इंडिगो क्राइसिस ने उड़ाई सरकार की नींद, राहुल के ‘मोनोपॉली’ तंज के बाद क्यों घिर गए एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू?
इंडिगो क्राइसिस के बाद उड़ान रद्द होने से नाराजगी सीधे सरकार और सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू पर टूट पड़ी, जिससे मामला राजनीतिक रंग ले गया. राहुल गांधी के मोनोपॉली वाले बयान के बाद विवाद और भड़क गया और टीडीपी मंत्री को बचाव में उतरना पड़ा.

4 दिन पहले तक देश के एविएशन सेक्टर में इंडियो शाइनिंग इंडिया का सिंबल कंपनी थी. एक साथ झटके में हजारों फ्लाइट्स रद्द हुईं तो इंडिगो पर देश का गुस्सा फूट रहा है. इस विवाद में राहुल गांधी कूद गए ये कहते हुए कि ये सब मोनोपॉली के कारण हुआ है. राहुल के मोनोपॉली बोलते ही इंडिगो क्राइसिस मोदी सरकार से चिपक गया.
सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू किंजारापु निशाने पर आ गए. सोशल मीडिया पर भयंकर ट्रोलिंग चल रही है. उनका हर बयान उन्हें इंडिगो के सताए ट्रोल्स का फेवरेट बना रहा है. लोग जितना गुस्सा इंडिगो पर निकाल रहे हैं उतना ही गुस्सा सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू पर फूट रहा है. राम मोहन नायडू से सवाल ये कि अगर सरकार है तो कैसे इतना बड़ा इंडियो क्राइसिस शुरू हो गया.
राम मोहन नायडू टीडीपी नेता हैं. चंद्रबाबू नायडू के बेहद प्रिय हैं. जब निशाने पर राम मोहन नायडू आ गए तो पूरा टीडीपी उनके बचाव में उतर आई है. बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब राम मोहन के बचाव में चंद्रबाबू नायडू के बेटे और आंध्र के पावरफुल मंत्री नारा लोकेश ने स्टैंड लिया. सवाल पूछे जा रहे हैं कि इंडिगो क्राइसिस में नारा लोकेश का क्या काम है.
यह भी पढ़ें...
टीडीपी के समर्थन से चल रही है मोदी सरकार
राम मोहन नायडू जिस टीडीपी के नेता हैं उनके समर्थन से मोदी सरकार चल रही है. चंद्रबाबू नायडू ने मांगकर सिविल एविएशन जैसा मंत्रालय लिया. ये ऐसा मंत्रालय है जिसके पास उड़ाने के लिए विमान नहीं है. उसका काम एविएशन को रेग्युलेट करना. इंडिगो क्राइसिस में यही काम नहीं कर पाई सरकार और सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू. राहुल ने जब मोनोपॉली का ताना दिया तो राम मोहन नायडू सरकार के बचाव में सिर्फ इतना कह पाएं कि उन्हें राजनीति नहीं करनी चाहिए। इससे पहले अहमदाबाद प्लेन क्रैश भी राम मोहन नायडू के कार्यकाल में हुआ. हालांकि एयर इंडिया अब सरकारी कंपनी नहीं रही.
चंद्रबाबू नायडू की राजनीति में राम मोहन नायडू येरन नायडू की यादों की तरह हैं. येरन नायडू अब इस दुनिया में नहीं हैं. जब तक जीवित रहे, चंद्रबाबू के साथ परछाई के साथ रहे. उनके निधन के बाद चंद्रबाबू ने 37 साल के नौजवान राम मोहन नायडू को जैसे गोद ले लिया. मुश्किल से 10 साल की राजनीति में चंद्रबाबू ने देश का सिविल एविएशन मंत्री बनाया. टीडीपी महासचिव का पद दिया हुआ है. उनके पिता येरन नायडू 1996 में पहली बार मंत्री बने तो वो भी सबसे यंग मिनिस्टर थे.
