Chhattisgarh Coal Scam: कोल घोटाला मामले में आया नया मोड़, सुनील अग्रवाल को SC से मिली अंतरिम जमानत
छत्तीसगढ़ के चर्चित कोल घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी सुनील अग्रवाल को अंतरिम जमानत दे दी है. व्यवसायी सुनील अग्रवाल पर कोयला परिवहन पर अवैध लेवी लगाने का आरोप है, अदालत ने नोट किया कि वह पहले ही एक साल और सात महीने की कैद काट चुका है.

Chhattisgarh Coal Scam Case- छत्तीसगढ़ के चर्चित कोल घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी सुनील अग्रवाल को अंतरिम जमानत दे दी है. व्यवसायी सुनील अग्रवाल पर कोयला परिवहन पर अवैध लेवी लगाने का आरोप है, अदालत ने नोट किया कि वह पहले ही एक साल और सात महीने की कैद काट चुका है.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विश्वनाथन की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जांच की स्थिति का पता लगाने और अतिरिक्त हलफनामे के साथ संबंधित सामग्री रिकॉर्ड पर रखने के लिए छह सप्ताह का समय दिया. अदालत ने नोट किया कि वर्तमान में याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 384 या किसी अन्य प्रावधान के तहत कोई पूर्व अपराध नहीं है.
पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता पहले ही लगभग एक साल और सात महीने की कैद भुगत चुका है. याचिकाकर्ता को एफआईआर या आरोप पत्र में आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया है. इसलिए, याचिकाकर्ता ने अंतरिम जमानत पर रिहाई के लिए एक प्रथम दृष्टया मजबूत मामला बनाया है."
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता को विशेष अदालत, रायपुर, छत्तीसगढ़ की संतुष्टि के लिए जमानत बांड प्रस्तुत करने पर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया गया. सुनील कुमार अग्रवाल की ओर से दायर एक याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी, जिसमें छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 8 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी गई थी. इस दौरान उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. इस मामले में अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और विकास पहावा पेश हुए.
यह भी पढ़ें...
छत्तीसगढ़ में कई IAS पर भी लगे है आरोप
बता दें कि ईडी की जांच में एक कथित घोटाले का आरोप है, जिसमें छत्तीसगढ़ में कोयले के हर टन के परिवहन पर 25 रुपये की अवैध लेवी वसूली जा रही थी. ईडी के दूसरे पूरक आरोप पत्र में आरोप लगाया गया कि आईएएस अधिकारी रानू साहू, जो इस अवधि के दौरान कोरबा जिले के कलेक्टर थे,उन्होंने कोयला परिवहनकर्ताओं और जिला खनिज निधि (डीएमएफ) ठेकों से अवैध लेवी की राशि एकत्र करने की सुविधा प्रदान की और उनसे भारी रिश्वत प्राप्त की. मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला आयकर विभाग की शिकायत से उत्पन्न हुआ, जो जून 2022 में विभाग द्वारा की गई छापेमारी के बाद दर्ज किया गया था.










