Bihar Election 2025: नीतीश कुमार के साथ यूं ही नहीं मिल रहे चिराग पासवान, इसके पीछे की क्या है वजह? समझें पूरी कहानी
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार और चिराग पासवान की बढ़ती नजदीकियों ने राजनीति में हलचल मचा दी है. कभी आलोचक रहे चिराग पासवान अब एनडीए और नीतीश के करीबी क्यों हो गए? क्या ये सिर्फ राजनीतिक रणनीति है या कोई बड़ा संदेश? समझें इन मुलाकातों के पीछे की पूरी कहानी और राजनीतिक समीकरण.

Bihar Election 2025: बिहार में चुनाव से पहले एक दिलचस्प वाक्या देखने को मिल रहा है. नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच दरार की खबरें तो अक्सर सुनने-देखने को मिल जाती थी, लेकिन बीते 5 दिनों में सब बदल सा गया है. पहले चिराग पासवान का भरे मंच पर नीतीश का पैर छूना और फिर छठ महापर्व के दूसरे दिन नीतीश कुमार का चिराग पासवान के घर पहुंचने से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है.
अब सवाल उठता है कि आखिर बिहार चुनाव आते-आते ऐसा क्या हुआ कि नीतीश कुमार और चिराग पासवान इतने करीब आ गए? या फिर चिराग पासवान के लिए अचानक नीतीश क्यों जरूरी हो गए? आइए विस्तार से समझते हैं पूरी कहानी.
क्या ये मुलाकातें सिर्फ राजनीतिक संदेश?
इन मुलाकातों को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही है. कई विशेषज्ञों का कहना है कि इन मुलाकातों से दोनों नेता संदेश देना चाह रहे हैं कि एनडीए में सबकुछ ठीक है और अब हम सब एक हो गए है. क्योंकि सीट शेयरिंग के दौरान लगातार चिराग पासवान कह रहे थे कि वे सीट शेयरिंग में सम्मानजनक सीटों से समझौता नहीं करेंगे. साथ ही यह चर्चाएं भी थी कि चिराग पासवान की नजर जदयू की कुछ सीटों पर है, लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं.
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जब सीट शेयरिंग की फाइनल लिस्ट आई तो उसमें 1-2 सीटों को छोड़कर बाद बाकी सारी सीटें जदयू के पास ही रही. लेकिन चिराग पासवान और नीतीश कुमार ने अपना संदेश दे दिया कि गठबंधन में सबकी सहमति बरकरार है. साथ ही चिराग पासवान ने सीट शेयरिंग के बाद कहा भी था कि, मैं बिल्कुल खुश और संतुष्ट हूं.
नीतीश सबके लिए क्यों जरूरी?
अब सवाल आता है कि आखिर चुनाव के करीब आते-आते ही नीतीश कुमार ही सब जगह क्यों दिखने लगे है? दरअसल कहा यह जा रहा है कि चुनाव को लेकर जो भी सर्वे हुए, पब्लिक ओपिनियन या फिर जो पार्टियों के इंटरनेल सर्वे हुए, उनमें एक अहम बात सामने निकलकर आई. वो बात है कि नीतीश कुमार को लेकर राज्य में कोई भी एंटी इनकंबेंसी काम नहीं कर रहा है.
यानी की नीतीश कुमार भले ही सत्ता में 20 साल से जमे हुए हैं, लेकिन उन्हें लेकर लोगों के बीच में किसी तरीके का विरोधाभास नहीं है. लोग अभी भी नीतीश कुमार को उनकी नीतियों के लिए जानते हैं. यह मानते हैं कि बिहार के विकास में नीतीश कुमार का बहुत बड़ा योगदान रहा है और इसका फायदा सभी राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव में भुनाना चाहती है.
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नीतीश कुमार का कोर वोटर मजबूत?
राज्य में नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर नहीं है और साथ ही उनका कोर वोट बैंक भी उनके साथ है. खास करके महिला वोट बैंक में किसी तरीके की टूट होती हुई नहीं दिखाई दे रही है. और यहीं वजह है कि नीतीश कुमार अब सबको चाहिए और सबकी जरूरत बन गए.
इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए चिराग पासवान चाहते हैं कि किसी भी तरीके का कोई संदेश बाहर ना जाए कि चिराग और नीतीश के बीच कोई नाराजगी है. ताकि दोनों पार्टियों के बीच कोऑर्डिनेशन बना रहा है और दोनों पार्टी के कार्यकर्ता एकजुट होकर एनडीए को जिताने के लिए काम करें.
एनडीए में सबकुछ ठीक?
बिहार में नीतीश कुमार को लेकर विपक्ष चाहे लाख सवाल क्यों ना उठाए, लेकिन नीतीश कुमार को फिलहाल कोई भी पार्टी इग्नोर नहीं कर सकती है. चुनाव में नीतीश एनडीए और घटक दल दोनों के लिए काफी अहम हो गए है. और चिराग-नीतीश के बढ़ते अच्छे रिश्ते ने यह भी साफ कर दिया है कि अब दोनों और एनडीए के बीच सब-कुछ नॉर्मल हो चुका है.
चिराग पासवान अब विपक्ष पर बोल रहे हमला
चुनाव के ऐलान से पहले जो चिराग पासवान राज्य के लॉ एंड ऑर्डर और नीतीश सरकार पर सवाल खड़े करते दिख रहे थे, वो आज विपक्ष को लेकर काफी हमला बोल रहे है. साथ ही चिराग पासवान ने बीते कल खरना पूजा के बाद यह भी कहा कि, एक तरफ छठ का महापर्व है तो दूसरी तरफ लोकतंत्र का भी महापर्व चल रहा है. ऐसे में कई बार कुछ फॉल्स नैरेटिव चुनाव के दौरान सेट करने का प्रयास विपक्ष के द्वारा होता है. लेकिन 14 नवंबर को एक बड़े जीत के साथ हम सरकार बनाने जा रहे हैं.