1996 से लेकर अब तक सिर्फ एक बार 2009 में हारी
टीडीपी आंध्र की श्रीकाकुलम सीट 1996 से लेकर अब तक सिर्फ एक बार 2009 में हारी. टीडीपी के सबसे मजबूत किलो में से एक श्रीकाकुलम. श्रीकाकुलम येरन नायडू की सीट हुआ करती थी. राम मोहन नायडू के पिता येरन नायडू खुद 4 बार लगातार इस सीट से जीते. 2014 के बाद तीसरी बार राम मोहन नायडू की जीत हो रही है. 2019 के चुनावों में टीडीपी के बहुत खराब प्रदर्शन के बाद भी राममोहन श्रीकाकुलम सीट जीत लाए. राममोहन नायडू से 2014 के बाद 2019 और 2024 के चुनावों में जीत हासिल करके हैट्रिक लगाई.
पता नहीं राम मोहन को राजनीति में आना था या नहीं. येरन नायडू दिल्ली में सांसद बने तो राम मोहन का एडमिशन दिल्ली के डीपी स्कूल आरके पुरम में करा दिया. अमेरिका जाकर इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग और एमबीए की डिग्री ली. सिंगापुर में जॉब करने लगे. तब तक राजनीति कहीं प्लान में थी नहीं. 2012 में रोड एक्सीडेंट में येरन नायडू की मौत के बाद जिंदगी एकदम पलट गई. चंद्रबाबू नायडू विदेश से बुलाकर राजनीति में ले आए और 2013 में श्रीकाकुलम चुनाव क्षेत्र में ड्यूटी लगा दी. फिर 2014 में सीधे लोकसभा चुनाव में उतार दिया. 26 साल में सांसद बनने वाले राम मोहन सरकार में सबसे यंग मंत्री हैं लेकिन सबसे नीश मंत्रालय संभाल रहे हैं.
राम मोहन दिल्ली की राजनीति का चेहरा होंगे
टीडीपी की राजनीति में राम मोहन नायडू का कद बड़ा है. इसीलिए जब सरकार के लिए मंत्री चुनने की बात आई तो सबसे बड़ी यूनियन मिनिस्टर की पोस्ट राममोहन नायडू को मिली. सरकार में तो राम मोहन की राजनीति ठीक चल रही है लेकिन टीडीपी के अंदर राम मोहन की सीमा है. चंद्रबाबू नायडू टीडीपी चीफ हैं. उन्होंने एक्टिव रहते हुए नारा लोकेश को पार्टी और प्रदेश चलाने के लिए तैयार कर लिया. जिस दिन चंद्रबाबू नायडू रिटायर होंगे नारा लोकेश चार्ज लेंगे. कितने भी लाडले हों राम मोहन लेकिन नारा लोकेश से आगे नहीं जा सकते. अच्छी ट्यूनिंग, सेम जेनरेशन के लोकेश और राम मोहन के लिए चंद्रबाबू ने अच्छा रास्ता निकाला. राम मोहन दिल्ली की राजनीति का चेहरा होंगे. आंध्र में नारा लोकेश ही उनके वारिस हैं और आगे भी रहेंगे.
राम मोहन नायडू की शादी भी टीडीपी परिवार में हुई. उनके ससुर बंडारू सत्यनारायण मूर्ति टीडीपी के उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री रहे हैं. बंडारू और नायडू परिवारों के बीच 30 साल से दोस्ती थी जो रिश्ते में बदल गई. 2017 में श्राव्या बंडारू से शादी हुई. श्रव्या डांसर भी हैं और इंजीनियरिंग प्रोफेशनल भी. शादी में चंद्रबाबू खुद दोनों का आशीर्वाद देने पहुंचे थे. राम मोहन के पास करीब 23 करोड़ की संपत्ति है जो उन्होंने चुनाव लड़ते समय 2024 में बताई थी.
राम मोहन नायडू एविएशन सेक्टर को लेकर बहुत ऑप्टिमिस्टिक हैं. देश में अभी 5 एयरलाइंस कंपनियां काम कर रही हैं. सबसे बड़ा 60 परसेंट मार्केट शेयर इंडिगो का है. राम मोहन नायडू मानते हैं कि भारत में एयरलाइन बिजनेस शुरू करने का ये सबसे सही और अच्छा समय है. जहां तक इंडिगो क्राइसिस का सवाल है तो उन्हें सख्त एक्शन का वादा किया हुआ है.
ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में पकड़ी गई CM पेमा खांडू की बड़ी हेराफेरी? अरुणाचल में डोलने लगी BJP की सरकार










