Lok Sabha Election Result: बीजेपी के खराब प्रदर्शन के पीछे की क्या है असली वजह? जानिए इनसाइड स्टोरी
Lok Sabha Election Result: चुनाव के बीच बीजेपी अध्यक्ष जे.पी नड्डा का RSS को लेकर दिया गया बयान कई कार्यकर्ताओं को रास नहीं आया. बाहरी नेताओं की फौज को बीजेपी में लाना और उन्हें टिकट देना भी संघ को पसंद नहीं आया. बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी हार का एक बड़ा कारण है.
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Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए है. NDA गठबंधन 292 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं इंडिया गठबंधन 234 सीटों पर कब्जा जमाया है. साथ ही अन्य दलों ने 17 सीटें जीती है. अगर बीजेपी की बात कि जाए तो 241 सीटें जीती है. वहीं कांग्रेस 99 सीट जीतने में सफल हुई है. दोनों ही गठबंधन के नेता सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. हालांकि सत्तारूढ़ NDA गठबंधन 272 का जादूई आंकड़ा पार कर गई है. आज शाम दिल्ली में NDA और INDIA गठबंधन की बैठक होने वाली है. बीजेपी के नेता अपने खराब प्रदर्शन का आंकलन कर रहे है. इसी क्रम में इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु मिश्रा ने बीजेपी के खराब प्रदर्शन के पीछे की वजहों को समझाया है. आइए हम आपको बताते है कि, हिमांशु मिश्रा ने क्या कहा.
जातीय समीकरण नहीं साधने से बिगड़ा खेल
हिमांशु मिश्रा ने बीजेपी के बड़े नेताओं से पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे का कारण पूछा. बीजेपी नेताओं ने पार्टी के अंदरूनी बातचीत को हिमांशु के साझा किया. बीजेपी नेताओं का आकलन है कि पिछले चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में खराब प्रदर्शन के पीछे जातीय समीकरणों को सही से साध न पाना एक बड़ा कारण है. उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में बीजेपी को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है. बीजेपी ने पिछले चार चुनावों में बहुत बारीकी से इंद्रधनुषी जातीय समीकरण बनाया था जिसका पार्टी को फायदा भी मिला था. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में यह समीकरण बिखर गया.
बीजेपी का अनुमान है कि, न केवल गैर-यादव ओबीसी वोट बैंक बीजेपी से छिटका है बल्कि दलित वोट भी खिसक गए. खासतौर पर गैर-यादव ओबीसी में खटीक और कुर्मी वोटर बीजेपी से टूट गए है. वहीं मायावती की बसपा के कमजोर होने के कारण दलित वोटर भी इस बार कांग्रेस-सपा के साथ चले गए. विपक्ष के संविधान बदलने के प्रचार का प्रभाव भी पड़ा है और बीजेपी इस प्रचार का काट नहीं निकाल पाई.
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'संगठन और सरकार के बीच खराब तालमेल का अभाव' भी एक बड़ी वजह
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. दिलचस्प बात हए है कि, इन चारों राज्यों में बीजेपी की सरकार है.इन राज्यों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन का कारण सरकार और संगठन के बीच तालमेल की कमी बताया जा रहा है. कार्यकर्ता सरकार में अपनी उपेक्षा से नाराज हैं और कई मौजूदा सांसदों को दोबारा टिकट देना भी एक गलत फैसला साबित हुआ है. RSS कार्यकर्ताओं की उदासीनता यूपी और बिहार में बीजेपी पर भारी पड़ी है. चुनाव के बीच बीजेपी अध्यक्ष जे.पी नड्डा का RSS को लेकर दिया गया बयान कई कार्यकर्ताओं को रास नहीं आया. बाहरी नेताओं की फौज को बीजेपी में लाना और उन्हें टिकट देना भी संघ को पसंद नहीं आया. बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी हार का एक बड़ा कारण है.
इन चार राज्यों के दम पर बच गई बीजेपी की सरकार!
बीजेपी को जिन चार राज्यों ने डूबने से बचाया वे है वो मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और कर्नाटक है. इनमें मध्य प्रदेश और गुजरात में बीजेपी का जमीनी संगठन बहुत मजबूत है. पार्टी को इस बार भी इसका फायदा मिला. कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा. यहां बीएस येदयुरप्पा खेमे के हाथों में फिर कमान सौंपने का बीजेपी को लाभ मिला है. बीजेपी नेतृत्व विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद येदयुरप्पा पर भरोसा करते हुए जेडीएस के साथ गठबंधन करना फायदेमंद साबित हुआ है. वहीं ओडिशा में नवीन पटनायक से गठबंधन न करने का बीजेपी का फैसला भी सही साबित हुआ है.
इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.