बेंगलुरु: ऐ कारी टोपी...ये कहते ही डीके शिवकुमार पर भड़के BJP विधायक मुनिरत्ना, मंच पर मचा बवाल
कर्नाटक में डीके शिवकुमार और बीजेपी विधायक मुनिरत्ना के बीच सरकारी मंच पर हंगामा. मुनिरत्ना काली टोपी, खाकी पैंट और सफेद शर्ट पहनकर गए..फिर...

बैंगलोर के लोगों से मिलने के लिए डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने यूनिक प्रोग्राम किया. आरआर नगर यानी राजराजेश्वरी नगर में मॉर्निंग वॉक करने के बाद लोगों की समस्याएं सुनने के लिए Greater Bengaluru Authority (GBA) के अधिकारियों को लेकर आए थे. बेंगलुरु नाडिगे कांग्रेस का नहीं, सरकारी कार्यक्रम था.
आरआर नगर बीजेपी की जीती हुई विधानसभा सीट है जिसके विधायक हैं मुनिरत्ना. न जाने क्या सोचकर सरकारी कार्यक्रम में बीजेपी विधायक मुनिरत्ना आरएसएस की ड्रेस पहनकर पहुंचे थे. काली टोपी, खाकी पैंट, वाइट शर्ट पहनकर जनता के बीच जाकर बैठ गए. सरकार के कार्यक्रम में आरएसएस की ड्रेस पहनकर पहुंचने का मकसद डीके शिवकुमार को चिढ़ाना था.
मुनिरत्ना ने माइक छीनने की कोशिश की
मंच से डीके शिवकुमार ने मुनिरत्ना को देख लिया कि वो जमीन पर आरएसएस की ड्रेस में गांधीजी की फोटो लेकर बैठे हैं. उन्होंने भी मंच से मुनिरत्ना को चिढ़ाते हुए आवाज दी-ऐ कारी टोपी, यहां आओ. बस इसी से हंगामा शुरू हो गया. डीके के बुलाने पर मुनिरत्ना मंच पर आए और जमकर हंगामा किया. डीके से माइक छीनने की कोशिश की. ऐसा नहीं कर पाए तो शो होस्ट का माइक झपट लिया हल्ला मचाने लगे कि वो चुने हुए विधायक हैं उन्हें कोई नहीं बुलाया गया. सरकारी कार्यक्रम को कांग्रेस का मंच बना दिया है. मुनिरत्ना ये कहते हुए बाहर गए कि डीके उनकी पॉलिटिकल करियर खत्म करने पर तुले हैं.
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मुनिरत्ना से डीके कहते रहे कि बैठकर इत्मीनान से बात करते हैं, लेकिन मुनिरत्ना नहीं माने. बीजेपी विधायक का हंगामा देखकर आयोजकों ने सख्ती की. माइक वापस लेकर मंच से उतारा गया. डीके ने कहा कि बीजेपी विधायक को बोलना है तो विधानसभा में बोलें.
कर्नाटक में RSS को लेकर राजनैतिक सरगर्मी तेज
कर्नाटक में आरएसएस को लेकर बहुत ज्यादा राजनीतिक गरमागर्मी चल रही है. आरएसएस के खिलाफ राहुल गांधी की लाइन बहुत हार्ड है. उस हार्ड लाइन का असर कर्नाटक में दिख रहा है, जहां कांग्रेस की प्रचंड बहुमत से सरकार चल रही है. कुछ दिन पहले विधानसभा में डीके शिवकुमार ने भी नमस्ते सदा वत्सले गाकर हलचल मचाई थी. अब जो हुआ है वो तो बड़े भूचाल का इशारा कर रहा है.
प्रियांक खरगे का हार्ट एक्शन
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे कर्नाटक सरकार में आईटी और ग्रामीण विकास मंत्री हैं. कर्नाटक में आरएसएस के खिलाफ सबसे सख्ती से अगर किसी ने स्टैंड लिया हुआ है वो प्रियांक खरगे हैं. प्रियांक खरगे ने आरएसएस के खिलाफ इतना बड़ा स्टैंड ले लिया जिसकी बात तो राहुल गांधी भी नहीं करते. कर्नाटक में आरएसएस को बैन करने के लिए उन्होंने अपनी सरकार को लिखा है.
प्रियांक की चिट्ठी पर जितनी तेजी से एक्शन शुरू हुआ है उसे माना जा रहा है कि कहीं कर्नाटक में आरएसएस बैन न हो जाए. प्रियांक खरगे ने सीएम सिद्धारमैया को चिट्ठी भेजी. सीएम ने चीफ सेक्रेट्री शालिनी रजनीश को जांच और आवश्यक कार्रवाई के लिए फॉरवर्ड कर दिया.
क्या है प्रियांक खरगे की मांग?
प्रियांक खरगे ने मांग की है कि सरकारी परिसरों में RSS की गतिविधियों पर पूरी तरह से बैन लगाया जाए. RSS सरकारी स्कूलों, खेल के मैदानों और मंदिरों में शाखाएं और सभाएं आयोजित करके बच्चों और युवाओं में विभाजनकारी विचार फैला रहा है. ऐसी गतिविधियां संविधान की भावना और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ हैं इसलिए फौरन बैन लगना चाहिए. सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल, कॉलेजों, मंदिरों या किसी ग्राउंड में RSS के सभी कार्यक्रमों पर बैन लगाया जाए. खरगे ने ये सवाल भी उठाया कि बिना पुलिस परमिशन के कैसे आरएसएस के लोग लाठियां लेकर घूमते हैं. खरगे ने आरएसएस की तुलना तालिबान से कर दी.
ये सब ऐसे समय हुआ है जब आरएसएस की स्थापना के 100 साल पूरे हुए हैं. पीएम मोदी खुद आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल हुए हैं. डाक टिकट, सिक्का भी जारी किया. आरएसएस के लिए बैन नया नहीं है.
कांग्रेस की सरकार में RSS पर 3 बार लग चुका बैन
अब तक तीन बार कांग्रेस की सरकारों के समय में बैन लगा. आरएसएस पर पहली बार बैन महात्मा गांधी की हत्या के बाद 1948 में लगाया गया. दूसरी बार इमरजेंसी के समय इंदिरा गांधी की सरकार ने बैन लगाया. तीसरी बार 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी आरएसएस पर बैन लगाया था. तीनों बार बैन हटाया गया. इस समय आरएसएस पर कहीं किसी तरह का बैन नहीं है. बल्कि मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर लगा बैन भी हटा चुकी है. प्रियांक खरगे की मांग और कांग्रेस सरकार में हो रही हलचल के खिलाफ बीजेपी ने भी विरोध का कड़ा स्टैंड लिया है.
2023 के विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने जो घोषणापत्र जारी किया था उसमें आरएसएस का तो जिक्र नहीं था, लेकिन पार्टी ने बजरंग दल का जिक्र करते हुए वादा किया था कि ऐसे संगठनों पर बैन लगाया जाएगा जो दुश्मनी या नफरत को बढ़ावा देते हैं. अब प्रियांक खरगे आरएसएस के खिलाफ ऐसे बैन की मांग कर रहे हैं जिसकी बात राहुल गांधी भी नहीं करते. हालांकि वो आरएसएस की विचारधारा को बांटने और नफरत फैलाने वाली मानते हैं.
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