु को जिम्मेदारी से पीछे हटा लिया गया है.

गहलोत को क्यों भेजा गया बिहार

बिहार दौरे पर पहुंचे राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महागठबंधन 12 सीट पर एक दूसरे के सामने उम्मीदवार उतारने पर  बयान दिया. उन्होंने इस विषय पर कहा बिहार में 243 सीट है 5 से 10 सीटों पर विवाद होना कोई बड़ी बात नहीं कई राज्यों में ऐसी स्थिति देखने को मिली है. मीडिया इसे बढ़ा-चढ़ा कर दिखा रही है. एक दो-दिनों के अंदर सब कन्फ्यूजन खत्म हो जाएगा.

बता दें गहलोत को बिहार भेजने के पीछे कांग्रेस की रणनीति है कि ये कांग्रेस पार्टी वरिष्ठ और अनुभवी नेता है. राजनीति का जादूगर कहा जाता है और गांधी परिवार का इनपर भरोसा भी है. इसलिए बिहार में महागठबंधन के भीतर मनमुटाव को खत्म करने के लिए इन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है. 

सम्राट चौधरी का तंज

इस सियासी संकट पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन में केवल लालू प्रसाद यादव ही एकमात्र 'सर्वमान्य' नेता हैं, जबकि अन्य पार्टियों का कोई महत्व नहीं है. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, "कोई SIR के दौरान घूम रहा था. वह SIR नेता अब बिहार या देश में कहीं दिखाई नहीं दे रहा है. बेचारा अपने हनीमून पीरियड में है."

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