म्यांमार के सितवे बंदरगाह को ऑपरेट करेगा भारत, चीन को बड़ी चोट !

ईरान में चाबहार बंदरगाह के बाद भारत, म्यांमार में अपने दूसरे विदेशी बंदरगाह का संचालन करेगा. म्यांमार के रखाइन प्रांत में कालानदी पर स्थित सितवे बंदरगाह के संचालन को संभालने के लिए के लिए विदेश मंत्रालय (MEA) ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल (IPGL) के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. 

NewsTak
Photo: PIB
social share
google news

India-Myanmar News: ईरान में चाबहार बंदरगाह के बाद भारत, म्यांमार में अपने दूसरे विदेशी बंदरगाह का संचालन करेगा.म्यांमार के रखाइन प्रांत में कालानदी पर स्थित सितवे बंदरगाह के संचालन को संभालने के लिए के लिए विदेश मंत्रालय (MEA) ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. भारत को सितवे बंदरगाह का संचालन का अधिकार मिलना विकास और समृद्धि के पथ पर एक महत्वपूर्ण कदम है. हालांकि एक तरफ जहां ईरान के शाहिद बेहस्थी बंदरगाह, चाबहार पर भारत को केवल दो टर्मिनलों को संभालने का अधिकार मिला है लेकिन दूसरी ओर म्यांमार के सितवे बंदरगाह पर भारत का पूरा अधिकार होगा.

इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) भारत की एक महत्वपूर्ण कंपनी है. ये सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन है. इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड को विदेशों में मौजूद भारत के अधीन बंदरगाहों के विकास के लिए शिपिंग मंत्रालय (MoS) के आदेशों के अनुसार कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत जनवरी 2015 में सम्मिलित किया गया था

.

म्यांमार के सितवे बंदरगाह से फायदा

म्यांमार में स्थित सितवे बंदरगाह भारत और म्यांमार हस्ताक्षरित कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना का ही एक हिस्सा है. भारत को इससे सबसे बड़ा फायदा होगा कनेक्टिविटी को लेकर क्योंकि अब सितवे बंदरगाह को भारत के मिजोरम राज्य से जोड़ दिया जाएगा और ये काम कलादान नदी पर बनने वाली मल्टीमॉडल ट्रांजिट कनेक्टिविटी परियोजना के तहत किया जाएगा. इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL), सितवे बंदरगाह के विकास के लिए तमाम संसाधनों को जुटाएगा.सितवे बंदरगाह का विकास करके भारत चारों ओर से घिरे अपने पूर्वोत्तर राज्यों को विकसित करेगा औरक ये केंद्र की मोदी सरकार की सबसे बड़ी रणनीति है.

यह भी पढ़ें...

म्यांमार-भारत के बीच बढ़ेगी कनेक्टिविटी

सितवे बंदरगाह के माध्यम से भारत अपनी कनेक्टिविटी भी बढ़ाएगा और ये कोलकाता के पूर्वी बंदरगाह को समंदर के रास्ते से जोड़ागा. इससे कोलकाता से मिजोरम की दूरी भी कम होगी और इसके साथ ही साथ व्यापर में आसानी, लागत भी कम हो जाएगी .दूसरी तरफ इससे म्यांमार के पलेतवा तक लगभग 158 किलोमीटर का जलमार्ग बनेगा और इसके आगे होते हुए पलेतवा के ही ज़ोरिनपुई तक लगभग 109 किमी का सड़क भी बनाई जाएगी. इस कनेक्टिविटी को जमकर फायदा होगा और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापार की संभावना भी बढ़ जाएगी. सितवे बंदरगाह से भारत की सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर अभी जो निर्भरता है वो भी काफी हद तक घट जाएगी. सिलीगुड़ी कॉरिडोर को चिकेन नेक के नाम से भी जाना जाता है और ये भारत का महत्वपूर्ण कॉरिडोर है.

भारत का बंदरगाह के लिए 500 मिलियन डॉलर का अनुदान

सितवे बंदरगाह के विकास के लिए भारत ने म्यांमार को 500 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था औऱ इस बंदरगाह की नींव रखी थी. इस अनुदान के माध्यम से, भारत ने अपने संबंधों को मजबूत किया और व्यापारिक महत्वपूर्णता बढ़ाने का प्रयास किया है. इस प्रोजेक्ट के माध्यम से, भारत और म्यांमार के बीच भावी व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा. इस बंदरगाह से भारत ने एशिया में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन को कड़ी चुनौती दी और अपनी स्थिति को म्यामांर में मजबूत कर लिया है.

 

    follow on google news