MGB कमजोर नहीं...बिहार में 'MY' फैक्टर बरकरार! NDA की बड़ी जीत में चला किसका जादू
बिहार चुनाव में NDA को जीत मिली लेकिन MGB का वोट बैंक अभी भी मजबूत है और युवाओं का भरोसा तेजस्वी पर बना हुआ है. महिलाओं के बड़े समर्थन और सरकारी योजनाओं ने नीतीश को बढ़त दी. जबकि बेरोजगारी पर वादा देर से आने के कारण तेजस्वी फायदा नहीं उठा पाए.

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सोशल मीडिया और टीवी डिबेट्स में तरह-तरह की बातें सुनने को मिल रही हैं. कुछ लोग ये तक कहने लगे कि महागठबंधन का वोट बैंक टूट गया और उनका खेल खत्म हो गया, लेकिन असली आंकड़े बताते हैं कि ये सोच पूरी तरह गलत है. दरअसल चुनाव आयोग के अनुसार इस विधानसभा चुनाव में NDA को लगभग 47% वोट मिले और महागठबंधन को लगभग 38%.
इसका साफ मतलब है कि MGB का वोट बैंक आज भी मजबूत है और कहीं नहीं गया है. दरअसल, MGB का जो पारंपरिक मुस्लिम-यादव वोट बैंक है जिसे MY वोट भी कहते हैं, वह लगभग 30% माना जाता है. यह वोट इस बार भी लगभग पूरी तरह महागठबंधन के साथ ही रहा. दूसरी तरफ NDA पहले से ही वोटों के हिसाब से आगे चल रहा था और LJP के साथ आने से उसकी बढ़त और ज्यादा हो गई. यही चुनाव नतीजों में साफ दिखाई दिया.
अब सवाल उठता है कि तेजस्वी यादव का क्या होगा? बहुत से लोग हार के बाद किसी भी नेता को खत्म मान लेते हैं, लेकिन राजनीति में ऐसा नहीं होता. 1984 के चुनाव में बीजेपी को सिर्फ दो सीटें मिली थीं उस वक्त भी कई एक्सपर्टक्स ने कहा था कि पार्टी खत्म हो गई लेकिन आज वही पार्टी देश की सबसे बड़ी ताकत है. ठीक इसी तरह उत्तर प्रदेश में साल 2017 में सपा-कांग्रेस गठबंधन पूरी तरह हार गया था और लगने लगा था कि अखिलेश यादव खत्म हो चुके हैं लेकिन 2024 में वही सपा फिर जोरदार वापसी कर गई.
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युवाओं की पहली पसंद हैं तेजस्वी
तेजस्वी यादव के साथ भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है. बिहार के युवा, खासकर 18 से 34 साल तक की उम्र वाले वोटर अभी भी MGB और तेजस्वी की तरफ झुकाव रखते हैं. हालांकि उनका 55+ वालों में सपोर्ट कम है, लेकिन युवा वोटर्स तेजस्वी यादव को आज भी भविष्य का नेता मान रहे हैं. यह साफ संकेत है कि तेजस्वी का राजनीतिक करियर अभी लंबा है और MGB कहीं से गायब नहीं हुआ है.
फिर भी इस चुनाव में महागठबंधन को सबसे बड़ा झटका सीमांचल में लगा, जहां उनका वोट बैंक हमेशा से मजबूत माना जाता था. इस बार वहां AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम वोट का बड़ा हिस्सा खींच लिया. इसके अलावा हैरानी की बात ये रही कि उस इलाके में भी महिलाओं ने NDA को ज्यादा वोट दिया है. नतीजतन सीमांचल में NDA और MGB के वोटों में लगभग 8 प्रतिशत का फर्क आ गया, जो सीटें हारने के लिए काफी बड़ा गैप है.
बिहार के इस चुनाव में असब बदलाव महिलाओं की ओर से आया. इस बार महिलाओं ने न सिर्फ ज्यादा वोट डाले, बल्कि कई बूथों पर को महिला वोटर की संख्या पुरुषों से कहीं ज्यादा थी. यानी लगभग हर तरह की जाति, उम्र और इलाके की महिलाओं ने NDA को ज्यादा समर्थन दिया है.
NDA को मिली इस सपोर्ट के पीछे पुराने सालों से चली आ रही नीतीश कुमार की योजनाओं का बड़ा असर दिख रहा है. फ्री साइकिल और यूनिफॉर्म वाली योजना से शुरू हुआ महिला सशक्तिकरण आज भी असर दिखा रहा है. इसके असाला हाल ही में जीविका दीदियों के बैंक खाते में सीधे 10,000 रुपये भेजे गए, जिसका फायदा चुनाव में NDA को साफ मिला,
दिलचस्प बात ये भी रही कि बिहार में 54% से ज्यादा लोगों ने अपना वोटिंग फैसला 15 दिन से लेकर एक महीने पहले ही कर लिया था. ये बात जरूरी इसलिए भी है क्योंकि हमने देखा कि इस चुनाव में तेजस्वी ने अपनी सबसे बड़ी घोषणाएं चुनाव के अंतिम चरण में की थी. रिजल्ट से ये साफ कि वादा जनता को पसंद तो आया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. लोग पहले ही मन बना चुके थे कि उन्हें किसे वोट देना है.
बेरोजगारी रही सबसे बड़ी चिंता
इस चुनाव में बेरोजगारी बिहार के लोगों की सबसे बड़ी चिंता रही. सर्वे की मानें तो दो तिहाई लोगों ने बेरोजगारी को अपना सबसे बड़ा मुद्दा बताया. महंगाई उन्हें उतना परेशान नहीं कर रही, जितनी नौकरी की कमी और युवा पलायन की समस्या. तेजस्वी का नौकरी वाला वादा लोगों को थोड़ा ज्यादा अच्छा लगा लेकिन भरोसा देने के मामले में लोगों ने फिर भी NDA को चुना.
नीतीश कुमार पिछले 20 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं. माना जाता है कि इतने लंबे समय तक कोई नेता सत्ता में रहे तो लोगों में नाराजगी बढ़ जाती है, लेकिन बिहार चुनाव में अजीब बात ये नजर आई कि लोग नाराज तो थे लेकिन सरकार बदलने के लिए उतने ज्यादा तैयार नहीं थे.
जब लोगों के सामने ए, नीतीश या तेजस्वी केवल दो ऑप्शन रखे गए तो बहुमत नीतीश की ओर झुका. वजह कहीं न कहीं पिछले दौर का जंगलराज भी रहा जिसे 55 साल से ऊपर के लोगों ने अपनी आंखों से देखा है. यही कारण है कि बुजुर्गों में NDA को ज्यादा वोट मिले और खास बात यह कि इस उम्र की महिलाओं ने भी NDA को ही चुना है.
कुल मिलाकर नतीजा यह है कि NDA की जीत बड़ी है लेकिन MGB खत्म नहीं हुआ है. तेजस्वी अब भी युवा वोटों की पहली पसंद बने हुए हैं. महिलाएं इस चुनाव की असली निर्णायक बनकर उभरी हैं. बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा तो है लेकिन लोग समाधान के लिए फिलहाल नीतीश कुमार पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं.
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