केजरीवाल के बंगले की पूरी कहानी, क्या CBI के चक्कर में फंसने जा रहे हैं?

अभिषेक

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Arvind kejariwal
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कोई उसे शीशमहल कहता है, तो कोई राजमहल, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल का सरकारी बंगला फिर चर्चा में है. बंगले के रिनोवेशन में लगे करप्शन के आरोप के बाद अब केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने इसकी प्रारंभिक जांच यानी Preliminary Enquiry (PE) दर्ज की है. क्या है केजरीवाल के बंगले का पूरा मामला? क्या सीबीआई के चक्करों में फंस जाएंगे आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो? आइए समझते हैं. 

AAP के मुताबिक की यह सरकारी आवास 1942 में बना था. अब तक तीन बार उसकी छत टूट चुकी है. लोक निर्माण विभाग (PWD ) ने नया मकान बनाने का सुझाव दिया था. फिर इसका पुनर्निर्माण हुआ. बीजेपी का आरोप है कि पुनर्निर्माण के लिए स्वीकृत 43.70 करोड़ रुपये की राशि के बजाय 44.78 करोड़ रुपये खर्च किए गए. BJP ने कहा है कि, आवास का नवीनीकरण नहीं हुआ, बल्कि पुराने की जगह नया ढांचा तैयार किया गया, जिसमें उनका कैंप कार्यालय भी है.’

सीबीआई ने इस मामले में प्रारंभिक जांच यानी PE दर्ज की है. PE यह देखने के लिए दर्ज की जाती है कि क्या आरोपों को लेकर केस दर्ज करने लायक सबूत हैं या नहीं. सीबीआई ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से आवास से जुड़े रिकॉर्ड मांगे हैं.

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दस्तावेजों के मुताबिक बंगले में इन चीजों पर खर्च हुए पैसे

– 11.30 करोड़ रुपये आंतरिक सज्जा पर.

–  6.02 करोड़ रुपये पत्थर और मार्बल फर्श पर.

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– एक करोड़ रुपये इंटीरियर कंसल्टेंसी पर.

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– 2.58 करोड़ रुपये बिजली संबंधी फिटिंग और उपकरण पर.

– 2.85 करोड़ रुपये फायर फाइटिंग सिस्टम पर. 

– 1.41 करोड़ रुपये वार्डरोब पर. 

– 1.1 करोड़ रुपये एसेसरीज फिटिंग पर और किचन अपलायंस पर.

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