Charchit Chehra: कौन हैं देश के 53वें CJI सूर्यकांत? चीफ जस्टिस बनने के बाद ऐसा क्या हुआ कि बी. आर. गवई की भी हो रही चर्चा
Charchit Chehra: जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने है. उनके पदभार संभालने के बाद ही पूर्व CJI गवई ने उन्हें ऑफिशियल गाड़ी की चाबी सौंप दी जिसके बाद इसकी खूब चर्चा हो रही है. चर्चित चेहरा के इस खास एपिसोड में आज जानेंगे CJI सूर्यकांत की कहानी कि कैसे एक छोटे से शहर का लड़का आज बना चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया.

सुप्रीम कोर्ट यानी देश में न्याय की सबसे आखिरी उम्मीद क्योंकि जिसे कहीं से मनमुताबिक न्याय नहीं मिलता वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है. इसी न्याय के मंदिर को अब नए पुजारी के रूप में जस्टिस सूर्या कांत मिले हैं. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया(CJI) पद से बी आर गवई के रिटायर होते ही जस्टिस सूर्यकांत ने इस कुर्सी संभाली को संभाल ली है.
इसी बीच पूर्व CJI बी आर गवई ने नए CJI के लिए जो किया उसकी बहुत तारीफ हो रही है. उन्होंने बिना देर किए ऐसा काम कर दिया जिसके लिए खूब समय दिया जाता है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत एक साथ जज बने थे. बस फर्क इतना है कि जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल(Tenure) जस्टिस गवई से दोगुना लगभग 15 महीनों का होगा. अब जब वो CJI बनने के बाद उनके किस्से-कहानी जबरदस्त चर्चा में हैं. चर्चित चेहरा के इस खास एपिसोड में जानिए कैसे एक छोटे शहर के लड़के ने लिखी अपनी कामयाबी की दास्तान और पूर्व CJI ने जाते-जाते ऐसा क्या किया जिसकी हो रही खूब चर्चा.
पूर्व CJI गवई ने ऐसा क्या किया की हो रही चर्चा?
सुप्रीम कोर्ट का सिस्टम ही ऐसा है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनते-बनते उम्र गुजर जाती है. 1993 से ये परम्परा चल रही है कि चीफ जस्टिस के बाद सबसे सीनियर जज ही नए चीफ जस्टिस बनेंगे, इस बार भी ऐसा ही हुआ है और जस्टिस सूर्यकांत नए CJI बनें. 24 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें देश के 53वें CJI के रूप में शपथ दिलाई.
यह भी पढ़ें...
शपथ समारोह के लिए जस्टिस बी आर गवई आए तो CJI की ऑफिशियल गाड़ी में थे लेकिन जाते-जाते नए CJI को उनकी अमानत सौंप गए और घर जाने के लिए अपनी पर्सनल गाड़ी का इस्तेमाल किया. इसके बाद से ही बी आर गवई की खूब तारीफ भी हो रही है और चर्चा हो रही है. बता दें कि नए CJI सूर्यकांत का कार्यकाल 15 महीने का होगा, वो 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे. उनके बाद जस्टिस विक्रमनाथ सात महीने के लिए चीफ जस्टिस बनेंगे.
CJI का चुनाव कैसा होता है?
सुप्रीम कोर्ट की परम्परा है कि रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस सबसे सीनियर जज को ही चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश करेंगे. न कोई सेलेक्शन प्रोसेस होता, न कोई कमेटी विकल्पों पर विचार होता है और साथ ही इसमें जज चुनने वाले कॉलेजियम का भी कोई रोल नहीं होता. बीआर गवई के बाद सबसे सीनियर जज जस्टिस सूर्यकांत ही थे और इसलिए ही उन्हें CJI बनाया गया है.
कौन हैं नए CJI सूर्यकांत?
नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया(CJI) सूर्यकांत हरियाणा के हिसार से ताल्लुक रखते हैं और उनका जन्म 1962 में हुआ था. जस्टिस सूर्यकांत के एकेडमिक करियर की खास बात है कि उन्होंने विदेश की किसी यूनिवर्सिटी से डिग्री नहीं ली और ना ही देश के किसी प्रीमियम कॉलेज से पढ़ाई की. छोटे शहरों के सरकारी कॉलेज, यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करके आज वे उस मुकाम पर पहुंचे जहां तक पहुंचना हर लॉ स्टूडेंट, प्रोफेशनल का सपना होता है.
