'मेरा मन नहीं है कि मैं विधायक बनूं', आखिर ऐसा क्यो बोले नरेश मीणा

नरेश मीणा ने कहा कि अंता उपचुनाव में भारी दबाव और धनबल के बावजूद उन्हें मजबूत समर्थन मिला और लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.

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राजस्थान के अंता सीट पर नरेश मीणा ने ठोंकी ताल.
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अंता उपचुनाव हारने के बाद भी नरेश मीणा का जोश कम नहीं हुआ है. सोशल मीडिया पर जारी अपने लंबे संबोधन में उन्होंने चुनाव नतीजों, वोटों के गणित, समाज के समर्थन, नेताओं की भूमिका और आगे की रणनीति पर खुलकर बात की. उनके बयान से साफ है कि वह हार से निराश नहीं बल्कि और मजबूत हो गए हैं.

बीजेपी से ज्यादा वोट लेकिन ‘षड्यंत्र’ का आरोप

नरेश मीणा ने दावा किया कि, 'उनके क्षेत्र में चारों सीटिंग विधायक बीजेपी के थे. वसुंधरा राजे दो बार CM रहीं और उनका बेटा उसी जिले से सांसद रह चुका है. इसके बावजूद नरेश का कहना है कि 'हमारे वोट बीजेपी से लगभग 700 ज्यादा आए.'

उनके अनुसार कांग्रेस उम्मीदवार ने एक और 'नरेश' नाम के प्रत्याशी को उतारा, जिसने 800 वोट ले लिए. नरेश का आरोप है कि अगर यह 'षड्यंत्र' न होता तो वह आराम से बीजेपी से 600–700 वोट ज्यादा ले आते.

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पैसा होता तो नतीजा कुछ और होता

नरेश मीणा ने चुनाव में धनबल की भूमिका पर भी खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि अंता में पैसे का दबदबा इतना ज्यादा था कि कई लोग बिक गए.

उनका कहना है, 'अगर मेरे पास पैसा होता तो मैं भी 10–2000 वोट यहां-वहां कर सकता था. लेकिन मैंने जनता से साफ-सुथरे समर्थन की अपेक्षा की और उतना समर्थन मिला.'

सोशल मीडिया पर नाराजगी

नरेश ने सोशल मीडिया पर बैठे 'सलाहकारों' पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि कई लोग ग्राउंड रियलिटी जाने बिना कमेंट करते हैं, 'कुछ लोग फेसबुक पर खुद को सुपरहीरो समझते हैं. बिना सोचे-समझे गलत आंकड़े डालकर गांवों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं.'

उन्होंने उदाहरण दिया कि एक गांव जिसने उन्हें 'खून से तौला' था और 1300 में से 1000 से ज्यादा वोट दिए, उसे कुछ लोगों ने ऑनलाइन गलत बताकर गांववालों को दुखी किया.

लोगों के दिलों में जगह बनाई है, हार नहीं हुई

नरेश ने कहा कि पूरा प्रशासन, मंत्री, बड़े नेता और पूरी ताकत उनके खिलाफ लगी थी. फिर भी मैं नहीं मानता कि लोगों के दिलों में जगह बनाने में हम हारे हैं.

नरेश कहते हैं कि उन्हें तीनों कस्बों में उन्हें 6000 से ज्यादा वोट मिले, धाकड़ समाज की नगर पंचायत में उन्होंने बढ़त हासिल की और कई गांवों में बिना मीणा समाज के भी सैकड़ों वोट मिले.

2028 में नया राजनीतिक गठन लेकर आएंगे

नरेश ने अपनी भविष्य की योजना भी साफ करते हुए कहा कि हम साल 2028 में नया गठन करेंगे. राजनीति में बदलाव जरूरी है. लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.

उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय में उन्होंने पहले भी बदलाव लाया था और अब हाड़ौती में भी राजनीति की दिशा बदलने के लिए काम करेंगे.

पूर्वी राजस्थान के नेताओं पर बड़ा आरोप

नरेश मीणा ने खुलकर कहा कि पूर्वी राजस्थान के बड़े मीणा नेता मेरे काम नहीं आए. उल्टा नुकसान किया. उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ पूर्व मंत्रियों ने मदद की बाकियों ने नहीं.

साथ ही यह भी कहा कि पश्चिमी राजस्थान और शेखावाटी के लोग उनके संघर्ष को समझते हैं और पूरा सहयोग दे रहे हैं.

नरेश का दावा है कि राजस्थान की कई सीटों पर जहां मीणा समाज के लाख वोट हैं, वहां वह चाहे तो कभी भी चुनाव जीत सकते हैं. लेकिन 'मैं हाड़ौती छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा. बदलाव हाड़ौती में लाना है. मेरी जरूरत यहीं है.'

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