चुनाव से पहले ही जन सुराज को बड़ा झटका, 3 उम्मीदवार पीछे हटे, प्रशांत किशोर ने कही ये बात!

जन सुराज के तीन उम्मीदवारों ने बिहार चुनाव से नाम वापस ले लिया है, जिससे प्रशांत किशोर को झटका लगा है. पीके ने भाजपा पर दबाव बनाने और उम्मीदवारों को धमकाने का आरोप लगाया है.

NewsTak
social share
google news

बिहार विधानसभा चुनावों की गहमा-गहमी के बीच 'जन सुराज' को एक बड़ा सियासी झटका लगा है. चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की महत्वाकांक्षी मुहिम 'जन सुराज', जिसने राज्य की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी, अब 240 सीटों पर सिमट गई है. इसके पीछे तीन उम्मीदवारों का अंतिम समय में चुनाव मैदान से नाम वापस लेना बताया जा रहा है.

दानापुर सीट से अखिलेश कुमार उर्फ मूतूर शाह नामांकन दाखिल नहीं कर पाए. गोपालगंज में डॉ. शशि शेखर सिन्हा ने नामांकन तो भर दिया. लेकिन बाद में वापस ले लिया. ब्रह्मपुर से डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी ने तीन दिन प्रचार किया. फिर नाम वापस कर लिया.

ये घटना प्रशांत किशोर के लिए बड़ा झटका हैं. किशोर खुद चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं. अब पार्टी की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं. पीके ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस घटनाक्रम पर भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और मोर्चा खोल दिया.

यह भी पढ़ें...

प्रशांत किशोर का BJP पर बड़ा आरोप

प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि उनके उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिए धमकाया गया. उन्होंने दावा किया कि यह दबाव भाजपा की ओर से बनाया गया. पीके ने लालू राज में बूथ लूटने की तुलना करते हुए कहा कि अब भाजपा राज में उम्मीदवार 'किडनैप' हो रहे हैं. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर सीधे निशाना साधा.

पीके ने एक फोटो दिखाते हुए कहा कि भाजपा नेता मूतूर शाह को अपने पास रखकर यह बता रहे थे कि उन्हें राजद के गुंडों ने बंधक बनाया है, जबकि वह असल में गृह मंत्री के साथ थे. उन्होंने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या एक गृह मंत्री किसी उम्मीदवार को नामांकन से रोकने के लिए इस तरह रोक सकते हैं?

इसी तरह, ब्रह्मपुर के डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी की तस्वीर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ साझा करते हुए पीके ने कहा कि यह दबाव का स्पष्ट प्रमाण है. उन्होंने यह भी बताया कि डॉ. सिन्हा ने उन्हें दबाव की शिकायत की थी, लेकिन जल्द ही उनका फोन बंद हो गया और वे स्थानीय भाजपा नेताओं के नियंत्रण में आ गए.

जन सुराज अब 240 सीटों पर लड़ेगी

प्रशांत किशोर ने कहा, भाजपा और जदयू ने 'साम, दाम, दंड, भेद' का उपयोग कर जन सुराज को कमजोर करने की कोशिश की है. उन्होंने पुष्टि की कि तीन उम्मीदवारों को हटाने में दो पर भाजपा और एक पर जदयू का दबाव काम कर गया. इसके बावजूद, जन सुराज अब भी 240 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पीके ने दोहराया कि वे खुद मैदान में नहीं उतरेंगे. वह संगठन और प्रचार की पूरी कमान संभालेंगे.

बीजेपी से सीधी भिड़ंत का संकेत

इस घटनाक्रम के बाद प्रशांत किशोर की रणनीति में बड़ा बदलाव दिखा. उन्होंने सीधे अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान पर हमला बोलकर यह संकेत दिया है कि अब वे भाजपा से आर-पार के मूड में हैं. उनकी कोशिश बिहार चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की है, जिसके लिए वे सीधे भाजपा को निशाना बना रहे हैं और सम्राट चौधरी व दिलीप जायसवाल जैसे नेताओं पर भी हमला बोल रहे हैं. 

फ्रंटफुट पर पीके कैसे खेल पाएंगे गेम

पीके जिस तरह तीन उम्मीदवारों के चुनाव से हटने के बाद फ्रंटफुट पर उतरे हैं, उससे साफ है कि यह जन सुराज को दोबारा से चुनावी सीन में लाने की स्ट्रैटेजी है. देश में कोई भी चुनाव तीन फ्रंट पर आजकल लड़ा जा रहा है, जिसमें पहला मैनेजमेंट, दूसरा पब्लिक एंगर और तीसरा सोशल मीडिया के जरिए.

सोशल मीडिया पर भी जन सुराज का अभियान काफी आक्रामक है और पीके वहां लगातार मजबूत तरीके से विरोधियों को निशाने पर ले रहे हैं. 

    follow on google news