अवधेश प्रसाद संभालेंगे सदन! स्पीकर ओम बिरला ने अपने पैनल में किया शामिल

रूपक प्रियदर्शी

स्पीकर ओम बिरला ने बजट सेशन के जो 9 पीठासीन अधिकारी बनाए हैं उनमें अवधेश प्रसाद भी शामिल हैं. इसी पैनल में जगदंबिका पाल, पीसी मोहन, संध्या राय, दिलीप साइकिया, कुमारी शैलजा, ए राजा, काकोली घोष, कृष्णा प्रसाद टेनी जैसे सीनियर सांसद स्पीकर की गैरमौजूदगी में लोकसभा चलाने के लिए नियुक्त हुए हैं.

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Loksabha: 18वीं लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी सनसनी हैं अवधेश प्रसाद पासी. अवधेश पासी उस समय चर्चा में आए जब वे बीजेपी को हराकर अयोध्या (फैजाबाद) लोकसभा सीट से जीत गए. एक सीट की हार ने बीजेपी की 240 सीटों पर जीत को फीका किया हुआ है. राजनीति में अवधेश पासी गजब वायरल हो रखे हैं. ताबड़तोड़ प्रमोशन मिल रहा है अवधेश प्रसाद को. 

स्पीकर सीट पर बैठेंगे अवधेश प्रसाद

सबसे लेटेस्ट प्रमोशन है अवधेश प्रसाद का उस सीट तक पहुंच जाना जहां बैठते हैं लोकसभा स्पीकर. लोकसभा-राज्यसभा में ऐसा सिस्टम है कि सदन चलाने के लिए स्पीकर या सभापति कुछ सीनियर सांसदों का एक पैनल बनाते हैं जो उनकी गैरमौजदूगी में सदन को संचालित करते हैं. सत्ता और विपक्ष के सांसदों को मिलाकर ये पैनल बनता है जिसे पीठासीन कहा जाता है. जब तक कोई भी पीठासीन स्पीकर की कुर्सी पर है उसी सम्मान, अधिकार का अधिकारी होता है जो स्पीकर को मिलता है.

स्पीकर ओम बिरला ने बजट सेशन के जो 9 पीठासीन अधिकारी बनाए हैं उनमें अवधेश प्रसाद भी शामिल हैं. इसी पैनल में जगदंबिका पाल, पीसी मोहन, संध्या राय, दिलीप साइकिया, कुमारी शैलजा, ए राजा, काकोली घोष, कृष्णा प्रसाद टेनी जैसे सीनियर सांसद स्पीकर की गैरमौजूदगी में लोकसभा चलाने के लिए नियुक्त हुए हैं. 

मुलायम सिंह के करीबी रहे हैं अवधेश प्रसाद

अवधेश प्रसाद ने अयोध्या में बीजेपी को हराया, इसलिए वो स्पीकर की कुर्सी पर बैठने के अधिकारी नहीं बने. लंबे राजनीतिक करियर से काबिल साबित हुए. 1974 में पहला चुनाव लड़े और 1997 में पहला चुनाव जीते. तब से 9 बार विधायक बने. सात बार सोहावल से और 3 बार मिल्कीपुर सीट से जीते. 6 बार यूपी सरकार के मंत्री रहे. मुलायम सिंह यादव के बेहद पुराने वफादार रहे. 1992 में मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी बनाई तो तब से अवधेश प्रसाद जुडे हुए हैं.

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राम नाम की राजनीति कर रही बीजेपी को अयोध्या में हराना इतनी बड़ी बात हो गई कि अवधेश प्रसाद सेलिब्रिटी बन गए. इंडिया गठबंधन और समाजवादी पार्टी के पोस्टर बॉय बन गए हैं. संसद के सबसे वायरल सांसद हैं जिनसे सोनिया गांधी को भी मिलने आना पड़ा. 

अखिलेश ने खेला था मास्टरस्ट्रोक

बीजेपी के खिलाफ अवधेश प्रसाद की जीत इंडिया गठबंधन के लिए जितना बड़ी मास्टर स्ट्रोक बनी , फैजाबाद लोकसभा सीट पर अवधेश प्रसाद पासी की उम्मीदवारी उससे भी बड़ा मास्टरस्ट्रोक थी. अखिलेश यादव ने बड़ा बोल्ड फैसला लिया था कि फैजाबाद जैसा अनरिजर्व सीट पर एक दलित उम्मीदवार को चुनाव लड़ाकर. मथुरा न काशी, अबकी बार अवधेश पासी-इसी नारे से अयोध्या में राजनीतिक चमत्कार हुआ जिससे बीजेपी बैकफुट पर आ गई. सांसद बनने के बाद अखिलेश और अवधेश ने एक साथ यूपी विधानसभा से इस्तीफा दिया

लोकसभा चुनाव से पहले अवधेश प्रसाद चर्चा में आए थे. हुआ ये कि अखिलेश यादव अवधेश प्रसाद के लिए चुनाव प्रचार के लिए आए लेकिन भूल गए कि वो विधायक हैं या पूर्व विधायक. अवधेश प्रसाद ने टोककर याद दिलाया कि वो सपा के मौजूदा विधायक हैं. 

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