उमर खालिद को जमानत न मिलने पर न्याय व्यवस्था पर उठ रहे सवाल, जस्टिस रेखा शर्मा ने कहा- ये आसाराम या राम रहीम ...
उमर खालिद और अन्य आरोपियों को दिल्ली दंगा मामले में जमानत नहीं मिली है, जिससे न्याय प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं. पूर्व जज रेखा शर्मा ने कहा है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद, लेकिन इस केस में प्रक्रिया ही दंड बन गई है.
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दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तार उमर खालिद और अन्य नौ आरोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है. सरकार ने भी जमानत का कड़ा विरोध किया है. करीब पांच साल से जेल में बंद उमर खालिद और शरजील इमाम को जमानत नहीं मिल पाई है. अब उनकी अगली लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में होगी.
इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व जज, जस्टिस रेखा शर्मा ने भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, “जमानत नियम है, जेल अपवाद.” सुप्रीम कोर्ट ने यह नियम लगभग 50 साल पहले बनाया था. पहले ऐसे मामले हुए हैं जहां जमानत के आदेश देर रात भी दिए गए, लेकिन अब इस नियम का उल्लंघन हो रहा है और न्याय की प्रक्रिया में देरी को दंड बना दिया गया है.
असंतुलित होता जा रहा है न्याया का तराजू
जस्टिस रेखा शर्मा ने कहा कि न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी इसलिए बंधी थी ताकि अमीर-गरीब या शक्तिशाली-कमजोर में कोई फर्क न हो, लेकिन अब वह पट्टी हटती जा रही है और न्याय का तराजू असंतुलित होता जा रहा है. उन्होंने न्याय की मूर्ति में दिल की धड़कन होनी चाहिए, जो आज नजर नहीं आ रही.
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उमर खालिद की जमानत न मिलने पर जस्टिस रेखा शर्मा ने सवाल उठाए और 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस का उदाहरण दिया, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 आरोपियों को अपराध साबित न होने के कारण बरी कर दिया था. उन्होंने कहा कि उमर खालिद को समझना चाहिए कि वे ऐसे नहीं हैं जैसे कुछ अमीर लोग या आसाराम और राम रहीम, जो दोषी होने के बाद भी जमानत लेकर बाहर निकल जाते हैं.
क्या है ये मामला
फरवरी 2020 में दिल्ली में नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध के दौरान हुए दंगों में उमर खालिद समेत नौ छात्रों को गिरफ्तार किया गया था. उन पर आतंकवाद से जुड़े यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए, लेकिन आज तक उन्हें आतंकी साबित नहीं किया जा सका.
पिछले पांच साल से सुनवाई टलती रही और जमानत नहीं मिली. दिसंबर 2024 में परिवार की शादी में शामिल होने के लिए मात्र 10 दिनों की अंतरिम जमानत मिली थी. अभी तक उमर खालिद लगभग चार साल ग्यारह महीने से हिरासत में हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी दो अपीलें खारिज कर दीं, जबकि सुप्रीम कोर्ट में 2023 की याचिका भी वापस ले ली गई.
इस मामले में सरकार के वकील ने साफ कहा कि अगर कोई देश के खिलाफ गया है, तो बरी होने तक जेल में रहना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रहे डी. वाई. चंद्रचूड़ ने भी बताया था कि उमर खालिद के वकीलों ने सुनवाई लटकाई और बाद में जमानत याचिका वापस ले ली.
अब सुप्रीम कोर्ट में देश के जाने-माने वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल उमर खालिद की ओर से लड़ेंगे. सिब्बल ने कहा कि जमानत न देना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. उन्होंने कोर्ट के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर जमानत नहीं देनी है तो याचिका को तुरंत खारिज कर देना चाहिए, फिर 20-30 सुनवाई क्यों करनी?
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