चलती ट्रेन से गायब हो गया दो महीने का बच्चा, 48 घंटे बाद उसी ट्रेन में हुआ ऐसा चमत्कार, परिजनों के साथ पुलिस भी हुई हैरान
जम्मू से झांसी जाने के दौरान मालवा एक्सप्रेस में एक दंपत्ति का दो महीने का मासूम बच्चा गायब हो गया. अपने बच्चे के मिलने की आस खो चुके माता-पिता की खुशी का तब ठिकाना नहीं रहा, जब पुलिस ने उनको बताया कि उनका बच्चा सुरक्षित है.
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Gwalior Crime News: जम्मू से झांसी जा रहा एक दंपति अपने दो महीने के बच्चे के साथ सुकून से ट्रेन में सफर कर रहा था. मालवा एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में पति ऊपर की बर्थ पर सो रहा था, जबकि पत्नी अपने 2 महीने के बच्चे के साथ बीच की बर्थ पर सो रही थी. डबरा के पास जब पति की आंख खुली तो उसने देखा, कि उसकी पत्नी तो बर्थ पर सोई हुई है, लेकिन उसका 2 महीने का बच्चा गायब है. काफी तलाश के बावजूद बच्चा नहीं मिला, तो ग्वालियर जीआरपी में अपहरण की एफआईआर दर्ज कर ली गई.
इस मामले में हैरानी तो तब बढ़ गई, जब गायब हुआ बच्चा 2 दिन बाद उसी ट्रेन में सुरक्षित मिल गया. चौंकाने वाली बात यह थी, कि इस बार बच्चा बीच की बर्थ पर नहीं बल्कि ऊपर की बर्थ पर सोता हुआ मिला. उलझन खड़ी कर देने वाला यह घटनाक्रम 6 अप्रैल की रात का है, जब जम्मू से मालवा एक्सप्रेस में सवार होकर उमेश अहिरवार अपनी पत्नी और दो महीने के बच्चे के साथ झांसी जा रहे थे.
छतरपुर के रहने वाले उमेश अहिरवार अपनी पत्नी सुखवती और 2 महीने के बच्चे के साथ वैष्णो देवी माता के दर्शन करने के लिए गए थे. 6 अप्रैल को वे मालवा एक्सप्रेस से वापस लौट रहे थे. मालवा एक्सप्रेस के स्लीपर कोच एस 2 की सीट नंबर 13 और 14 पर उमेश अहिरवार का रिजर्वेशन था. उमेश ऊपर की बर्थ पर सो रहे थे, जबकि उनकी पत्नी सुखवती अपने दो महीने के बच्चे के साथ बीच की बर्थ पर सो रही थी. ट्रेन जब डबरा स्टेशन के पास पहुंची तो अचानक उमेश की नींद टूट गई.
पत्नी गहरी नींद में सो गई, गायब हो गया दो महीने का बच्चा
उमेश ने जब बीच वाली बर्थ पर झांक कर अपने बच्चे और पत्नी को देखा, तो उमेश के पसीने छूट गए. पत्नी तो गहरी नींद में सोई हुई थी, लेकिन उमेश का 2 महीने का बच्चा गायब था. बच्चे को गायब देखकर उमेश ने तुरंत अपनी पत्नी को जगाया और बच्चे को ढूंढना शुरू कर दिया. काफी देर तक ट्रेन में दोनों पति-पत्नी अपने बच्चे को तलाश करते रहे, लेकिन जब कहीं भी उनका बच्चा नहीं मिला, तो उमेश ने ग्वालियर जीआरपी में इस बात की सूचना दी.
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7 अप्रैल को ग्वालियर जीआरपी ने बच्चे के अपहरण का मामला दर्ज कर लिया. उमेश और उसकी पत्नी हैरान थे, कि आखिर उनका 2 महीने का बच्चा अचानक से कहां गायब हो गया. पति-पत्नी इस बात को मान बैठे थे, कि किसी ने उनके बच्चे का अपहरण कर लिया है और अब उनका बच्चा उन्हें कभी वापस नहीं मिल सकेगा, लेकिन उमेश की खुशी का उस वक्त ठिकाना नहीं रहा, जब इंदौर जीआरपी को एक दंपति ने दो महीने का बच्चा सौंपते हुए बताया कि मालवा एक्सप्रेस में उन्हें ऊपर की बर्थ पर यह बच्चा सोता हुआ मिला है.
इंदौर जीआरपी ने दी ग्वालियर जीआरपी को सूचना, बच्चा सुरक्षित है
इंदौर जीआरपी ने ग्वालियर जीआरपी से संपर्क किया और उमेश को ग्वालियर जीआरपी ने बताया कि उनका बच्चा सुरक्षित है. अपने बच्चे के सुरक्षित मिलने की खबर पाकर उमेश और उसकी पत्नी की खुशी का ठिकाना ना रहा. उमेश अपने बच्चे को लेने के लिए इंदौर निकल गया.
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48 घंटे बाद बच्चा उसी ट्रेन में कैसे मिला सुरक्षित, पुलिस लगा रही पता
लेकिन इस पूरी कहानी में असली झोल बच्चों के 48 घंटे के गायब रहने का है. यह थ्योरी जीआरपी के गले भी नहीं उतर रही है, क्योंकि जिस मालवा एक्सप्रेस से उमेश का बच्चा गायब हुआ था, वह ट्रेन 7 अप्रैल की दोपहर को इंदौर पहुंच गई थी लेकिन तब किसी को उसे ट्रेन में कोई बच्चा नहीं मिला. यह ट्रेन 7 अप्रैल की दोपहर को इंदौर पहुंच गई थी, लेकिन तब किसी को उस ट्रेन में कोई बच्चा नहीं मिला, लेकिन जिस दंपति ने 8 अप्रैल को इंदौर जीआरपी को यह बच्चा सौंपा, उसने जीआरपी को बताया कि यह बच्चा उन्हें मालवा एक्सप्रेस में ऊपर की बर्थ पर मिला है.
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अब जीआरपी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर बच्चे के साथ दो दिन तक क्या घटनाक्रम घटित हुआ है. बच्चा जब बीच की बर्थ से गायब हुआ, तो भला सुरक्षित तरीके से ऊपर की बर्थ पर कैसे पहुंच गया और आखिर दो दिन यानी 48 घंटे तक यह बच्चा कहां गायब रहा? 48 घंटे की इस थ्योरी में फिलहाल जीआरपी उलझी हुई है. ग्वालियर जीआरपी टीआई पंकज दीवान का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच चल रही है और जल्द ही इस बात का पता लग जाएगा कि 48 घंटे तक दो महीने के बच्चे के साथ क्या घटनाक्रम हुआ है.
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