'झुंड में आओगे तो क्या मैं झुक जाऊंगा?', मास प्रोटेस्ट पर IAS स्वप्निल वानखड़े का फूटा गुस्सा, पटवारियों को लगाई फटकार
दतिया में सस्पेंड पटवारी के समर्थन में बड़ी संख्या में पटवारियों के कलेक्ट्रेट पहुंचने पर कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े नाराज हो गए और उन्होंने इसे दबाव बनाने की कोशिश बताया. कलेक्टर ने कहा कि भीड़ लाकर नहीं बल्कि नियम के तहत सीमित लोगों को आकर अपनी बात रखनी चाहिए.

मध्य प्रदेश के दतिया जिले से एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े पटवारियों पर नाराज होते नजर आ रहे हैं.मामला तब का है जब सस्पेंड किए गए एक पटवारी के समर्थन में बड़ी संख्या में पटवारी कलेक्ट्रेट पहुंच गए.
दरअसल, बीते बुधवार बसई क्षेत्र के पटवारी शैलेंद्र शर्मा को शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर वानखड़े ने सस्पेंड कर दिया था. इसी कार्रवाई से नाराज होकर पटवारी संघ के कुछ नेता अपने साथी के समर्थन और दूसरी समस्याओं को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे.
जैसे ही कलेक्टर को बाहर शोर-शराबे की जानकारी मिली, वह अपनी मीटिंग छोड़कर बाहर आ गए. आमतौर पर शांत रहने वाले कलेक्टर ने जब 60–70 पटवारियों की भीड़ देखी तो उनका पारा चढ़ गया. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोई समस्या है तो दो-तीन लोग भी आकर बात कर सकते थे, इतनी बड़ी भीड़ लाने की क्या जरूरत थी.
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पटवारियों को अनुशासन की नसीहत
कलेक्टर ने पटवारियों को अनुशासन की नसीहत देते हुए कहा कि इतने लोग दफ्तर छोड़कर आएंगे तो आम जनता के काम प्रभावित होंगे. उन्होंने दो टूक कहा कि कुछ नेताओं के कहने पर भीड़ लाकर उन पर दबाव बनाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी और वह इस तरह के दबाव में कोई फैसला नहीं करेंगे.
वीडियो वायरल होने के बाद कलेक्टर ने सफाई देते हुए कहा कि प्रशासन की ओर से कोई वीडियो जारी नहीं किया गया, बल्कि यह पत्रकारों द्वारा बनाया गया था.
उन्होंने आगे कहा कि गलती किसी से भी हो सकती है चाहे वह कलेक्टर हो, एडीएम हो या कोई पटवारी. अगर किसी को लगता है कि किसी के साथ अन्याय हुआ है तो नियमों के तहत अपनी बात रखी जाए, न कि झुंड बनाकर दफ्तर में पहुंचा जाए. इस पूरे घटनाक्रम के बाद कलेक्टर का सख्त रुख चर्चा का विषय बना हुआ है.
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