बिहार मॉडल की राह पर तेलंगाना? महिला वोटरों को साधने के लिए CM रेवंत रेड्डी ने शुरू की ये बड़ी स्कीम

Shesh bharat: तेलंगाना में कोई बड़ा चुनाव नजदीक नहीं है, फिर भी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है. राज्य सरकार ने 'इंदिरा अम्मा साड़ी वितरण कार्यक्रम' के तहत प्रदेश की गरीब महिलाओं को मुफ्त साड़ियां बांटना शुरू किया है.

CM Revanth Reddy
CM Revanth Reddy
social share
google news

Telangana saree scheme: तेलंगाना में सीएम रेवंत रेड्डी ने जो फैसला किया है वो थोड़ा अजीब है. राजनीति में जनता को गिफ्ट तब बांटे जाते हैं, जब चुनाव नजदीक आता है. दक्षिण भारत से ही ये सिस्टम शुरू हुआ था जो बिहार तक पहुंच गया. तेलंगाना में जुबली हिल्स सीट पर उपचुनाव अभी खत्म हुआ है. अब 2028 से पहले कोई विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं है. हो सकता है लोकल बॉडीज के चुनावों को ध्यान में रखकर रेवंत रेड्डी ने साड़ियों के जरिए महिलाओं तक पहुंचने की स्ट्रैटेजी बनाई हो. रेवंत ने सरकारी अधिकारियों को खास हिदायत दी है कि किसी भी हाल में महिलाओं को दी जाने वाली साड़ियों की क्वालिटी खराब नहीं होनी चाहिए.

तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के पीछे गारंटी वाले वादों को माना गया, जिसमें महिला सेंट्रिक फ्री बस योजना ही थी. बाकी सारे वादे पुरुष-महिला के लिए बने. गारंटियों ने ऐसा असर दिखाया कि तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बन गई. सरकार दावा करती है कि उसने सारी गारंटियां लागू कर दी. साड़ी कांग्रेस की किसी गारंटी में शामिल नहीं थी. अब एकदम से रेवंत रेड्डी आइडिया लेकर आए. ये संभव है कि बिहार में महिला वोटर्स को 10 हजार देने के प्रयोग के सफल होने पर ऐसा कदम उठाया हो. 

इंदिरा अम्मा साड़ी डिस्ट्रीब्यूशन प्रोग्राम क्या है?

इंदिरा अम्मा साड़ी डिस्ट्रीब्यूशन प्रोग्राम में एक करोड़ महिलाओं में एक करोड़ साड़ियां बंटनी शुरू हुई है. इंदिरा गांधी की जयंती के मौके पर शुरू हुआ ये प्रोग्राम दो फेज में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस तक चलेगा.

यह भी पढ़ें...

पहला फेज 19 नवंबर से 9 दिसंबर तक चलेगा. जिसमें गांवों में साड़ियां बांटी जाएंगी. एक मार्च से 8 मार्च तक चलने वाले दूसरे फेज में शहरी इलाकों में साड़ियां बांटी जाएगी. साड़ियां हर महिला को नहीं मिलेगी. सरकार के रिकॉर्ड में जो महिलाएं गरीब हैं उनको ही इंदिरा अम्मा साड़ियां मिलेंगी. बांटी जाने वाली साड़ियां भी महिलाओं की बनाई होगी, जो Sircilla handloom workers बनाती हैं. चूंकि एक साथ एक करोड़ साड़ियां तैयार नहीं हुईं, इसलिए पूरे प्रोग्राम को दो फेज में बांटा गया है.

साड़ियां बांटने का प्रयोग पुराना

डेक्कन क्रॉनिकल की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना की राजनीति में साड़ियां बांटने का प्रयोग पुराना है. 2017 में केसीआर की सरकार ने भी साड़ियां बांटने के लिए Bathukamma स्कीम शुरू की थी. हालांकि ये स्कीम इसलिए विवादों में रही कि केवल 290 रुपये की साड़ियां बांटी गई. महिलाओं ने शिकायत की कि बेहद खराब क्वालिटी की साड़ियां बांटी गईं. बहुत सारी महिलाओं ने या तो साड़ियां ली नहीं या साड़ियां पहनने की बजाय खेती के काम में इस्तेमाल कर लिया.

800 रुपए की साड़ी बांटी जा रही

2023 में सरकार बदलने पर रेवंत रेड्डी ने स्कीम नहीं रोकी बल्कि नाम बदलकर इंदिरा अम्मा कर दिया. पिछले साल सरकारी साड़ियां नहीं बंटी थी. सितंबर में उन्होंने 65 लाख सेल्फ हेल्फ ग्रुप की महिलाओं को 2-2 साड़ियां बांटी थी. सरकार ने 1 करोड़ 30 लाख साड़ियों का 4800 करोड़ का ऑर्डर दिया था. 9 लाख मीटर फैब्रिक से महिलाओं के लिए साड़ियां बनीं. अब सरकार ने हर साल करीब 800-800 रुपये वाली दो-दो साड़ियां बांटना तय किया है. सरकार ने हैंडलूम वर्कर्स से ही साड़ियां लेना तय किया है तो इससे भी महिलाओं को बड़ा फायदा मिलेगा.

दक्षिण भारत में पहली भी बांटी गई साड़ियां

साड़ियां महिलाओं का सबसे पसंदीदा लिबास है. दक्षिण भारत में पहले भी साड़ियां चुनावी मकसद से बांटी गई. तमिलनाडु में AIADMK चीफ ईपीएस पलानीस्वामी ने जुलाई में ही एलान कर दिया कि सरकार बनी तो नवविवाहित महिलाओं को रेशम की साड़ी और सोना दिया जाएगा. जयललिता के समय शादी सहायता स्कीम के तहत मंगलसूत्र के लिए सोना दिया जाता था. 

यह भी पढ़ें: कौन हैं फातिमा तहिलिया, जिनकी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग में दोबारा एंट्री से केरल की राजनीति में मची हलचल!

    follow on google news