MP पुलिस का 'फर्जी NDPS केस' एक्सपोज, हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, सीसीटीवी से खुला पूरा भेद

MP Police Controversy: मध्य प्रदेश पुलिस के एक कथित फर्जी NDPS केस का CCTV वीडियो सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. बस से युवक को उतारकर अवैध तरीके से गिरफ्तार करने और गलत लोकेशन व समय दिखाकर NDPS एक्ट लगाने पर कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए. जानें कैसे सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस की कहानी का भेद खोला.

MP fake NDPS case
एमपी पुलिस को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
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मध्य प्रदेश से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. और इस बार वजह कोई आम जनता, स्टंटबाजी या फिर कोई हादसा नहीं बल्कि मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा की गई एक कार्रवाई है. अगस्त के महीने में एमपी पुलिस ने पहले एक बस रुकवाया और फिर युवक को उतारा. बाद में उन्होंने उस युवक पर NDPS तहत मामला भी दर्ज कर दिया. लेकिन इस मामले में युवक के परिजन ने तत्परता दिखाई और न्यायालय का रुख किया. अब एमपी हाईकोर्ट ने इसे लेकर मध्य प्रदेश पुलिस को जमकर फटकार लगाई है. आइए विस्तार से जानते है पूरा मामला.

क्या है पूरा मामला?

यह मामला 29 अगस्त 2025 का है. मंदसौर के मल्हारगढ़ थाने की पुलिस ने प्रतापगढ़ की ओर जाने वाली एक बस को रुकवाया. फिर सादी वर्दी में कुछ पुलिस वाले बस में दाखिल हुए और वहां से एक युवक को धर-दबोचा और वहां से उसे बाहर लेकर निकल गए. युवक को बस से निकालने का वीडियो बस में लगे सीसीटीवी में कैद हो गया जिसमें तारीख 29 अगस्त और समय 11:49 दिखाई दे रहा था.

पुलिस ने लगाया NDPS एक्ट

युवक को पकड़ने के बाद पुलिस ने गजब की कारस्तानी की. उन्होंने अपने रिपोर्ट में लिखा कि युवक को 2 किलो 700 ग्राम अफीम के साथ 29 अगस्त को मलहारगढ़ के श्मशान के सामने बांडा खाल के पास से शाम को 5:00 बजे गिरफ्तार किया गया. साथ ही पुलिस ने युवक पर NDPS एक्ट भी लगा दिया. लेकिन पुलिस की बताई जगह और बस में लगे सीसीटीवी की लोकेशन में करीब 35 किलोमीटर का फर्क है और कार्रवाई के समय में भी 5 घंटे से ज्यादा का अंतर दिखा.

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हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

इस मामले में युवक के परिजन में कोर्ट का रुख किया और मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इंदौर पीठ में पहुंचा. युवक के घरवालों ने इसको लेकर याचिका दायर की और सबूत के तौर पर बस का सीसीटीवी फुटेज दिखाया. जिसके बाद हाईकोर्ट ने पुलिस वालों को जमकर फटकार लगाई और आरोपी युवक को जमानत पर रिहा कर दिया. हालांकि इस मामले में फिलहाल हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

वकील ने बताई पूरी बात

इस मामले में जानकारी देते हुए वकील हिमांशु ठाकुर ने कहा कि, 5 दिसंबर 2025 को सोहन लाल नाम के व्यक्ति को माननीय न्यायालय ने जमानत दी थी और यह माना था बस में उसे अवैध तरीके से किडनैप करके ले जाया गया. उन्होंने आगे कहा कि वो बच्चा होनहार है, 12वीं क्लास में फर्स्ट डिवीजन में पास हुआ है. वहीं इस मामले में न्यायालय ने एसपी को उपस्थित होने के आदेश दिए थे और उन्होंने पूरे प्रकरण को स्वीकार लिया गया और कहा है कि जो कार्रवाई हुई है कानून के मुताबिक नहीं है और अवैधानिक है. साथ ही एसपी ने इस बात को भी स्वीकारा है कि बस में चढ़ने वाले व्यक्ति पुलिस वाले ही थे.

6 पुलिसकर्मी सस्पेंड

हाई कोर्ट की फटकार के बाद एसपी ने यह बताया कि इस पूरे मामले में छह पुलिसकर्मियों को निलंबित भी किया जा चुका है और उनके खिलाफ विभागीय जांच के लिए एएसपी को निर्देश दिए हैं.

कौन है युवक?

जिस युवक को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, वह युवक राजस्थान का रहने वाला है. युवक के परिजनों की मानें तो वह मंदसौर के प्रतापगढ़ जाने वाली बस में बैठा था. इस दौरान मंदसौर टोल पार करने के बाद पीछे से आई बिना नंबर की स्कर्पियो में से तीन-चार लोग उतरे और बस में चढ़कर युवक को पकड़ लिया और उस पर एनडीपीएस के तहत मामला दर्ज करके उसको जेल भेज दिया गया. 

अमित शाह ने थाने को दिया था अवॉर्ड

वहीं इस मामले से जुड़ी एक और दिलचस्प बात सामने आई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सबसे अच्छे थानों की सूची में टॉप 10 में होने की वजह से इस थाने को अवॉर्ड भी दिया था. राज्य के डीजीपी कैलाश मकवाना ने इसे गर्व का क्षण बताया था, लेकिन हाईकोर्ट की फटकार और एसपी के कबूलनामे ने ना सिर्फ इस थाने बल्कि पुलिस विभाग की साख पर एक बार फिर से बट्टा लगा दिया है.

यहां देखें वीडियो

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