थलापति विजय के लिए सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा #ArrestVijay लेकिन कहानी तो कुछ और ही है
तमिलनाडु की करूर रैली हादसे के बाद थलापति विजय पर गिरफ्तारी की मांग उठी और सोशल मीडिया पर #ArrestVijay ट्रेंड करने लगा, लेकिन राजनीति में उलटफेर ऐसा हुआ कि विरोधी भी विजय के साथ खड़े नजर आए. जानिए क्यों बढ़ रहा विजय का कद.

पुष्पा 2 की रिलीज के मौके पर भगदड़ मची तो एक्टर अल्लू अर्जुन को जेल जाना पड़ा. आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी के रोड शो में कार्यकर्ता गाड़ी के नीचे आया तो जगन पर एफआईआर हो गई. करूर हादसे की जांच लिए जो एफआईआर दर्ज हुई है उसमें टीवीके के तीन नेताओं के नाम हैं, लेकिन पार्टी चीफ और रैली के हीरो थलापति विजय का नाम तक नहीं है.
सोशल मीडिया पर विजय की गिरफ्तारी की मांग के लिए मुहिम चल रही है. हैशटैग अरेस्ट विजय ट्रेंड कर रहा है. पोस्टर लगे हैं जिसमें आरोप लगे हैं कि विजय के हाथ खून से रंगे हैं. करूर की रैली में हुआ वो थलापति विजय की राजनीति को टेकऑफ होते पंचर लगाने के लिए काफी है.
राजनीति में 36 के आंकड़े वाले भी विजय को नहीं घेर रहे
राजनीति तो यही है कि करुर हादसे के बाद सब मिलकर विजय को टांग देते, लेकिन हो रहा है एकदम उलट. विजय जिनसे राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे हैं उनमें से कोई भी विजय पर कीचड़ नहीं उछाल रहा है, बल्कि हादसे के शिकार लोगों के साथ-साथ विजय से भी सहानुभूति जता रहे हैं. हो सकता है ये अच्छी राजनीति भी हो, लेकिन ये अच्छी राजनीति से कहीं ज्यादा थलापति विजय के संभावित धमाकेदार डेब्यू से जुड़ा है.
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राहुल गांधी ने भी बांटा दर्द
राहुल गांधी ने विजय से फोन पर बात करके हादसे का दर्द बांटा. ये जानते हुए भी कि विजय डीएमके-कांग्रेस को हराने के लिए पूरा जोर लगाए हैं. राहुल और विजय की कभी कोई पर्सनल केमेस्ट्री भी रही, इसकी कोई जानकारी नहीं. ये जरूर है कि विजय ने राहुल गांधी के कई मुद्दों से सहमति जताई. राहुल के विपक्ष का नेता बनने पर बधाई भी दी थी. करूर की कांग्रेस सांसद ज्योतिमणि ने विपक्ष के नेता ईपीएस को रगड़ा कि उनकी करूर की रैली में तो सब ठीक रहा तो ये कैसे हो गया?
भगदड़ के पीछे कोई साजिश?
बीजेपी थलापति विजय की उस थ्योरी के साथ हो गई है कि भगदड़ के पीछे साजिश हो सकती है. विजय की पार्टी मद्रास हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग लेकर पहुंची है. बीजेपी भी सीबीआई जांच की मांग कर रही है. करूर हादसे की सीबीआई जैसी जांच होगी या नहीं, ये हाईकोर्ट तय करेगा. तब तक तमिलनाडु सरकार ने हादसे की जांच के लिए मद्रास हाईकोर्ट की जज जस्टिस अरुणा जगदीशन की अध्यक्षता में वन मेंबर जांच कमीशन बनाया है.
अन्नामलाई ने विजय को दी नसीहत
अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि डीएमके पुलिस-प्रशासन के बंदोबस्त में कमी रही. अन्नामलाई ने कहा कि विजय का कोई फॉल्ट नहीं था. बस उन्हें वीकएंड में और शाम के वक्त रैलियां नहीं करनी चाहिए. दिन में रैलियां करेंगे तो लोग उन्हें आसानी से देख पाएंगे.
