बिहार चुनाव में हार के बाद जन सुराज क्या करेगी? प्रशांत किशोर का नया प्लान तैयार!

बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद प्रशांत किशोर और जन स्वराज पार्टी अब नतीजों की समीक्षा में जुटी है और आगे की रणनीति तलाश रही है. पार्टी भले ही बिहार छोड़ने से इनकार कर रही हो, लेकिन सवाल यह है कि प्रशांत किशोर अगला बड़ा राजनीतिक कदम कब और कैसे उठाएंगे.

प्रशांत किशोर का बिहार चुनाव में मिली हार के बाद क्या है प्लान
प्रशांत किशोर का बिहार चुनाव में मिली हार के बाद क्या है प्लान
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बिहार विधानसभा चुनाव में जन स्वराज और उसके सूत्रधार प्रशांत किशोर खूब चर्चा में रहे लेकिन नतीजे आने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आगे प्रशांत किशोर क्या करेंगे? चुनाव खत्म होते ही इसे लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की अटकलें तेज हो गई हैं.

एक तरफ यह कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर फिर से चुनावी रणनीतिकार की भूमिका में लौट सकते हैं. हालांकि जिन राज्यों से उनका नाम जोड़ा जा रहा है, वहां अभी चुनाव में वक्त है. वहीं दूसरी तरफ खुद प्रशांत किशोर ने बिहार को लेकर बड़ा दावा किया था कि विधानसभा चुनाव के बाद वह मकर संक्रांति से दोबारा पदयात्रा शुरू करेंगे. 

इस यात्रा के जरिए वह खास तौर पर उन महिलाओं से संपर्क करेंगे, जिन्हें सरकार की ओर से 10 हजार रुपये तो मिले हैं, लेकिन जिनके एक लाख रुपये अभी बाकी हैं.

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अपनी हार पर पार्टी कर रही पड़ताल

लेकिन असली सवाल सिर्फ पदयात्रा का नहीं है. जन स्वराज पार्टी अब इस बात की गंभीर पड़ताल कर रही है कि बिहार विधानसभा चुनाव में आखिर हार क्यों हुई. सोशल मीडिया पर जबरदस्त समर्थन, जनसभाओं में भीड़ और जमीनी स्तर पर चर्चा के बावजूद यह समर्थन वोट में क्यों नहीं बदला? आंकड़े बताते हैं कि जन स्वराज को पूरे बिहार में करीब 16 लाख 77 हजार वोट मिले जो कुल मतदान का सिर्फ 5 प्रतिशत के आसपास रहा. इस वजह से चुनावी नतीजों पर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हो सका.

236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त 

238 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जन स्वराज पार्टी के 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. सिर्फ एक सीट पर पार्टी का उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा. दो सीटों पर जरूर ऐसा हुआ जहां जन स्वराज के उम्मीदवारों की वजह से हार-जीत का समीकरण बदल गया और जहां एनडीए जीत रही थी, वहां महागठबंधन को फायदा हुआ.

फिलहाल दिल्ली में हैं प्रशांत किशोर

चुनाव के बाद प्रशांत किशोर फिलहाल दिल्ली में हैं. यहां उनकी मुलाकात अलग-अलग राज्यों के नेताओं से हो रही है. राजस्थान से लेकर दक्षिण भारत तक कई दलों के नेता उनसे बातचीत कर रहे हैं. चर्चा है कि राजस्थान में वह तीसरे मोर्चे के विकल्प पर काम कर सकते हैं और वहां चुनावी कैंपेन संभाल सकते हैं. वहीं साउथ इंडिया में भी कुछ नेताओं के लिए रणनीति बनाने की संभावना जताई जा रही है.

लेकिन सबसे अहम सवाल बिहार का ही है. जिस बिहार को बदलने की बात प्रशांत किशोर बार-बार करते रहे उसे वह आगे कैसे बदलेंगे? पार्टी ने हार की समीक्षा के लिए जिलावार जिम्मेदारियां तय की हैं. अलग-अलग नेताओं को कहा गया है कि वे कार्यकर्ताओं से राय लें और हार की वजहों पर रिपोर्ट तैयार करें. 15 जनवरी तक सभी रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को सौंपी जाएंगी जिसके बाद अंतिम रिपोर्ट प्रशांत किशोर को दी जाएगी.

पंचायत चुनावों में कुछ उम्मीदवारों को समर्थन 

हालांकि हार तो हो चुकी है, लेकिन अब आगे की राह क्या होगी, इस पर असमंजस बना हुआ है. जन स्वराज के साथ काम कर रही बड़ी टीम भी यही सोच रही है कि बिहार की राजनीति में पार्टी का भविष्य क्या होगा. प्रशांत किशोर बार-बार कह रहे हैं कि वह बिहार छोड़कर नहीं जाएंगे और बिहार की राजनीति करते रहेंगे. लेकिन सवाल यह है कि क्या इसके लिए अगले चुनाव तक पूरे पांच साल का इंतजार किया जाएगा?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर पंचायत चुनावों में कुछ उम्मीदवारों को समर्थन दे सकते हैं. हालांकि बिहार में पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं होते, उम्मीदवार निर्दलीय ही लड़ते हैं. ऐसे में बाद में यह कहा जा सकता है कि ये जन स्वराज समर्थित उम्मीदवार थे लेकिन इसमें भी अभी वक्त है.

कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की अगली चाल को लेकर सबकी नजर टिकी है. सवाल यही है कि जो प्रशांत किशोर हर पांच साल में अपनी रणनीति से सुर्खियों में रहते हैं, क्या वह बिहार के लिए एक बार फिर लंबा इंतजार करेंगे या इससे पहले कोई बड़ा सियासी कदम उठाएंगे.

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