संबित पात्रा से ट्रिलियन में कितने जीरो पूछने वाले गौरव वल्लभ ने कांग्रेस छोड़ी, BJP जाएंगे?
गौरव वल्लभ ने अपने पत्र में लिखा हैं कि, 'अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं. मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं. पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया.
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Gaurav Vallabh resigned from Congress: कांग्रेस पार्टी के नेता और स्टार प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया हैं. उन्होंने सोशल मीडिया साईट एक्स पर एक पोस्ट लिखकर अपना इस्तीफा दिया. उन्होंने अपने पोस्ट में पार्टी छोड़ने की वजहें भी बताई है. दो पेज के लेटर में उन्होंने लिखा है कि, वह सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकते और ना ही सुबह-शाम देश के 'वेल्थ क्रिएटर्स' को गाली दे सकते हैं. यही वजह है कि, उन्होंने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ-साथ सभी पदों से भी इस्तीफा दे दिया है.
गौरव वल्लभ पिछले साल के नवंबर में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में उदयपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार थे. वैसे चुनाव में उन्हें जीत नहीं मिल सकी. इससे पहले वो झारखंड के जमशेदपुर से भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और वहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. गौरव वल्लभ पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट और इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर रहे हैं. टीवी डिबेट में बीजेपी के प्रवक्ताओं के साथ उनकी तीखी झड़प बहुत सुर्खियां बटोरतीं थी.
डिबेट के बीच बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा को जीरो के खेल में दिया था फंसा
बात कुछ साल पुरानी है जब बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा और कांग्रेस के गौरव वल्लभ दोनों प्राइम टाइम शो में एक-दूसरे पर जमकर जुबानी हमलें करते दिखते थे. उसी दौर में पीएम मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा था. तब टीवी डिबेट में दोनों नेता अपनी-अपनी पार्टी का पक्ष रख रहे थे. उसी बीच जब संबित पात्रा ने पीएम के 5 ट्रिलियन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को लेकर बोलना शुरू किया तब इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने संबित पात्रा से ट्रिलियन में जीरो पूछ चारों खाने चित्त कर दिया था. फिर वो वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ.
खड़गे को लिखे पत्र में बताई पूरी कहानी
गौरव वल्लभ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में कहा,'मैं भावुक हूं. मन व्यथित है. काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं. लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं, जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे. फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता.'
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पार्टी के स्टैंड को लेकर थे असहज
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे लिखा,'मैं वित्त का प्रोफेसर हूं. कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया. कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा. लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं. जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि, कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है. जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की कद्र होती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती.'
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि, 'अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं. मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं. पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया. पार्टी और गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है.'
पार्टी के जमीनी जुड़ाव को लेकर थे चिंतित
गौरव वल्लभ ने अपने पत्र में लिखा हैं कि,'पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है. जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही है. इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है, जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है. जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता, तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है.'