दुनिया का पहला सफेद बाघ है रीवा का ‘मोहन’ जिसने दुनिया को दिए व्हाइट टाइगर
World Tiger Day 2023: सफेद बाघ (White Tiger) के लिये रीवा दुनियाभर में मशहूर है. रीवा में जन्मे सफेद बाघ के वंशज पूरी दुनिया मे चर्चित हैं. रीवा (Rewa) के महाराजा मार्तण्ड सिंह ने व्हाइट टाइगर पकड़कर दुनिया को इसकी पहचान कराई थी. इसके पहले सिर्फ व्हाइट टाइगर की कहानियां कही जाती थी. इसको नाम […]
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World Tiger Day 2023: सफेद बाघ (White Tiger) के लिये रीवा दुनियाभर में मशहूर है. रीवा में जन्मे सफेद बाघ के वंशज पूरी दुनिया मे चर्चित हैं. रीवा (Rewa) के महाराजा मार्तण्ड सिंह ने व्हाइट टाइगर पकड़कर दुनिया को इसकी पहचान कराई थी. इसके पहले सिर्फ व्हाइट टाइगर की कहानियां कही जाती थी. इसको नाम दिया था ‘मोहन’, इसकी संतानें दुनियाभर में फैली हुई हैं. विश्व टाइगर दिवस (World Tiger Day) के मौके पर पेश है सफेद बाघ मोहन और उसके चर्चित होने की कहानी….
दुनिया में पाये जाने वाले बाघों से अलग 9 फीट लम्बा, गुलाबी नाक, सफेद रंग, लम्बा जबड़ा, नुकीले दांत…यही है सफेद बाघों का जनक ‘मोहन’. मोहन की कहानी रीवा से शुरू होती है, जो पूरी दुनिया में मशहूर है. 1951 में इसे सीधी के बरगड़ी के जंगल से महाराजा मार्तण्ड सिंह ने शिकार के दौरान पकड़ा था.
दुनियाभर में फैले मोहन के वंशज
मोहन ऐसा पहला सफेद बाघ था, जिसे जीवित रूप में पकड़ा गया था. रीवा के महाराजा मार्तण्ड सिंह ने मोहन को गोविंदगढ़ के किले में रखने के लिए ‘बाघ महल’ बनावाया. यहां बाघ की ब्रीडिंग शुरू की गई और 34 व्हाइट टाइगर जन्मे. इन्हें एक-एक करके इंग्लैड, अमेरिका और यूरोप देशों में भेजा गया. सफेद बाघ होने की आश्चर्यजनक खबर सुनकर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू रीवा आए थे. महाराज मार्तंड सिंह ने इन्हे बाघ उपहार में दिए थे. बाघ की खरीदी बिक्री भी यहां शुरू हुई. ब्रिटेन की महारानी को बाघ की ट्रॉफी भेंट की गई. इस तरह से मोहन की संताने दुनियाभर में फैल गईं.
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रविवार को व्रत रखता था मोहन
प्रतिदिन 10 किलो बकरे का गोश्त, दूध, अंडे मोहन का प्रिया आहार था लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि मोहन रविवार को कुछ नहीं खाता था सिर्फ दूध पिया करता था. 16 वर्षीय सफेद बाघ मोहन की राधा, सुकेशी और बेगम नाम की तीन रानियां थी. बेगम ने 14, राधा 7 और सुकेशी ने 13 सफेद बाघों को जन्म दिया था.
राजकीय सम्मान वाला मोहन
मोहन पहला बाघ है, जिसके सम्मान में राजकीय शोक किया गया था. उसकी मौत में बंदूक की सलामी दी गई थी. मोहन की कब्रगाह भी बनाई गई है. मोहन के नाम पर डाक टिकट भी जारी हो चुका है. रीवा रियासत के महाराज ने बताया की मेरे पिता महाराजा मार्तंड सिंह ने मोहन को पकड़ा था और फिर ब्रीडिंग कराई. आज दुनिया में जितने बाघ है मोहन की संताने हैं.
एक वक्त ऐसा भी आया, जब यहां एक भी टाइगर नहीं बचा था, लेकिन 44 साल बाद फिर वापसी हुई. यहां महाराज मार्तण्ड सिंह के नाम पर सफारी बनाई गई है. मोहन के नाम पर बाड़ा भी बनाया गया है, जहां व्हाइट टाइगर रखे गए हैं.
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