आरजेडी प्रवक्ता प्रियंका भारती की बढ़ गईं मुश्किलें, मनुस्मृति फाड़ने के मामले में कोर्ट ने खारिज किया क्लोजर रिपोर्ट

रूपक प्रियदर्शी

Priyanka Bharti case: आरजेडी प्रवक्ता प्रियंका भारती की मुश्किलें बढ़ीं. मनुस्मृति फाड़ने के मामले में अलीगढ़ कोर्ट ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी.

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आरजेडी प्रवक्ता प्रियंका भारती के खिलाफ मनुस्मृति फाड़ने का केस फिर से खुला
आरजेडी प्रवक्ता प्रियंका भारती
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बिहार में चुनाव से पहले आरजेडी ने प्रियंका भारती, कंचना यादव, सारिका पासवान जैसी महिला प्रवक्ताओं को टीवी डिबेट में उतारा तो खलबली मच गई. आरजेडी की प्रवक्ताएं आरोप लगाती हैं कि अब बीजेपी के प्रवक्ता सामने आकर डिबेट करने से बचते हैं. फिलहाल प्रियंका भारती सोशल मीडिया में खूब वायरल हैं. वायरल होने के पीछे की वजह है कि कोर्ट ने मनुस्मृति फाड़ने के मामले में उनकी दलीलों को खारिज कर दिया है और अब उनकी मु्श्किलें बढ़ती जा रही है. 

क्या है पूरा मामला?

प्रियंका भारती तेज तर्रार प्रवक्ता हैं. जोश में बोलती हैं और बीजेपी प्रवक्ताओं की खाट खड़ी करती हैं. ऐसे ही एक टीवी डिबेट्स में प्रियंका ने 29 दिसंबर, 2024 को लाइव टीवी पर मनुस्मृति की कॉपी फाड़ दी तो हंगामा मच गया. प्रियंका के खिलाफ अलीगढ़ में केस दर्ज हुआ कि प्रियंका भारती ने पवित्र ग्रंथ मनुस्मृति फाड़कर घोर अपमान किया, करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई.

पुलिस की तहकीकात 2 दिन चली. 31 दिसंबर को ही अलीगढ़ पुलिस ने अलीगढ़ जिला कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगाकर केस बंद करने की याचिका लगाई. कहा कि घटना अलीगढ़ पुलिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर हुई थी. 

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पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट खारिज

आम तौर पर जांच करने वाली पुलिस अगर क्लोजर रिपोर्ट लगाए तो मामला बंद हो जाता है लेकिन अलीगढ़ कोर्ट ने प्रियंका भारती केस में पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सिविल जज राशि तोमर ने रोरावर थाने के थाना प्रभारी को आगे जांच करने और बिना देरी किए नई रिपोर्ट पेश करने को कहा.

मतलब प्रियंका भारती के मनुस्मृति फाड़ने का केस बंद होते-होते फिर जिंदा हो गया. प्रियंका भारती के खिलाफ शिकायत करने वाले याचिकाकर्ता राष्ट्रीय सवर्ण परिषद के संगठन मंत्री और कथावाचक आचार्य  भरत तिवारी ने कहा कि पुलिस ने निष्पक्ष जांच नहीं की. बीएनएस में ये प्रावधान है कि जहां देख या सुनकर किसी की भावना आहत हुई वहां मुकदमा चल सकता है. 

प्रियंका की दलील नहीं आई काम

दिसंबर से प्रियंका भारती के मनुस्मृति फाड़ने का केस अलग-अलग कोर्ट में चल रहा है. प्रियंका गांधी ने दर्ज एफआईआर को दर्ज करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. इस खेद के साथ कि किसी व्यक्ति या धर्म की भावनाओं का अपमान करने का इरादा नहीं था. प्रियंका भारती की दलील कोर्ट में काम नहीं आई.

कोर्ट ने किसी विशेष धर्म की पवित्र पुस्तक को फाड़ने को संज्ञेय अपराध मानते हुए FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था. जजेज ने माना कि प्रियंका भारती हायली एजुकेटेड हैं एक पार्टी प्रवक्ता के तौर पर टीवी डिबेट में बोल रही थी. वो ये दलील नहीं दे सकती हैं कि उन्होंने अज्ञानता में किया. 

कौन है प्रियंका भारती?

प्रियंका भारती बिहार की हैं. जेएनयू की पीएचडी स्टूडेंट हैं. राजनीति में एंट्री सीधे आरजेडी प्रवक्ता के तौर पर हुईं. टीवी डिबेट्स में प्रियंका खूब बीजेपी प्रवक्ताओं से उलझती हैं. बीजेपी की दलीलों को काटती हैं. विपक्ष के मुखर प्रवक्ता की पहचान बनी है लेकिन मनुस्मृति फाड़ने के केस में उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. फिलहाल किसी कोर्ट से राहत नहीं मिली है.

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