उत्तराखंड छात्रसंघ चुनाव में ABVP की ऐतिहासिक जीत, प्रदेश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में 332 पदों किया कब्जा

उत्तराखंड छात्रसंघ चुनाव 2025 में एबीवीपी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 332 पदों पर जीत हासिल की है. अध्यक्ष पद पर 27 कॉलेजों में निर्विरोध जीत से संगठन की पकड़ और मुख्यमंत्री धामी की युवा नीतियों की लोकप्रियता साफ़ झलकती है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (फाइल फोटो)
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उत्तराखंड के छात्रसंघ चुनाव 2025 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने इस बार प्रदेश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रभावशाली जीत दर्ज कर अपनी सांगठनिक मजबूती और जमीनी पकड़ को एक बार फिर सिद्ध किया है. प्रदेश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में 332 पदों पर जीत दर्ज कर एबीवीपी ने यह साबित कर दिया है कि राज्य के युवा वर्ग में उसकी स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है.

प्रदेश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों जैसे डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून, एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय, शुद्धोवाला डोईवाला, ऋषिकेश, कोटद्वार, खटीमा और श्रीनगर में एबीवीपी की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संगठन का जनाधार शहरी से लेकर अर्ध-शहरी और पर्वतीय क्षेत्रों तक फैला हुआ है.

विजय के कारण

निर्विरोध जीतें: 27 कॉलेजों में अध्यक्ष पद पर एबीवीपी प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए, जो संगठन की मजबूत पकड़ और विरोधी दलों की कमजोर तैयारी को दर्शाता है.

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मुद्दों पर फोकस: पारदर्शी परीक्षाएँ, शैक्षणिक सुधार, छात्र हित संरक्षण, कैंपस में अनुशासन और राष्ट्रवादी विचारधारा – एबीवीपी की यह पाँच सूत्रीय रणनीति छात्रों के बीच लोकप्रिय रही.

धामी सरकार की युवा नीतियों का प्रभाव

राज्य की भाजपा सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, ने युवा वर्ग को केंद्र में रखकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिसने एबीवीपी की जीत में सहायक भूमिका निभाई:

  • नकल विरोधी कानून: प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता के लिए लागू किया गया सख्त कानून छात्रों में विश्वास की भावना बढ़ाने में सफल रहा. सरकारी नौकरियों में विस्तार: 25,000 से अधिक सरकारी नौकरियों की घोषणा और प्रक्रिया ने रोजगार की आशा जगाई.
     
  • परीक्षा घोटालों पर कार्रवाई: UKSSSC और अन्य परीक्षाओं में हुई गड़बड़ियों पर सख्त रवैये से सरकार ने अपनी विश्वसनीयता बनाए रखी.

जीत का आंकड़ा 

पद जीते हुए पद
अध्यक्ष 58
उपाध्यक्ष 52
महासचिव 47
कोषाध्यक्ष 51
सह सचिव 50
विश्वविद्यालय प्रतिनिधि 62
सांस्कृतिक सचिव 6
छात्रा उपाध्यक्ष 6
कुल जीत 332

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और भविष्य की दिशा

उत्तराखंड की छात्र राजनीति, प्रदेश की मुख्यधारा राजनीति की जमीन तैयार करने का माध्यम रही है. एबीवीपी की यह जीत सिर्फ एक संगठन की विजय नहीं, बल्कि आने वाले समय में भाजपा और राष्ट्रवादी ताकतों के लिए नई राजनीतिक ऊर्जा का संचार है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छात्र संघों में एबीवीपी की यह पकड़ भविष्य में विधानसभा चुनावों में युवा वोट बैंक को भाजपा की ओर मोड़ सकती है.

उत्तराखंड छात्रसंघ चुनावों में ABVP की ऐतिहासिक सफलता यह दर्शाती है कि आज का युवा संगठन की स्पष्ट विचारधारा, मुद्दों पर आधारित राजनीति और पारदर्शिता की मांग करने वाली शासन प्रणाली को प्राथमिकता दे रहा है. यह जीत न केवल एबीवीपी की सांगठनिक रणनीति की पुष्टि है, बल्कि मुख्यमंत्री धामी सरकार की युवा-केंद्रित नीतियों की स्वीकृति भी है. भविष्य में यह चुनावी रुझान राज्य की राजनीतिक दिशा और नेतृत्व संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

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