27 महीने बाद जेल से आकर चुनाव लड़ रहे सत्येंद्र जैन के जीतने के कितने पर्सेंट चांस?

शकूरबस्ती के मतदाता न सिर्फ हार-जीत तय करेंगे, बल्कि यह भी फैसला करेंगे कि सत्येंद्र जैन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों में कितनी सच्चाई है.

Arvind Kejriwal and Satyendra Jain
Aam Aadmi Party (AAP) Chief Arvind Kejriwal slammed the BJP in a press conference on Sunday. (Photo: PTI)
social share
google news

Shakur Basti Seat Analysis: दिल्ली के विधानसभा चुनावों में कई सीटें चर्चा का विषय बनती हैं, और शकूरबस्ती उनमें से एक है. साल 2013 के बाद यह सीट हाईप्रोफाइल बन गई, जब आम आदमी पार्टी (AAP) के सत्येंद्र जैन ने यहां जीत दर्ज की और लगातार तीन बार मंत्री बने. AAP जिस स्वास्थ्य क्रांति का दावा करती है, उसका श्रेय भी सत्येंद्र जैन को दिया जाता है. लेकिन सत्येंद्र जैन का राजनीतिक सफर विवादों से भी घिरा रहा. उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में 27 महीने जेल में बिताने पड़े.  

अब जब वे जमानत पर बाहर हैं और सीधे चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, सवाल यह है कि क्या वे इस बार चुनाव जीत पाएंगे? आइए, शकूरबस्ती सीट का पूरा समीकरण समझते हैं.  

शकूरबस्ती सीट से कौन हैं आमने-सामने?  

पार्टी उम्मीदवार
AAP सत्येंद्र जैन
BJP कर्नैल सिंह
कांग्रेस सतीश लूथरा

पिछले तीन चुनावों में शकूरबस्ती सीट का प्रदर्शन 

साल पार्टी उम्मीदवार मार्जिन
2013 AAP सत्येंद्र जैन 7062 वोट
2015 AAP सत्येंद्र जैन 3133 वोट
2020 AAP सत्येंद्र जैन 7592 वोट

साल 2013 से AAP ने इस सीट पर अपना वर्चस्व बनाए रखा है.  

2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजे  

पार्टी उम्मीदवार कुल वोट
AAP सत्येंद्र जैन 51165 वोट
BJP एस.सी. वत्स 43573 वोट
कांग्रेस देव राज अरोड़ा 3382 वोट

हालांकि सत्येंद्र जैन ने जीत दर्ज की, लेकिन मार्जिन कम रहा.  

यह भी पढ़ें...

शकूरबस्ती सीट का समीकरण  

शकूरबस्ती विधानसभा क्षेत्र तीन वार्डों में बंटा हुआ है और यहां की आबादी विविध है.  
- जातीय समीकरण: 
  - 14% पंजाबी वोटर  
  - 12% वैश्य वोटर  
  - 6% ब्राह्मण  
  - 7% गुर्जर  
  - 6% जाट  
  - 12% दलित  
  - 5% मुस्लिम  
  - 15% प्रवासी वोटर  

- क्षेत्र का भूगोल:  
  - कच्ची कॉलोनियों की अच्छी खासी संख्या  
  - मिक्स आबादी वाला क्षेत्र  

सत्येंद्र जैन के पक्ष में काम करने वाले फैक्टर  

1. सियासी कद: लगातार तीन बार मंत्री रहे हैं.  
2. स्थानीय विकास का वादा: जनता के बीच यह संदेश है कि जैन जीतने पर फिर मंत्री बन सकते हैं.  
3. पार्टी की पकड़: AAP का मजबूत नेटवर्क.  

सत्येंद्र जैन के खिलाफ काम करने वाले फैक्टर 

1. बीजेपी का बढ़ता प्रभाव: 
   - 2024 लोकसभा चुनाव में शकूरबस्ती क्षेत्र से बीजेपी आगे रही थी.  
   - 2022 के निगम चुनाव में AAP ने शकूरबस्ती के तीनों वार्ड हारे.  
2. छवि पर असर:  
   - भ्रष्टाचार के आरोप और 27 महीने जेल में रहना.  
   - लंबे समय तक क्षेत्र में काम न हो पाने का असर.  
3. 11 साल की सत्ता विरोधी लहर  
4. कम मार्जिन:*सत्येंद्र जैन तीनों बार बेहद कम मार्जिन से जीते हैं.  

क्या कहती है जनता?

इस बार मुकाबला कांटे का है. शकूरबस्ती के मतदाता न सिर्फ हार-जीत तय करेंगे, बल्कि यह भी फैसला करेंगे कि सत्येंद्र जैन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों में कितनी सच्चाई है. AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल के बयान को याद करते हुए, यह चुनाव जनता की अदालत बन चुका है.  

    follow on google news