ओडिशा की राजनीति में भूचाल, BJD के वरिष्ठ नेता देबाशीष सामंतराय क्यों नाराज? पांडियन पर फूटा गुस्सा!
Odisha Politics: 2024 की दोहरी चुनावी हार के बाद बीजेडी लगातार टूट रही है. देवाशीष सामंतराय समेत कई नेता पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं और पद ठुकरा रहे हैं. वीके पांडियन पर भी आरोप लग रहे हैं. कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं और माना जा रहा है कि सामंतराय भी जल्द बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं.

Odisha Politics: 2024 में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हारने का ये अंजाम होगा. ये नवीन पटनायक ने कभी सोचा नहीं होगा. पिता बीजू पटनायक की राजनीतिक विरासत लेकर राजनीति करने वाले नवीन पटनायक करीब 25 साल में कभी कोई चुनाव नहीं हारे.
2024 के चुनावों में एक साथ दो-दो चुनावों का हार का स्वाद चखा तो जैसे जीभ जल गई. सत्ता भी गई और बरसों से जमी-जमाई पार्टी बीजेडी धीरे-धीरे रोज टूट रही है. मुश्किल से खुद चल-फिर पाने वाले नवीन पटनायक के लिए मुश्किल हो रहा पार्टी को बचाए रखना क्योंकि उनके बाद या उनके साथ पार्टी चलाने के लिए कोई मजबूत हाथ नहीं है.

ये फोटो फरवरी 2024 की है. राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेडी ने जिनको उम्मीदवार बनाया था उनका नामांकन कराने खुद नवीन पटनायक पहुंचे थे. चुने हुए उम्मीदवारों में एक देबाशीष सामंतराय और सुभाशीष खूंटिया थे. राज्यसभा में कार्यकाल 6 साल का होता है. आम तौर पर राज्यसभा के लिए ऐसे उम्मीदवारों को टिकट मिल पाता है, जिसे संसद पहुंचाने में पार्टी सुप्रीमो का बहुत इंटरेस्ट हो. देबाशीष सामंतराय इस कटौती पर खरे उतरे और संसद पहुंच गए. राज्यसभा में उनका 5 साल का कार्यकाल बचा है लेकिन ओडिशा की राजनीति में बहुत चर्चा है कि देबाशीष के बीजेडी में गिने चुने दिन रह गए हैं. नवीन पटनायक और पार्टी चलाने वालों से इतने नाराज हैं कि आए दिन बगावत का बम फोड़ रहे हैं.
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देबाशीष क्यों नाराज हुए!
हाल में देबाशीष सामंतराय के लिए पार्टी में नया पद सीनियर सिटिजन सेल के वाइस प्रेसीडेंट बनाया गया. देबाशीष इतने नाराज हुए कि पार्टी का पद स्वीकार ने से मना कर दिया. कहा कि समझ में नहीं आता कि पॉलिटिकल पार्टी में वाइस प्रेसीडेंट क्या पद होता है. BJD को ब्यूरोक्रेटिक पार्टी बोलते हुए सामंतराय ने नवीन बाबू को लिख दिया कि पार्टी को बीजू-नवीन के लॉयल लोगों की जरूरत नहीं रही.
पार्टी ने अब एक नई सोच, विचारधारा और कार्यशैली को अपना लिया है जो पार्टी संस्थापक बीजू पटनायक की उस विरासत से अलग है, जिसकी आप नवीन पटनायक मिसाल हैं. सामंतराय उन 10 सीनियर नेताओं में हैं जिन्हें इन द रैंक यानी दर्जे के टैग के साथ वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उपाध्यक्ष, वरिष्ठ महासचिव जैसे पदों पर नियुक्त किया गया.
बीजेडी में अंदरूनी कलह
चुनाव बाद बीजेडी में अंदरूनी कलह चल रही है. विरोध में बोलने वाले नेताओं पर ताबड़तोड़ एक्शन हो रहे हैं. ऐसे भी नेता हैं जो पार्टी छोड़ रहे हैं. ऐसे ही एक्शन के लपेटे में आ गईं बीजेडी महिला सेल की महासचिव और वोकल नेता श्रीमयी मिश्रा. श्रीमयी मिश्रा महीनों से बीजेडी और वीके पांडियन के खिलाफ लिख रही थीं. नवीन पटनायक की तुलना धृतराष्ट्र से कर दी थी. श्रीमयी ने पांडियन के लिए लिखा-क्रांति की आग, क्रांति की शुरुआत, विनाश की आहट.
