'नोट फॉर वोट' में अब नहीं बचेंगे नेता! नरसिम्हा सरकार वाले रिश्वत कांड पर SC ने पलटा फैसला  

अभिषेक

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SC Verdict on 'note for vote': सुप्रीम कोर्ट (SC) ने 'नोट फॉर वोट'(पैसे के बदले वोट) मामले में फैसला सुनाते हुए सांसदों और विधायकों को कानून से छूट देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा अब अगर सांसद/विधायक पैसे लेकर सदन में भाषण या वोट देते हैं, तो उनके खिलाफ केस चलाया जा सकेगा. यानी अब उन्हें इस मामले में कानूनी छूट नहीं मिलेगी. चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने सभी जजों की सहमति से दिए गए फैसले में कहा है कि, 'विधायिका के किसी सदस्य द्वारा किया गया भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन  में ईमानदारी को खत्म कर देती है.' 

SC की सात जजों की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला सुनाते हुए अपने ही पिछले फैसले को पलट दिया है. दरअसल, 1998 में नरसिम्हा राव मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 3:2 के बहुमत से ये तय किया था कि, 'वोट के लिए नोट' को लेकर जनप्रतिनिधियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. जनप्रतिनिधियों को इसी फैसले के जरिए छूट मिली हुई थी. लेकिन अब SC ने इस फैसले को पलट दिया है.

CJI ने कहा,'संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत रिश्वतखोरी की छूट नहीं दी गई है, क्योंकि अपराध करने वाले सदस्य वोट डालने से संबंधित नहीं हैं. नरसिम्हा राव के मामले की व्याख्या भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194 के विपरीत है. इसलिए हमने नरसिम्हा राव मामले में दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है.' 

सात जजों की संवैधानिक बेंच ने दिया फैसला 

इससे पहले पांच सदस्यीय पीठ ने इस केस से जुड़े मसले को व्यापक और जनहित से जुड़ा हुआ मानते हुए सात सदस्यीय पीठ को सौंप दिया था. तब कहा गया था कि, यह मसला राजनीतिक सदाचार से जुड़ा हुआ है. यह भी कहा गया था कि, संसद और विधानसभा सदस्यों को छूट का प्रावधान इसलिए दिया गया है, ताकि वे मुक्त वातावरण और बिना किसी परिणाम की चिंता के अपने दायित्व का पालन कर सकें. हालांकि अब SC ने इसपर अपना अंतिम फैसला सुना दिया है जो जनप्रतिनिधियों को किसी प्रकार के विशेषाधिकार से छूट को अप्रभावी करता है. 

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क्या है पूरा मामला?

'वोट के लिए नोट' मामला झारखंड मुक्ति मोर्चा(JMM) के सांसदों के रिश्वत कांड पर आए आदेश से जुड़ा है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा था. आरोप यह था कि, JMM सांसदों ने 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को समर्थन देने के लिए वोट दिया था जिसके बदले उन्होंने पैसे लिए थे. इस मसले पर 1998 में पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था. लेकिन अब 25 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को पलट दिया है. यह मुद्दा दोबारा तब उठा, जब JMM की विधायक सीता सोरेन ने अपने खिलाफ जारी आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की याचिक दाखिल की. उन्होंने कहा था कि, संविधान में उन्हें अभियोजन से छूट मिली हुई है. वैसे सीता सोरेन पर आरोप यह था कि, उन्होंने साल 2012 के झारखंड राज्यसभा चुनाव में एक खास प्रत्याशी को वोट देने के लिए रिश्वत ली थी. 

पीएम मोदी ने SC के फैसले का किया स्वागत 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वत मामले' में उच्चतम न्यायालय(SC) के उस फैसले का ‘स्वागत’ किया जिसमें कहा गया है कि, सांसदों और विधायकों को सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने के मामले में अभियोजन से छूट नहीं होती. पीएम मोदी ने X पर ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'माननीय सर्वोच्च न्यायालय का एक महान निर्णय जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और व्यवस्था में लोगों का विश्वास गहरा करेगा.'

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रिपोर्ट- संजय शर्मा, कनु सारदा

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