हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पर सस्पेंस, राव नरेंद्र सिंह को मिल सकती है कमान? नेता प्रतिपक्ष में ये नाम आगे!

हरियाणा कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर चल रहा सस्पेंस खत्म हो सकता है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा नेता प्रतिपक्ष बन सकते हैं, जबकि राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है.

Congress suffered massive setback in Haryana
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हरियाणा कांग्रेस में लंबे समय से चल रहा प्रदेश अध्यक्ष पद का इंतजार अब खत्म होता दिख रहा है. सूत्रों के अनुसार, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह को हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है. हालांकि, आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन वरिष्ठ पत्रकार आदेश रावल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर इस बात का संकेत दिया है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधायक दल के नेता (नेता प्रतिपक्ष) और राव नरेंद्र सिंह प्रदेश अध्यक्ष होंगे.

हुड्डा नेता प्रतिपक्ष, राहुल गांधी का ओबीसी दांव

प्रदेश कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष को लेकर स्थिति काफी हद तक स्पष्ट है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही इस पद पर बने रहेंगे. वहीं, प्रदेश अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी की विशेष रणनीति नजर आ रही है. दरअसल, राहुल गांधी हरियाणा में ओबीसी (बैकवर्ड) समुदाय को नेतृत्व देना चाहते हैं, ताकि कांग्रेस के पारंपरिक दलित-जाट समीकरण से हटकर एक नया सामाजिक आधार तैयार किया जा सके. इसी रणनीति के तहत राव नरेंद्र सिंह का नाम तेजी से आगे बढ़ा है.

कौन हैं राव नरेंद्र सिंह? 

राव नरेंद्र सिंह हरियाणा की राजनीति में कोई नया नाम नहीं हैं. वह तीन बार विधायक रह चुके हैं और एक बार मंत्री भी. उन्होंने 2009 से 2014 के दौरान हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजका) के टिकट पर नारनौल से चुनाव जीता था. बाद में वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया. इससे पहले वह 1996 और 2000 में अटेली से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे.

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उनके परिवार का भी राजनीति से गहरा नाता है. उनके पिता राव बंसी सिंह भी दो बार विधायक रहे हैं,  एक बार विशाल हरियाणा पार्टी से (1972) और एक बार कांग्रेस से (1991).

क्यों राव नरेंद्र सिंह का नाम आगे? 

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में तीन मुख्य नाम थे – राव नरेंद्र सिंह, राव दान सिंह और कैप्टन अजय सिंह यादव. सभी दक्षिण हरियाणा से हैं. राव दान सिंह का नाम पहले जोरों पर था, लेकिन उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस और BJP से रिश्तेदारी की अफवाहों ने उन्हें पीछे कर दिया.

अब राव नरेंद्र सिंह को दूसरी प्राथमिकता दी गई है. हुड्डा गुट अभी भी राव दान सिंह को पसंद करता है. लेकिन आलाकमान का झुकाव ओबीसी चेहरे की ओर है. ऐसा करने के पीछ अहिरवाल बेल्ट (रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम) में वोट बैंक मजबूत करने के लिए है. यादव समाज ने 2014 तक कांग्रेस को मजबूत समर्थन दिया था, लेकिन अब BJP की ओर झुकाव है.

केसों का साया और राव दान सिंह से मुकाबला

हालांकि, राव नरेंद्र सिंह की राह इतनी आसान नहीं है. उनके खिलाफ गुरुग्राम में स्टेट विजिलेंस थाने में 2016 में एक एफआईआर दर्ज हुई थी. यह मामला 2013 के CLU (चेंज ऑफ लैंड यूज) घोटाले से जुड़ा है, जब आईएनएलडी ने एक सीडी जारी कर दावा किया था कि राव नरेंद्र सिंह पैसे की मांग कर रहे हैं. जांच में सीडी को सही पाया गया, जिसके बाद केस दर्ज हुआ. इस मामले में राव नरेंद्र सिंह सहित कई तत्कालीन कांग्रेस विधायक शामिल हैं और अभी भी कोर्ट में चल रहा है. सभी ने हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले रखी है.

अब देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी कब इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर आधिकारिक ऐलान करती है और क्या राव नरेंद्र सिंह के सिर पर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष का ताज सजता है.


 

 
 
 

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