2 महीने पहले श्रीमयी को पार्टी से किया सस्पेंड
सितंबर में श्रीमयी को सस्पेंड किया. बहुत सारे और नेता पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोपों में बाहर किए गए. श्रीमयी मिश्रा के खिलाफ एक्शन का सीनियर नेता देवाशीष सामंतराय ने जोरदार विरोध किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
पार्टी के फैसलों पर उठाए सवाल
अब देवाशीष सामंतराय ने खुद बड़ा कदम उठाते हुए पार्टी के सीनियर सिटिजन सेल के वाइस प्रेसीडेंट का पद लेने से मना कर दिया. सामंत राय ने जो कुछ कहा-लिखा सब पांडियन के खिलाफ माना जा रहा है. कहा सम्मान नहीं, अपमान मिला. पद देखकर लगा जैसे सम्मान नहीं, बल्कि जैसे किसी ने उन्हें किनारे कर दिया हो. रीऑर्गेनाइजेशन के बहाने उन पुराने लोगों को पीछे धकेला जा रहा है, जिन्होंने सालों तक पार्टी को खड़ा रखा.
क्या बीजेपी में जाने वाले हैं देवाशीष?
इन सारी चीजों को जोड़कर मान लिया गया है कि बीजेडी छोड़ने की तैयारी में हैं दादा. आज नहीं तो कल बीजेपी ज्वाइन कर लेंगे. ओडिशा में बीजेडी के बागियों का नया ठिकाना है बीजेपी. चुनावों में हारते ही दो राज्यसभा सांसदों ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली. बीजेपी ने दोनों से राज्यसभा सदस्यता से भी इस्तीफा कराया. उन्हीं सीटों पर उपचुनाव में टिकट देकर वापस राज्यसभा सांसद बनवा दिया. बीजेपी को 2 का फायदा हुआ, बीजेडी को 2 का नुकसान हुआ. माना जा रहा है देबाशीष सामंत राय भी ऐसा ही कुछ करते हुए नवीन पटनायक को छोड़ जा सकते हैं.
वीके पांडियन फिर चर्चा में
पार्टी के भीतर चल रहे घमासान को लेकर वीके पांडियन फिर चर्चा में हैं. वीके पांडियन वही पूर्व आईएएस जो बरसों तक सीएम के प्राइवेट सेक्रेट्री रहते हुए इतने करीब आए कि उन्हें नवीन बाबू का उत्तराधिकारी कहा जाने लगा. 2024 का चुनाव नवीन बाबू को आगे रखकर पांडियन लड़े और हारे. तब से पांडियन को लेकर बीजेडी में आग लगी है.
श्रीमयी मिश्रा ने पार्टी नेताओं को धिक्कारा कि पार्टी की खराब हालत के बाद भी तमिल आइडियोलॉजी को खुश कर रहे हैं. अब तमिल दुल्हन की मदद से पार्टी को खड़ा करने के लिए एक साथ स्ट्रैटेजी शुरू कर दिए है. जिस तमिल आइडियोलॉजी पर निशाना इसलिए कि वीके पांडियन तमिलनाडु के रहने वाले हैं. आईएएस बनकर ओडिशा में आए थे. उनकी पत्नी सुजाता भी आईएएस हुआ करती थी. सरकार बदलने के बाद उन्होंने भी आईएएस से इस्तीफा दे दिया.
चुनाव से पहले राजनीति से भी संन्यास
वीके पांडियन आईएएस की नौकरी छोड़कर चुनावों से पहले बीजेडी में शामिल हुए थे लेकिन आते ही धक्का लगा. उन्होंने वीडियो डालकर एलान किया कि वो पार्टी ही नहीं, राजनीति से भी संन्यास ले रहे हैं. इस बात को डेढ साल होने जा रहे हैं. फिर भी पार्टी में जो हो रहा है उसके लिए पांडियन को जिम्मेदार माना जा रहा है. इसका इशारा ये है कि पांडियन राजनीति से घोषित तौर पर दूर होकर भी राजनीति में हैं, बीजेडी में हैं और नवीन पटनायक के आसपास हैं.
बीजेडी में दूसरा बड़ा हंगामा चुनावी हार के बाद तब बरपा जब वक्फ बिल पर संसद में वोटिंग के लिए बीजेडी ने बार-बार स्टैंड बदला. पहले बिल का विरोध करने का एलान करते सांसदों को अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने के लिए कह दिया. पार्टी के सात सांसदों में से किसी ने विरोध में, किसी ने समर्थन में किसी ने वोटिंग से दूर रहने का फायदा किया. आरोप लगे कि पांडियन के प्रेशर में ये सब हुआ ताकि बीजेपी की मदद हो जाए.
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