सीएम स्टालिन भी करुर मामले पर विजय के प्रति सॉफ्ट रहे
तमिलनाडु की चुनावी लड़ाई में विजय ने कसम खाई है स्टालिन की डीएमके सरकार को हटाने की, लेकिन सीएम स्टालिन और उनके डिप्टी सीएम बेटे उदयनिधि स्टालिन ने भी विजय पर कोई कसूर नहीं मढ़ा. सीएम स्टालिन करुर गए. हादसे में मारे लोगों को श्रद्धांजलि दी. परिवारवालों को हिम्मत बंधाया.
सीएम स्टालिन ने विजय पर कोई आरोप लगाए बिना कहा कि कोई नेता कभी नहीं चाहेगा कि उसके फॉलोअर्स या बेकसूर नागरिकों की जान जाए. सीएम ने लोगों से अपील की कि गैर-जिम्मेदार, दुर्भावनापूर्ण समाचार से सतर्क रहने की जरूरत है. जांच कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद वो पार्टियों और सार्वजनिक संगठनों से मिलकर बात करके गाइडलाइन बनाएंगे कि ऐसे हादसे न हों. इस मौके पर राजनीति, राजनीतिक विरोध, पर्सनल दुश्मनी को भूलकर लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए.
विरोधी भी विरोध नहीं कर रहे...इसे क्या समझा जाए
इस पॉलिटिक्स के पीछे विजय का स्टारडम नहीं, उनकी उभरती राजनीति ताकत है जो उनके नाम पर जुट रही है. विजय ने किसी ने अलायंस नहीं किया, लेकिन विजय चुनाव में प्लेयर हो सकते हैं, यही सारी पार्टियों का डर है. अमित शाह से विजय के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ कहा नहीं. तमिलनाडु बीजेपी के बड़े नेता अन्नामलाई वीकएंड पॉलिटिशियन जैसे आरोप लगाते हैं लेकिन पार्टी ने एकदम से विजय के खिलाफ कोई जंग नहीं छेड़ी है. ये अपरोच तब है जब करूर रैली से ठीक पहले विजय ने बीजेपी को फासिस्ट बोलते हुए अलायंस से मना किया था.
शुरू-शुरू में ये चर्चा थी कि डीएमके हराने के लिए विजय और aiadmk हाथ मिला सकते हैं लेकिन विजय ने कोई जोश नहीं दिखाया. ईपीएस के पास कोई और चारा नहीं बचा तो उन्होंने बीजेपी से अलायंस कर लिया. ये जानते हुए भी अलायंस नैचुरल नहीं है. ईपीएस ने कुछ वक्त पहले AIADMK कैडर को हिदायत दी थी कि विजय के खिलाफ ज्यादा क्रांतिकारी होने की जरूरत नहीं. करूर में इतने बड़े हादसे के बाद ईपीएस पलानीस्वामी ने भी विजय के खिलाफ जहर नहीं उगला. पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के लिए डीएमके सरकार को कसूरवार ठहराया.
डीएमके, कांग्रेस, बीजेपी, AIADMK-सबकी राजनीति फेल करते तमिलनाडु की सत्ता पर नजर टिकाकर थलापति विजय एक्टिंग से राजनीति में आए. अब तो करूर का हादसा हो गया तो नजरों में आ गए विजय. जब करूर नहीं भी हुआ था तब भी विजय सबकी नजरों में चढ़े थे. अलायंस की पॉलिटिक्स के दौर में थलापति ने बड़ा रिस्क लिया अकेले चुनाव में उतरने का. उन लाखों फैंस के भरोसे जिन्होंने विजय चंद्रशेखर को थलापति बना दिया. अब उनकी एक झलक पाने की होड़ जानलेवा साबित हुई. विजय को इसका राजनीतिक फायदा होगा या लोगों का गुस्सा झेलना पड़ेगा, ये चुनाव से पहले कहां पता चल पाएगा.
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