Mount abu: इस हिल स्टेशन को अग्रेजों ने क्यों बनाया राजस्थान का समर कैपिटल, गर्मियों में यहां क्यों चलता है राजभवन?

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ब्रिटिश काल में राजस्थान के हिल स्टेशन को अग्रेजों ने राजस्थान का समर कैपिटल बनाया. खास बात यह है कि गर्मी के सीजन में राजभवन यही से चलता था.

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राजस्थान में लगातार बढ़ते पारे से जनजीवन अस्त-व्यस्त है. जयपुर में पारा 45 डिग्री के पार हैं तो वहीं रेगिस्तानी इलाकों में इस महीने के अंत तक 50 डिग्री तापमान का अनुमान जताया जा रहा है. ऐसे में हर कोई हिल स्टेशन और वादियों में घूमने की ख्वाहिश रखता है. ऐसा ही एक हिल स्टेशन माउंट आबू (Mount Abu) है, जो इन दिनों पर्यटक की पहली पसंद है. ना सिर्फ पर्यटक, बल्कि ब्रिटिश काल में यह अंग्रेजों की भी पसंदीदा जगहों में से एक रही है. जिसके चलते इस हिल स्टेशन को अग्रेजों ने राजस्थान का समर कैपिटल बनाया. खास बात यह है कि गर्मी के सीजन में राजभवन यही से चलता था.

यह रेजीडेंसी राजभवन राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन रिसॉर्ट के रूप में उपयोग किया जाता है. रेजीडेंसी बिल्डिंग (जिसे अब राजभवन कहा जाता है) का निर्माण 9 बीघा भूमि पर साल 1868 में किया गया था.

 

घने पेड़ों से घिरा ऊंची वादियों के बीच स्थित है यह राजभवन

अंग्रेज अधिकारी गर्मियों की छुट्टियों के लिए यहां आया करते थे. इसी परंपरा के तहत राज्यपाल आज भी ग्रीष्मावकाश के दौरान यही रहते हैं.  यह इमारत एक पहाड़ी पर बनाई गई है. माउंट आबू में बना राजभवन ऊंची वादियों के बीच घने पेड़ों से घिरा है. चारों तरफ दूर-दूर तक हरियाली ही हरियाली छाई हुई है. ऊंचाई पर स्थित इस राजभवन को माउंट आबू के विभिन्न स्थानों से देखा जा सकता है.

इसमें 7 बेडरूम, 7 बाथरूम, 2 सिटिंग रूम और एक बड़ा डाइनिंग हॉल है. डाइनिंग हॉल इतना बड़ा है कि यहां एक साथ करीब 24 लोग बैठ सकते हैं. इसके अलावा यहां एक छोटा डाइनिंग हॉल भी है,जिसमें 5 लोग बैठ सकते हैं. इसी परिसर में स्टाफ क्वार्टर और सुरक्षा व्यवस्था के लिए 150 लोगों के रुकने की व्यवस्था है.

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पहली बार लेफ्टिनेंट कर्नल कीटिंगे आए थे यहां

रेजीडेंसी भवन में पहले रहने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल आरएच कीटिंगे थे. कीटिंगे 15 मार्च 1868 ई. को यहां आए थे. यहां रखा गया एक पियानो ब्रिटिश काल की सांस्कृतिक सामग्री की प्रदर्शनी और याद दिलाने के लिए ड्राइंग रूम में रखा गया है. जो अभी भी पूरी तरह से काम करने की स्थिति में है. इस पियानो का निर्माण प्रसिद्ध कंपनी गेब्रिल्डर नैक ने किया था. 


 

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