बीजापुर में आईईडी लगाते वक्त घायल हुई महिला नक्सली, माओवादी छोड़कर भागे, गांववालों और पुलिस ने बचाई जान

बीजापुर में आईईडी लगाते समय घायल हुई महिला नक्सली को उसके साथी छोड़कर भाग गए, जबकि ग्रामीणों और पुलिस ने उसकी जान बचाई. यह घटना नक्सलियों की अमानवीय सोच और बस्तर में बढ़ते शांति व विश्वास को दर्शाती है.

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों की अमानवीय सोच एक बार फिर सामने आई है. 03 अक्टूबर की शाम लगभग 6 बजे थाना माडेड़ क्षेत्र के बंदेपारा जंगल में एक महिला नक्सली आईईडी (बम) लगाते समय घायल हो गई. विस्फोट में महिला का दाहिना टखना बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया.

पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेन्द्र यादव ने बताया कि घायल महिला की पहचान गुज्जा सोढ़ी के रूप में हुई है, जो माओवादी संगठन से जुड़ी है. 

इस घटना में सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि घायल होते ही महिला को उसके नक्सली साथियों ने जंगल में तड़पता छोड़ दिया था और खुद भाग खड़े हुए. इतना ही नहीं, वे उसका हथियार भी लेकर फरार हो गए.

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नक्सलियों का अमानवीय रवैया 

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक श्री सुन्दरराज पट्टलिंगम ने नक्सलियों के इस अमानवीय रवैये की कड़ी निंदा की.  उन्होंने कहा, "यह घटना माओवादी नेतृत्व की निर्दयी और स्वार्थी मानसिकता को साफ उजागर करती है. वे अपने ही साथियों को जरूरत के वक्त मरने के लिए छोड़ देते हैं."

इस पूरे मामले में जो सबसे बड़ी बात उभरकर आई, वह थी स्थानीय ग्रामीणों की इंसानियत. घायल महिला को तड़पता देख गांववालों ने न सिर्फ हिम्मत दिखाई, बल्कि उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र माडेड़ तक पहुंचाया.

इसके बाद 04 अक्टूबर को दोपहर करीब 2 बजे पुलिस और सुरक्षा बलों ने महिला नक्सली को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल बीजापुर में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज जारी है.

नक्सलियों की असली सोच 

आईजी सुन्दरराज ने कहा, “यह घटना साफ दिखाती है कि अब बस्तर के लोग नक्सलियों की असली सोच को पहचानने लगे हैं. वे अब शांति और विकास के साथ खड़े हैं. दूसरी ओर हमारे सुरक्षा बल भी संवैधानिक और मानवीय मूल्यों के साथ काम कर रहे हैं.”

उन्होंने माओवादी कैडर से अपील की कि वे अब आंखें खोलें, अपने नेतृत्व की धोखेबाज़ नीतियों को समझें, हिंसा का रास्ता छोड़ें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ें.

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