अंता उपचुनाव में BJP की करारी हार की क्या वजह है? सामने आ रहे ये कारण

अंता उपचुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज कर हाड़ौती में अपनी धमक से बीजेपी के लिए मुश्किले बढ़ा दी है. अब अंता के हार के कारणों की तलाश की जा रही है.

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राजस्थान के अंता विधानसभा उपचुनाव के परिणाम आ गए हैं. बीजेपी के लिए यह परिणाम चौंकाने वाला रहा है. अब पार्टी हार की वजहों की तलाश कर रही है. तो दूसरी तरफ कांग्रेस उपचुनाव में जीत के बाद गदगद है. पार्टी में फिर से जोश देखने को मिल रहा है. पूर्व सीएम अशोक गहलोत से लेकर डोटासरा, पायलट सभी अंता जीत से उत्साहित नजर आ रहे हैं. 

वहीं यह जीत भाजपा सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है. भाजपा सरकार दिसंबर में दो साल पूरे करने जा रही है. राजनीति हलकों में में इस बात की चर्चा है कि सरकार की दूसरी वर्षगांठ से यह हार संगठन की कमजोरियों को उजागर कर रही है.

प्रमोद जैन भाया की धमाकेदार वापसी

अंता सीट पर कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया ने बड़े अंतर से यहां जीत दर्ज की है. पिछले चुनाव में वे 5861 वोटों से हारे थे. इस बार वे करीब तीन गुना अंतर से जीते हैं. यह जीत हाड़ौती क्षेत्र में कांग्रेस की मजबूत वापसी का संकेत दे रही है. हाड़ौती भाजपा का पारंपरिक गढ़ माना जाता है. यहां कांग्रेस की यह सफलता चौंकाने वाली है.

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उपचुनाव में कुल वोटों का अंतर देखें तो कांग्रेस को बड़ा फायदा हुआ. प्रमोद जैन भाया ने जमीनी मुद्दों पर चुनाव लड़ा. वहीं बीजेपी प्रत्याशी के प्रति लोगों का असंतोष भाजपा के खिलाफ नजर आया. 

हाड़ौती के स्थानीय नेता रहे गायब!

अंता उपचुनाव में सीएम भजनलाल, वसुंधरा राजे, सांसद दुष्यंत सिंह मैदान पर डटे रहे. लेकिन उनके प्रभाव वोटों में नहीं बदल पाया. यह चुनाव बीजेपी से ज्यादा वसुंधरा की प्रतिष्ठा का चुनाव बना दिया गया. जिससे स्थानीय पकड़ में बीजेपी कमजोर नजर आई

इसके अलावा बीजेपी ने प्रचार के दौरान हाड़ौती के दो कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर और हीरालाल नागर जैसे स्थानीय प्रभावशाली नेताओं को सक्रिय अभियान से दूर रखा, जिसकी नाराजगी लोगों में शायद देखने को मिली. 

नरेश मीणा की एंट्री के बाद बीजेपी को लगा कि इसका फायदा बीजेपी को होगा. वह सिर्फ कांग्रेस के ही वोट काटेंगे. लेकिन कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलकर संभावित नुकसान को संभालते हुए जमीनी पकड़ मजबूत की और पूरी जी जान लगा दिया. अब सभी की नजरें आने वाले निकाय और पंचायत चुनाव पर रहेगी.  

छबड़ा-छीपाबड़ौद विधायक और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी को चुनावी मैदान में नहीं बुलाए जाने से भी जनता में अंसतोष नजर आया. सिंघवी को बारां जिले में बीजेपी का बड़ा चेहरा माना जाता है. 

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