CJI सूर्यकांत ने हिसार के गवर्नमेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से लॉ से ग्रेजुएट हुए. वो ऐसे चीफ जस्टिस बने हैं जिसने 1984 में हिसार के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी और आगे चंडीगढ जाकर हाईकोर्ट में वकील बने. वे वकालत करते हुए हरियाणा सरकार के सबसे कम उम्र के Advocate General भी बने. उनके करियर की एक कहानी ये भी है कि हाईकोर्ट जज बनने के बाद भी उन्होंने लॉ की आगे की पढ़ाई की. 2011 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से डिस्टेंस एजुकेशन से उन्होंने मास्टर्स ऑफ लॉ की डिग्री की है.
सूर्यकांत का फैमिली बैकग्राउंड
जस्टिस सूर्यकांत ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, लेकिन उनके पिता मदन गोपाल शर्मा जातिगत भेदभाव के खिलाफ थे और हमेशा सामाजिक समानता की वकालत करते थे. उनके पिता संस्कृत के शिक्षक थे और उनके परदादा भी अध्यापक थे. लेकिन जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी अलग राह चुनी और आज चीफ जस्टिस बने हैं. जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत अंग्रेजी की प्रोफेसर रहीं और प्रमोशन के बाद कॉलेज प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुईं.
CJI सूर्यकांत के ऐतिहासिक फैसले
CJI सूर्यकांत का 2004 में प्रमोशन हुआ और जब वकील रहते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जज बने. 14 साल तक जज रहने वाले 2018 में हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 2019 में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट जज बनने के लिए दिल्ली बुला लिया. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत एक साथ जज बने थे. सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद जस्टिस सूर्यकांत कई ऐसे जजमेंट में शामिल रहें जो राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील रहें, जिनमें जम्मू कश्मीर के 370, सीएए, बिहार में SIR वोटर लिस्ट पर जजमेंट देने वाले शामिल है.
सूर्यकांत के करियर में सबसे चर्चित केसेस में एक दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत देने का फैसला है. जस्टिस सूर्यकांत इस समय सुप्रीम कोर्ट की उस संविधान बेंच में शामिल हैं जो प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर राष्ट्रपति, राज्यपाल के अधिकारों पर सुनवाई की.सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्बर की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत अब तक 291 जजमेंट लिख चुके हैं.
कितनी होगी CJI की सैलरी?
अब सुप्रीम कोर्ट के जज से चीफ जस्टिस का प्रमोशन से जस्टिस सूर्यकांत की जिंदगी, करियर बहुत कुछ बदल जाएगा. हालांकि सैलरी में बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के जज की सैलरी ढाई लाख होती है. चीफ जस्टिस बनने पर ये 2 लाख 80 हो जाएगा मतलब 30 हजार का फायदा होगा. बेसिक सैलरी का 24 परसेंट एचआरए होता है. दोनों लेवल पर ग्रेचुएटी 20-20 लाख ही मिलती है. रिटायरमेंट पर जज को 15 लाख की पेंशन डीए के साथ मिलती है. चीफ जस्टिस को 16 लाख 80 हजार प्लस डीए मिलता है. चीफ जस्टिस को वन टाइम 10 लाख फर्निशिंग अलाउंस मिलेगा. साथ ही घर, गाड़ी, ट्रैवल जैसे कई और सुविधाएं भी मिलेंगी.
CJI पर पड़ेगा काम का बोझ
भले ही जस्टिस सूर्यकांत को तमाम सुविधाएं दी जा रही है लेकिन इस बीच उनपर काम का बोझ भी ज्यादा रहने वाला हैं. National Judicial Data Grid के डेटा के हवाले से सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्बर की एक रिपोर्ट के मुताबिक गवई के रिटायरमेंट तक सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग केसेस का रिकॉर्ड टूट गया. 1993 के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग केसेस की संख्या 90 हजार के पार हुई है. इससे पहले 1993 में पेंडिंग केसेस की संख्या 90 हजार के पार हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्बर की रिपोर्ट ने माना कि गवई के 6 महीने के कार्यकाल में तो 2 महीने कोर्ट की छुट्टियां भी शामिल हो गईं. इन दिनों में बहुत कम या सिर्फ अर्जेंट मामलों की ही सुनवाई हो पाई. ये भी एक फैक्टर बना कि उनके चीफ जस्टिस बनते ही तीन जज रिटायर हो गए और वेकेंसी भरते-भरते अगस्त आ गया और नवंबर में रिटायरमेंट हो गया.










