पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर का सियासी संग्राम, कलेक्टर को हटाने की मांग पर अड़े, CM के आश्वासन का भी नहीं पड़ा असर

पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर कोरबा कलेक्टर को हटाने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं. मुख्यमंत्री के आश्वासन और पार्टी नेताओं की समझाइश के बावजूद उन्होंने विरोध खत्म करने से इनकार कर दिया है.

BJP नेता ननकी राम कंवर ने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक उथल-पुथल मचाई.(Photo:ITG)
BJP नेता ननकी राम कंवर ने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक उथल-पुथल मचाई.(Photo:ITG)
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छत्तीसगढ़ की सियासत में इन दिनों गर्मी बढ़ गई है.वजह हैं पूर्व गृह मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता ननकी राम कंवर, जो कोरबा कलेक्टर अजीत वासंत को हटाने की मांग को लेकर अड़ गए हैं.उन्होंने साफ कह दिया है कि जब तक कलेक्टर को नहीं हटाया जाता, वे पीछे नहीं हटेंगे.

रायपुर में धरने की तैयारी, नजरबंदी में बदली स्थिति

शुक्रवार को कंवर रायपुर पहुंचे और धरने की तैयारी शुरू कर दी.सबसे पहले वे जेल रोड स्थित एक रेस्टोरेंट पहुंचे, फिर एक निजी निवास में चले गए.स्थिति को देखते हुए पुलिस ने उन्हें रायपुर एम्स के पास नजरबंद कर दिया ताकि हालात बेकाबू न हों.

पोते से कहासुनी, मीडिया से बात करने पर विवाद

नजरबंदी के दौरान जब कंवर मीडिया से बातचीत करने लगे तो उनके पोते ने उन्हें रोकने की कोशिश की.इस दौरान दोनों के बीच हल्की नोकझोंक भी देखने को मिली.कंवर ने उसे एक तरफ हटाया और दोहराया कि वे अपने फैसले पर अडिग हैं.

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कंवर बोले, "मैं पीछे नहीं हटूंगा"

पूर्व गृह मंत्री का कहना है कि उन्हें मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है कि सरकार ने उनकी शिकायतों की जांच शुरू की है, लेकिन अब तक कोई मंत्री या अफसर उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने नहीं आया.उन्होंने दो टूक कहा, “लोगों को सच्चाई जाननी चाहिए.जब तक जवाबदेही तय नहीं होती, मैं आवाज उठाता रहूंगा.”

मुख्यमंत्री ने की देर रात बात

हालात की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शुक्रवार रात कंवर से फोन पर बात की.उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि बिलासपुर कमिश्नर से इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई है और जल्द कार्रवाई होगी.लेकिन कंवर ने विरोध वापस लेने से इनकार कर दिया.

बीजेपी नेताओं की चिंता बढ़ी

शनिवार सुबह तक कंवर एम्स के पास ही नजरबंद रहे.भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और उनके परिजन उन्हें मनाने पहुंचे, लेकिन उनका रुख नहीं बदला.कंवर की जिद ने पार्टी के भीतर असहज स्थिति पैदा कर दी है, क्योंकि एक तरफ उन्हें वरिष्ठ नेता का सम्मान बनाए रखना है और दूसरी ओर प्रशासन के साथ संतुलन भी जरूरी है.

फिलहाल सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि क्या पार्टी और सरकार मिलकर इस विवाद को सुलझा पाएंगे, या कंवर का धरना राज्य की राजनीति को और गरमा देगा.

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