जदयू की पहली लिस्ट में 4 बाहुबली, 6 मंत्री, 18 मौजूदा विधायकों को मिला टिकट, जानें पूरा समीकरण
JDU First Candidate List: बिहार चुनाव 2025 के लिए जदयू ने 57 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की. 6 मंत्री, 18 विधायक, 4 बाहुबली को टिकट, मुस्लिम कैंडिडेट नहीं मिला मौका.

बिहार चुनाव के लिए एनडीए की ओर से सीट शेयरिंग को लेकर उलझा मामला अब साफ दिखाई दे रहा है. 14 अक्टूबर को बीजेपी के 71 उम्मीदवारों की लिस्ट आने के बाद आज यानी 15 अक्टूबर जदयू ने भी अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें 57 उम्मीदवारों का नाम है. हालांकि जेडीयू की इस लिस्ट में गजब का समीकरण देखने को मिला, क्योंकि इसमें 6 मंत्री, 18 मौजूदा विधायक, 4 बाहुबली के साथ-साथ जातीय समीकरण को भी बड़ी होशियारी से साधा गया है.
लेकिन बीजेपी की तरह ही इस लिस्ट में किसी भी मुस्लिम कैंडिडेट का नाम शामिल नहीं है. माना जा रहा है कि बीजेपी की तर्ज पर ही जदयू ने पहली लिस्ट से मुस्लिम कैंडिडेट को अलग रखा है. अब इसी को लेकर सियासी गलियारों में भी चर्चा तेज हो गई है कि क्या नीतीश कुमार का भी मुस्लिम समुदाय से मोहभंग हो गया है या फिर यह कोई रणनीति का हिस्सा है? आइए विस्तार से जानते हैं पूरी कहानी.
जदयू की लिस्ट में शामिल है ये बाहुबली नेता
जदयू की पहली लिस्ट के 57 कैंडिडेट में 4 बाहुबली नेता को जगह मिली है. इसमें मोकामा सीट से जनता के बीच छोटे सरकार के नाम से मशहूर अनंत सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है. बाहुबली नेता धुमल सिंह को एकमा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं कुचायकोट सीट से अमरेंद्र पांडेय को उम्मीदवार बनाया गया है. मांझी सीट से जदयू ने बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को टिकट दिया है.
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18 मौजूदा विधायकों को टिकट, 2 के काटे
57 उम्मीदवारों की इस लिस्ट में हर तरह से समीकरण को ध्यान में रखा गया है. इस लिस्ट में 18 मौजूदा विधायकों को फिर से एक बार टिकट दिया गया है, जबकि 2 विधायकों का टिकट काट दिया गया है. इन 57 सीटों में से 20 सीटों पर जेडीयू का पहले से ही कब्जा है.
जिन विधायकों का टिकट काटा गया है उनमें बरबीघा से सुदर्शन कुमार और सकरा से आदित्य कुमार है. साथ ही जेडीयू ने आपसी सहमति की वजह से अपनी तारापुर की सीट भी छोड़ दी है, जिसपर उन्होंने 2020 में चुनाव लड़ा था. अब इस सीट पर सम्राट चौधरी चुनाव लड़ने वाले है.
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6 मंत्री को भी दिया टिकट
जदयू के पहले उम्मीदवारों की लिस्ट में कुल 6 मंत्री का भी नाम है. इसमें विजय कुमार चौधरी को सरायरंजन, श्रवण कुमार को नालंदा, मदन सहनी को बहादुरपुर, महेश्वर हजारी को कल्याणपुर और सुनील कुमार को भोरे, सोनबरसा से रत्नेश सादा को मैदान में उतारा है.
दलित और भूमिहारों का भी रखा खास ख्याल
जेडीयू ने इस लिस्ट में दलित और भूमिहार समाज का भी खास ख्याल रखा है. भूमिहार जाति से आने वाले विजय कुमार चौधरी, अनंत सिंह, पुष्पंजय, अजीत कुमार, राजकुमार सिंह और धुमल सिंह को टिकट दिया गया है.
वहीं दलित समुदाय को साधते हुए सिंघेश्वर से रमेश ऋषिदेव, सोनबरसा से रत्नेश सादा, कुशेश्वरस्थान से अतिरेक कुमार, सकरा से आदित्य कुमार, भोरे से सुनील कुमार, राजापाकर से महेन्द्र राम, कल्याणपुर से महेश्वर हजारी, अलोली से रामचंद्र सदा, राजगीर से कौशल किशोर, फुलवारी से श्याम रजक, मसौढ़ी से अरुण मांझी और राजपुर से संतोष कुमार निराला को टिकट दिया है. साथ ही इस लिस्ट में OBC और अतिपछड़ा वर्ग के उम्मीदवार भी है.
- अति पिछड़ा वर्ग - 9
- दलित - 12
- पिछड़ा वर्ग - 20 (लव कुश + बनिया)
- यादव - 3
- उच्च जातियां - 13
मुस्लिम समुदाय से नीतीश कुमार ने बनाई दूरी?
इस लिस्ट के आने के बाद एक सवाल जो राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा का विषय बना हुआ है कि, क्या नीतीश कुमार का मुस्लिम समुदाय से मोहभंग हो गया है? इस सवाल पर फिलहाल किसी भी नेता की कोई टिप्पणी नहीं आई है लेकिन आइए पिछले कुछ समीकरण समझते है. 2020 के चुनाव में एनडीए से सिर्फ जदयू ने मुस्लिम कैंडिडेट को मैदान में उतारा था. जदयू के 11 में से किसी भी मुस्लिम नेता को बहुमत नहीं मिली और वे हार गए. हालांकि बाद में बसपा के जमा खान को जदयू में शामिल करा उन्हें मंत्री बनाया गया था.
फिलहाल बीजेपी और जदयू की और भी उम्मीदवारों की लिस्ट आएगी. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे जदयू और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने समीकरण साधते हुए अपनी पहली लिस्ट जारी की है, ऐसे मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए मुस्लिम उम्मीदवार को जरूर मैदान में उतारेगी.
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