SIR-वोट चोरी पर मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकता है विपक्ष
राहुल गांधी के 'वोट चोरी' आरोप के बीच विपक्ष SIR प्रक्रिया और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है. चुनाव आयोग ने आरोपों को खारिज करते हुए निष्पक्षता से काम जारी रखने की बात कही है.
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया था. इसके बाद बिहार में चुनाव से चार महीने पहले SIR की प्रक्रिया शुरू की गई जिसे लेकर विपक्ष लगातार चुनाव आयोग पर निशाना साधते नजर आते रहे है.
इस बीच सूत्रों की मानें तो देश में 'वोट चोरी और SIR मामले पर विपक्ष एकजुट हो गया है और मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है.
कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने इस महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस विषय पर पार्टी के भीतर अभी तक कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है, लेकिन अगर जरूरत पड़ती है तो नियमों के अनुसार कांग्रेस महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है.
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चुनाव आयोग ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
वहीं भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने रविवार यानी 17 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये साफ कर दिया है कि आयोग उस पर लगाए जा रहे ‘वोट चोरी’ के आरोपों से बिल्कुल नहीं डरता है और न ही मतदाता डरने वाले हैं.
चुनाव आयोग ने इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश की जनता से अपील करते हुए कहा कि वे संविधान में मिले अधिकार का इस्तेमाल करते हुए हर हाल में मतदान करें. साथ ही कहा कि राजनीतिक दलों का पंजीकरण इलेक्शन कमीशन ही करता है और उसकी नजर में न कोई पक्ष है, न विपक्ष है, सभी समकक्ष हैं.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिए आरोपों के जवाब
वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इन आरोपो को झूठा ठहराते हुए कहा कि इसका असर न आयोग पर होगा, न ही मतदाताओं पर. उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए निडर होकर और निष्पक्षता से काम करते रहेंगे. ज्ञानेश कुमार ने दोहराया कि इलेक्शन कमीशन का काम राजनीति करने वालों से प्रभावित हुए बिना सभी वोटर्स के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है.
SIR के खिलाफ विपक्ष ने खोला मोर्चा
एक तरफ जहां राहिल गांधी वोट चोरी का आरोप लगा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक चार महीने पहले इलेक्शन कमीशन ने वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है, इस प्रक्रिया विपक्षी दल कड़ा विरोध कर रहे हैं. इस मुद्दे पर संसद के मानसून सत्र में भी बहस छिड़ गई है और मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है.
चुनाव आयोग ने इस विषय पर कहा कि इस प्रक्रिया का एक ही मकसद है और वो है सिर्फ ये सुनिश्चित करना है कि हर पात्र नागरिक का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज हो और सभी संदिग्ध या अपात्र व्यक्तियों के नाम सूची से हटाए जाएं.
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