'चुनाव में पैसा बांटना जनकल्याण नहीं', BJP के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी का बड़ा बयान

मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि आर्थिक असमानता देश में सबसे बड़ा भेदभाव है और चुनावों में पैसा बांटना कल्याण नहीं है.

Murli Manohar Joshi
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BJP के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने देश के राजनीतिक ढांचे और विकास मॉडल पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने साफ कहा कि चुनावों के दौरान जनता में पैसा बांटना कतई जनकल्याण नहीं है. जोशी ने देश में बढ़ती आर्थिक खाई को पाटने के लिए एक बड़ा सुझाव देते हुए कहा कि भारत में मौजूदा राज्यों का पुनर्गठन कर 70 छोटे राज्य बनाए जाने चाहिए.

पूर्व चुनाव आयुक्त जी.वी.जी. कृष्णमूर्ति की 91वीं जयंती के कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. जोशी ने कहा कि संविधान सभी को वोट का अधिकार तो देता है लेकिन आर्थिक न्याय के बिना यह अधिकार अधूरा है. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि कर्नाटक या महाराष्ट्र में बैठे व्यक्ति की आर्थिक ताकत और पूर्वोत्तर या पहाड़ी इलाकों में रहने वाले व्यक्ति की ताकत में जमीन-आसमान का अंतर है. जब तक यह खाई नहीं भरेगी, लोकतंत्र के मायने अधूरे रहेंगे. उन्होंने कहा कि वोट देने का अधिकार तभी प्रभावी हो सकता है जब आर्थिक न्याय सुनिश्चित हो जैसा कि डॉ. अंबेडकर बार-बार कहते थे.

70 छोटे राज्य बनाने का सुझाव

इस समस्या का समाधान बताते हुए मुरली मनोहर जोशी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार को दोहराया. उन्होंने सुझाव दिया कि भारत में मौजूदा बड़े राज्यों को पुनर्गठित करके लगभग 70 छोटे राज्य बनाए जाने चाहिए और हर राज्य की आबादी लगभग एक बराबर होनी चाहिए. इससे संसद में सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व समान होगा और आर्थिक संसाधन भी बराबर बंटेंगे.

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सरकारों के दावों पर तंज

बिना किसी पार्टी का नाम लिए जोशी ने चुनावों में मुफ्त की योजनाओं या नकद वितरण (Freebies) पर चल रही बहस की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, "आजकल सवाल उठते हैं कि चुनाव से पहले पैसा क्यों बांटा गया? सरकारें इसे 'कल्याण' कहती हैं, जबकि आलोचक इसे 'वोट खरीदना' बताते हैं." उनका स्पष्ट मत था कि पैसे बांटने से स्थाई विकास संभव नहीं है.

'वोट के बदले नोट' पर तंज

बिना किसी दल का नाम लिए जोशी ने कहा कि आजकल पार्टियां सत्ता में बने रहने के लिए संवैधानिक नियमों का इस्तेमाल करती हैं. उन्होंने कहा, "विपक्ष कहता है आपने वोट खरीदने के लिए पैसा बांटा, सरकार कहती है यह कल्याणकारी योजना है. लेकिन सच यह है कि चुनाव में पैसा बांटने से कल्याण नहीं होता."

परिसीमन रोकने पर जताई चिंता

डॉ. जोशी ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि पहले इंदिरा गांधी और बाद में वाजपेयी सरकार के समय जनगणना और निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन (Delimitation) को रोका गया था. उन्होंने माना कि इस फैसले के कारण राज्यों के बीच आबादी और आर्थिक विकास का अंतर और गहरा हो गया है, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.

जोशी ने कहा कि इसका नतीजा यह हुआ कि जिन राज्यों ने आबादी कम की (जैसे दक्षिण भारत के राज्य) वे अमीर हो गए और जहां आबादी बढ़ी (जैसे उत्तर प्रदेश), वे गरीब रह गए. उन्होंने कहा कि यूपी के पास संसद में ताकत तो है, लेकिन आर्थिक ताकत केरल और तमिलनाडु के पास ज्यादा है. यह एक तरह का भेदभाव है जिसे खत्म करने के लिए नए सिरे से परिसीमन जरूरी है.

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