UP में आया ऐसा मामला कि अदालत भी रह गई दंग, निर्दोष ने जेल की सजा काटी फिर ऐसे हुआ पूरा खुलासा
इस बात का पता कभी नहीं लगता यदि युवती बदालत में गवाही से मुकरती नहीं. युवती ने ही इस पूरे षडयंत्र के तहत युवक को फंसाया था.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

अदालत ने युवती को दोषी माना.

युवती को उतने ही दिन सजा सुनाई गई जितनी युवक ने जेल में काटी है.
उत्तर प्रदेश के बरेली से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. जब मामला अदालत के सामने आया तो जज भी हैरान रह गए. जज ने कहा-पुरुषों के हितों पर आघात की छूट नहीं दी जा सकती. दरअसल महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के झूठे आरोप में फंसे एक युवक को बिना गलती के 4 साल की जेल की सजा मिली.
इस बात का पता कभी नहीं लगता यदि युवती बदालत में गवाही से मुकरती नहीं. युवती ने ही इस पूरे षडयंत्र के तहत युवक को फंसाया था. हकीकत जब अदालत के सामने आई तो अदालत ने फैसला सुनाते हुए युवक को दोष मुक्त किया और युवती को भी उतनी ही सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि जितने दिन की युवक ने जेल में सजा काटी है , उतने ही दिन की सजा युवती को भी जेल में काटनी होगी.
इसके अलावा अदालत में आर्थिक जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने कहा है यदि युवक जेल के बाहर रहता तो मजदूरी करते हुए इतने समय में 5,88000 से अधिक रुपए कमा लेता. इसलिए युवती से यह रकम वसूल करके युवक को दी जाए. यदि ऐसा नहीं होता है तो युवती को 6 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.
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पीड़ित युवक अजय उर्फ राघव ने बताया कि बात वर्ष 2019 की है. युवती ने मुझे जबरन फंसाया और और मुझे बदनाम किया. इतने साल जेल में रहा. मेरा कॅरियर खराब किया. मुझे बदनाम कर दिया गया. अब मैं कहीं जाता हूं तो लोग शक की निगाह से देखते हैं.
झूठी गवाही पर लड़की पर मुकदमा
इस पूरे मामले में झूठी गवाही देने के लिए युवती पर मुकदमा दर्ज किया गया. इस पूरे मामले में सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने उसे दोषी पाते हुए सजा सुनाई. इस पूरे मामले में जानकारी देते हुए पीड़ित के वकील नवीन गोस्वामी ने बताया कि एक अजय राघव जोकि जिसके ऊपर थाना बारादरी में मुकदमा दर्ज हुआ था.
लड़की ने यह आरोप लगाया था कि उसने उसके साथ गलत काम किया है. कोर्ट में लड़की अपने बयान से मुकर गई है. अब कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है कि जितने दिन की सजा युवक ने जेल में बिताई है इतने दिन की सजा अब लड़की को भी काटनी होगी. यह अपने आप में एक अनोखा फैसला है.
इनपुट: कृष्ण गोपाल राज, यूपी तक