हरियाणा: PM-CM तक पहुंची शिकायत, MDU कुलपति पर महिला प्रोफेसर ने लगाए गंभीर आरोप, यूनिवर्सिटी में खलबली!

MDU Rohtak Controversy: एमडीयू रोहतक के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह पर एक महिला प्रोफेसर ने मानसिक उत्पीड़न और पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं. प्रोफेसर ने पीएम, राज्यपाल और महिला आयोग सहित कई संस्थाओं को शिकायत भेजकर निष्पक्ष जांच की मांग की है.

MDU Rohtak Controversy
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MDU Rohtak Controversy: हरियाणा की चर्चित महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) एक बार फिर गंभीर आरोपों को लेकर सुर्खियों में है. हाल ही में पीएचडी स्कॉलर पर हुए हमले का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब यूनिवर्सिटी के कुलपति पर ही सवाल खड़े हो गए हैं.

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महिला प्रोफेसर ने लगाए गंभीर आरोप

शिकायत करने वाली महिला प्रोफेसर यूनिवर्सिटी के ही एक विभाग में विभागाध्यक्ष (HOD) के पद पर तैनात हैं. उन्होंने कुलपति प्रो. राजबीर सिंह पर मानसिक उत्पीड़न और पद के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रोफेसर का कहना है कि बीते करीब 10 से 11 महीनों से उन्हें लगातार दबाव और धमकियों का सामना करना पड़ रहा है.

संवैधानिक संस्थाओं को भेजी गई शिकायत

महिला प्रोफेसर ने इस मामले को लेकर न्याय की गुहार लगाई है. उन्होंने अपनी लिखित शिकायत सीधे प्रधानमंत्री, हरियाणा के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को भेजी है. इसके अलावा, महिला आयोग और अन्य कई प्रशासनिक संस्थाओं को भी पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी गई है. प्रोफेसर ने कुलपति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.

POSH Act और UGC नियमों के उल्लंघन का आरोप

शिकायत पत्र में कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह मामला कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले लैंगिक उत्पीड़न से जुड़ा है. इसमें POSH एक्ट 2013 और यूजीसी (UGC) रेगुलेशन 2015 के नियमों की अनदेखी का आरोप है. साथ ही, भारतीय न्याय संहिता की धारा 351 के तहत आपराधिक धमकी की बात भी कही गई है.

महिला प्रोफेसर का कहना है कि विश्वविद्यालय के भीतर इस मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. इसलिए, उन्होंने एक उच्चस्तरीय बाहरी जांच समिति (External Inquiry Committee) गठित करने की मांग की है. उनका कहना है कि जब तक जांच बाहर के अधिकारी नहीं करेंगे, तब तक कुलपति के प्रभाव के चलते न्याय मिलना मुश्किल है.

प्रशासन की चुप्पी

इस पूरे मामले में अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन या कुलपति की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. प्रशासन की चुप्पी को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं.

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