बिहार में सेतु निर्माण की रफ्तार: 2500 से ज्यादा पुल बनकर तैयार, गांवों को मिली नई ताकत

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बिहार में 2551 पुल बनकर तैयार, गांवों को मिली नई कनेक्टिविटी और विकास की रफ्तार, PMGSY और राज्य योजनाओं का बड़ा योगदान.

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बिहार के गांव अब सिर्फ बारिश या उबड़-खाबड़ रास्तों के कारण अलग-थलग नहीं रहेंगे. राज्य में पुल निर्माण की रफ्तार ने ग्रामीणों की जिंदगी को आसान बना दिया है. 2,551 से ज्यादा पुल बनकर तैयार हो चुके हैं, जो गांवों को शहरों, स्कूलों को बच्चों, और किसानों को मंडियों से जोड़ रहे हैं. यह सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि विकास और समृद्धि का सेतु है. आइए, जानते हैं कैसे बिहार सरकार की योजनाएं गांवों को नई ताकत दे रही हैं.

4,415 पुलों को मंजूरी, 2,551 बनकर तैयार

बिहार में ग्रामीण कार्य विभाग ने कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए कमर कस ली है. अब तक 4,415 पुलों के निर्माण को प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है, जिनमें से 3,482 के लिए अनुबंध पूरा हो चुका है. इनमें से 2,551 पुलों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है, जिससे हजारों ग्रामीणों को हर मौसम में आवागमन की सुविधा मिल रही है. बाकी 931 पुलों पर काम तेजी से चल रहा है, और इनके समय पर पूरा होने की निगरानी हो रही है.

पीएमजीएसवाई ने दिखाई सबसे ज्यादा रफ्तार

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत बिहार में सबसे ज्यादा 2,017 पुलों को मंजूरी मिली है. इनमें से 1,954 के लिए अनुबंध हो चुका है और 1,512 पुल बनकर तैयार हैं. बाकी 442 पुलों पर निर्माण कार्य जोरों पर है. यह योजना ग्रामीण कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही है.

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अन्य योजनाओं का भी बड़ा योगदान

  • मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना (एमएमजीएसवाई): इसके तहत 433 पुल स्वीकृत किए गए, जिनमें 164 बनकर तैयार हैं और 143 पर काम चल रहा है.  
     
  • नाबार्ड ऋण संपोषित (राज्य योजना): 1,212 पुलों को मंजूरी मिली, जिनमें 875 पूरे हो चुके हैं और 278 निर्माणाधीन हैं.  
     
  • मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ अनुरक्षण कार्यक्रम (आरआरएसएमपी): 50 पुल स्वीकृत, जिनमें 16 पर काम शुरू हो चुका है.  
     
  • मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना (एमजीएसवाई): 703 पुलों को मंजूरी, जिनमें 52 पर निर्माण कार्य शुरू हो गया है.

गांवों की दूरी घटी, विकास को मिला बल

इन पुलों ने न सिर्फ आवागमन को आसान किया है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया है. अब बच्चे आसानी से स्कूल पहुंच रहे हैं, किसान अपनी फसल मंडियों तक ले जा रहे हैं, और मरीजों को समय पर अस्पताल मिल रहा है. ये पुल ग्रामीण बिहार को विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य से जोड़ने का मजबूत जरिया बन रहे हैं.

“पुल जोड़ते हैं जिंदगियां” - अशोक चौधरी

ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी का कहना है, “पुल सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि गांवों को विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा और सम्मान से जोड़ने का माध्यम है. 2,500 से ज्यादा पुलों का निर्माण हमारी सरकार की संकल्पशक्ति और समयबद्धता का सबूत है.”

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