new labour law salary effect: नए लेबर कानून से कम हो जाएगी In-हैंड सैलरी, इस चर्चा के पीछे क्या है सच्चाई? जानें पूरा मामला

नए लेबर लॉ से इन-हैंड सैलरी घट सकती है, लेकिन PF, ग्रेचुएटी और रिटायरमेंट के बेनिफिट बढ़ेंगे. जानें प्राइवेट नौकरी वालों पर टेक होम सैलरी से लेकर फ्यूचर फंड और ग्रेच्युटी को लेकर कितना असर पड़ेगा?

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सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारी सरकार के नियमों से बंधे होते हैं. सरकार के नियमों के मुताबिक नौकरी मिलती है, प्रमोशन मिलता है, नौकरी भी सरकारी नियमों से ही जाती है. हालांकि सरकारी नौकरी में नौकरी जाना आसान नहीं होता. अब सबके पास सरकारी नौकरी है नहीं. ऐसे लोग प्राइवेट कंपनियों, फैक्ट्रियों में काम करते हैं. 

प्राइवेट कंपनियां भी सरकार के बने नियमों से ही चलती हैं. प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोग लेबर लॉ यानी श्रम कानूनों से बंधे होते हैं. सरकार ने व्यवस्थाएं तो इतनी बना रखी हैं कि प्राइवेट नौकरियां भी सिक्योर रहें. ढेर सारी सुविधाएं मिलती रहें. हालांकि हर जगह हर किसी के साथ ऐसा होता नहीं. 

हाल में सरकार ने लेबर कोड में बड़े-बड़े बदलाव किए हैं. इन बदलावों से प्राइवेट नौकरी करने वालों की सैलरी स्लिप भी बदलने जा रही है. अगर अच्छी प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहे हैं तो इनकम टैक्स, पीएफ भी कटता है. ग्रेचुएटी भी मिलती है, हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधाएं भी मिलती हैं. बेसिक सैलरी भी डिफाइन होती है और अलाउंसेंस भी मिलते हैं. 

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अब बदलेगा सैलरी स्ट्रक्चर 

21 नवंबर से जो वेज कोड लागू हुआ है उसके तहत कंपनियों को अब सैलरी स्ट्रक्चर बदलनी पड़ेगी. इसमें सबसे बड़ा बदलाव ये है कि बेसिक सैलरी CTC यानी कास्ट टू कंपनी का 50 परसेंट जरूरी कर दिया है. कुछ कंपनियां बेसिक कम रखकर अलाउंसेस में ज्यादा पैसे देती थी. ताकि उन्‍हें PF और ग्रेच्युटी पर कम खर्च करना पड़े. नया नियम ये है कि अलाउंसेस CTC के 50 परसेंट से ज्‍यादा नहीं हो सकते. 

ऐसे समझिए पूरा मामला 

प्राइवेट जॉब करने वाले आशीष कुमार की ग्रॉस सैलरी 60 हजार रूपये है. बेसिक सैलरी 20 हजार रखी गई. 40 हजार अलाउंसेस के तौर पर मिलते थे. अब ऐसा नहीं होगा. 60 हजार सैलरी है तो बेसिक 30 हजार सैलरी होगी. 30 हजार से ज्यादा अलाउंसेस नहीं मिलेंगे. 

पीएफ डिडक्शन, ग्रेचुएटी, बोनस भी 20 हजार बेसिक के हिसाब से कैलकुलेट होती रही. 20 हजार बेसिक से आशीष की सैलरी से पीएफ के 2400 रुपये यानी 12 परसेंट  कटते रहे. कंपनी भी 2400 रुपये डालती रही. जिसमें 8.33% यानी 1,666 रुपये पीएफ फंड में और 3.67% यानी 734 रुपये पेंशन फंड में. अब ऐसा नहीं हो सकता. 

60 हजार CTC पर नई कटौती 

बेसिक सैलरी बढ़कर 30 हजार हो जाएगी. आशीष और कंपनी का पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन बढ़कर 12-12 परसेंट के हिसाब से 3600-3600 रुपये हो जाएगा. 3600 आशीष की सैलरी से कटेंगे और इतना ही कंपनी पीएफ और पेंशन फंड में जमा करेगी. इससे आशीष की टेक होम या नेट सैलरी घट जाएगी लेकिन पीएफ में जमा होने वाले पैसे बढ़ने लगेंगे. रिटायरमेंट सेविंग्स में कंट्रीब्यूशन बढ़ने का फायदा मिलेगा. यनी भविष्य का फंड बढ़ेगा जिसपर सरकार  8 फीसदी के करीब ब्याज देती है. 

ग्रेच्युटी में भी कंट्रीब्यूशन बढ़ेगा जो कंपनी छोड़ने के बाद एम्प्लॉई को मिल जाएगा इसे लेकर भी नए लेबर कोड में बदलाव किया गया है. पहले ग्रेच्युटी पाने के लिए कंपनी में कम से कम 5 साल पूरे करने होते थे. अब नए लेबर कोड में इसे कम करके 1 साल कर दिया गया है. इसकी पूरी डिटेल यहां पढ़ें...

सीटीसी और टेक होम सैलरी में क्या फर्क है? 

CTC यानी कास्ट टू कंपनी टेक होम सैलरी नहीं होती. कंपनियों को जो ग्रेचुएटी या पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन देना होता है. वो सब मिलाकर CTC बनती है. अक्सर CTC ज्यादा दिखता है, लेकिन नेट सैलरी कम मिलती है. जब कहीं और नौकरी के लिए अप्लाई करते हैं कि ज्यादातर कंपनियां पूछती हैं कि आपकी CTC कितनी है. नई सैलरी भी CTC में ही बताई जाती है. टैक्स, पीएफ, ग्रेचुएटी जैसे डिडक्शन के बाद टेक होम सैलरी होती है जो CTC से कम होती है. डीए, एचआरए जैसे सैलरी कम्पोनेंट भी बेसिक से ही कैलकुलेट होते हैं. 

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