Explainer: बिहार में आम-लीची के बाग वाली 1050 एकड़ जमीन अडानी को '1 रुपए' में दी गई? कांग्रेस क्यों हुई BJP पर अटैकिंग?
pirpainti power plant controversy: बिहार के भागलपुर जिले के पीरपैंती में पावरप्लांट को लेकर कांग्रेस ने NDA सरकार को घेरा है. कांग्रेस ने अडानी को 10 लाख पेड़ों से लदे जमीन को 1 रुपए में देने का आरोप लगाया. इस एक्सप्लेनर में जानिए ये पूरा मामला.
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बिहार में एक चर्चा जोरों पर है...NDA समर्थित नीतीश सरकार ने अडानी ग्रुप को 1050 एकड़ जमीन 1 रुपए सालाना के लीज पर दे दी है. जमीन भी ऐसी जो बंजर नहीं बल्कि उसमें आम-लीची समेत सागौन के पेड़ है. इसे लेकर कांग्रेस पार्टी ने बिहार और बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा.
अब सवाल ये है कि ये विवाद किस जमीन को लेकर है और क्यों है? इसके पीछे की क्या कहानी है और बिहार सरकार का इसपर क्या रिएक्शन है? इस जमीन को लेकर अडानी ग्रुप का क्या कहना है? इन तमाम सवालों के जवाब इस एक्सप्लेनर के जरिए समझेंगे.
क्या है मामला?
बिहार के भागलपुर जिले के पीरपैंती में 2400 मेगावाट का पावर प्लांट लगाने के लिए अडानी पावर लिमिटेड को 1050 एकड़ जमीन दी गई है. अडानी ग्रुप की वेबसाइट पर 13 सितंबर 2025 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी हुई है. इसमें कहा गया- 'बिहार के भागलपुर जिले के पीरपैंती में स्थापित होने वाले एक ग्रीनफील्ड अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल प्लांट से 2,400 मेगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए बिहार राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (BSPGCL) के साथ 25 साल का कॉन्ट्रैक्ट किया गया है.'
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'अडानी पावर ने 6.075 रुपए प्रति किलोवाट घंटा (प्रति यूनिट) की न्यूनतम आपूर्ति दर की पेशकश करके यह परियोजना हासिल की है. कंपनी का लक्ष्य 60 महीनों में संयंत्र को पूरी तरह चालू करना है.'
अदाणी ग्रुप ने रोजगार देने का भी किया दावा
प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है- 'इस बिजली संयंत्र के लिए कोयला भारत सरकार की शक्ति नीति के तहत आवंटित किया गया है. इसके निर्माण के दौरान करीब 10,000-12,000 लोगों को रोजगार मिलेगा. पावर प्लांट के शुरू होने पर 3,000 लोगों को रोजगार मिलेगा.'
कांग्रेस क्यों हुई बीजेपी पर अटैकिंग?
15 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा था. वे पूर्णिया पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने पीरपैंती के 2400 मेगावाट (800 मेगावाट के 3 यूनिट) का वर्चुअली शिलान्यास किया. इधर 15 सितंबर को ही कांग्रेस पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस कर नीतीश और केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. पवन खेड़ा ने कहा- 'बिहार में 1050 एकड़ जमीन महज 1 रुपए प्रति वर्ष की कीमत पर अडानी को दी जा रही है.'
बिहार की जनता पर दोहरी मार- कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार ने उस जमीन को किसानों से लिया है जिसपर करीब 10 लाख आम, लीची और सागौन के पेड़ हैं. ये जमीन 33 साल के लिए सरकार ने लीज पर दी है वो भी महज 1 रुपए में. इसपर 21,400 करोड़ रुपए के खर्च से पावर प्लांट लगेगा. किसानों से उनकी जमीन जबरदस्ती और धमकाकर ली जा रही है.

कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि जमीन, पेड़, कोयला, सब कुछ गौतम अडाणी को दे दिया गया. बिहार की जमीन और संसाधनों से बने पावर प्लांट में बिजली बनेगी और वहीं के लोगों को ही 6.075 रुपए प्रति यूनिट की दर से बेचा जाएगा. जबकि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में यह फिक्स दर 3 से 4 रुपए है. उन्होंने इसे बिहार की जनता के साथ डबल लूट करार दिया.
केंद्रीय बजट में हुई थी प्लांट की घोषणा- कांग्रेस
पवन खेड़ा ने कहा कि इस प्लांट की घोषणा केंद्रीय बजट में हुई थी. तब सरकार ने कहा था वे खुद प्लांट लगाएगी पर बाद में अडानी ग्रुप को दे दिया गया.
अब सवाल है कि वाकई केंद्रीय बजट में इसका घोषणा हुई थी? डीडी न्यूज पर Union Budget 2024-25 को लेकर एक खबर प्रकाशित है. इसमें बताया गया है- 'बजट में घोषणा की गई कि पीरपैंती में 2,400 मेगावाट के नए बिजली संयंत्र की स्थापना सहित 21,400 करोड़ रुपये की लागत से बिजली परियोजनाएं शुरू की जाएंगी.'
बिहार सरकार का क्या कहना है?
बिहार सरकार ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन किया है. उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने इंडिया टुडे से बातचीत में कांग्रेस द्वारा फैलाई जा रही सूचना को गलत करार दिया है. उन्होंने बताया- "इस मामले में निविदा प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया. बोली प्रक्रिया में चार कंपनियां अडानी पावर लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, टोरेंट पावर और बजाज समूह की ललित पावर ने हिस्सा लिया. सबसे कम बोली (₹6.075 प्रति यूनिट) के आधार पर परियोजना अडानी पावर लिमिटेड को सौंप दी गई."
जमीन अधिग्रहण 2012 से ही शुरू हो गया था- बिहार सरकार
बिहार सरकार का कहना है कि जमीन अधिग्रहण कोई नया नहीं है बल्कि 2012 में ही शुरू हो गया था. 1200 एकड़ जमीन पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है.
बिजली क्षेत्र की सरकारी कंपनियों ने नहीं दिखाई रुचि
बिहार सरकार का कहना है कि शुरुआत में उम्मीद थी कि बिजली क्षेत्र की बड़ी सरकारी कंपनियां पीरपैंती में बिजली संयंत्र लगाने के लिए आगे आएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अगस्त के पहले हफ्ते में बोलियां खुलीं, तो अडानी समूह को ठेका मिला क्योंकि उसने सबसे कम ₹6.075 प्रति यूनिट का टैरिफ लगाया था. बिहार सरकार ने 4 फरवरी, 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में इस बिजली परियोजना को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी थी.
बिहार सरकार ने पट्टे पर दी है ये जमीन
भाजपा प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा- ''बिहार सरकार बिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए अडानी को जमीन पट्टे पर दी है, न कि उसे बेची है. कांग्रेस बिहार के विकास में बाधाएं खड़ी करने की कोशिश कर रही है.
निष्कर्ष
बिहार सरकार का कहना है कि सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनियों ने रुचि नहीं दिखाई इसलिए निजी क्षेत्र की कंपनियों को बुलाकर नीलामी प्रक्रिया की गई. इसमें अडानी ग्रुप ने सबसे कम टैरिफ ऑफर किया. इसलिए उन्हें ये जमीन पट्टे पर दी गई. अडानी ग्रुप खुद लिखता है- 'ये जमीन 25 साल के लिए पट्टे पर मिली. सरकार का कहना है कि जमीन अधिग्रहण 2012 में ही हो गया था. जमीन कितने में लीज पर दी गई इसका जिक्र न सरकार की तरफ से मिलता है और न ही अडनी ग्रुप की तरफ से. केवल कांग्रेस के आरोपों में एक रुपए में लीज का जिक्र है.
इनपुट: रोहित कुमार सिंह
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