'मैं लाइन में पहले नंबर पर...', डीके शिवकुमार का बड़ा संकेत, कांग्रेस में हलचल तेज!
डीके शिवकुमार ने संकेत दिया कि वे प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ सकते हैं, जिससे उनकी सीएम दावेदारी फिर चर्चा में है. सिद्धारमैया 5 साल का कार्यकाल पूरा करने का दावा करते हैं.

डीके शिवकुमार 6 साल से कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष बने हुए है. प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए डीके ने ऐसा प्रोजेक्ट शुरू किया जिसके बारे में कभी किसी राज्य के किसी प्रदेश अध्यक्ष नहीं किया. 2023 में कांग्रेस कर्नाटक की सत्ता में आई. डीके ने ड्रीम देखा पूरे राज्य में 100 कांग्रेस भवन बनाने का. प्रोजेक्ट एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है. डीके शिवकुमार दिल्ली आकर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मिले. 100 कांग्रेस प्रोजेक्ट की हरी झंडी दिखाने के लिए इनवाइट किया. ये मेल-मुलाकात ऐसे समय हुई जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदलने और 30-30 मंथ फॉर्मूले के तहत सीएम बदलने की जोरों से चर्चा है.
'मैं लाइन में पहले नंबर पर हूं'
दिल्ली से कर्नाटक लौटते ही डीके शिवकुमार ने बड़ा धमाका किया. इशारा किया कि वो प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ सकते हैं. 2023 में उन्होंने डिप्टी सीएम बनने के बाद पद छोड़ने की इच्छा जताई थी लेकिन राहुल गांधी, खरगे के कहने पर पद पर बने रहे. अब डीके ने कहा कि मुझे पता नहीं कि कब तक मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहूंगा. मैं पार्टी अध्यक्ष पद पर स्थायी रूप से नहीं रह सकता. मार्च में छह साल हो जाएंगे. मैं एक मिसाल कायम करने की कोशिश करना चाहता हूं कि कोई भी स्थायी नहीं हो सकता. हालांकि राहुल और खरगे ने मुझे पद पर बने रहने के लिए कहा. इसलिए मैं कॉन्टीन्यू कर रहा हूं. तब तक करूंगा जब तक हाईकमान कहेगा. कोशिश है कि अपने कार्यकाल में पार्टी के 100 ऑफिस बनवाऊं. डीके जब ये सब बोल रहे थे तब उनके समर्थक डीके शिवकुमार सीएम के नारे लगा रहे थे. डीके चाहते तो इग्नोर कर सकते थे. उन्होंने नारों के बीच समर्थकों से कहा कि चिंता मत करो. मैं लाइन में पहले नंबर पर हूं. डीके ने ये भी जोड़ा कि कहा कि मैं किसी पद पर रहूं या न रहूं, हमेशा लीडरशिप रोल में रहूंगा. ये सब तब हो रहा है जब के एन रजन्ना ने नवंबर क्रांति की भविष्यवाणी की हुई है.
नवंबर क्रांति से इनकार करते सिद्धारमैया
डीके शिवकुमार के इस बयान को अलग-अलग नजरिये से देखा जा रहा है. एक चर्चा ये कि हाईकमान पर दवाब बनाने के लिए डीके ने खुद इस्तीफे का ऑफर दिया है. दूसरी चर्चा ये है कि प्रदेश अध्यक्ष से डीके के हट जाने का मतलब सीएम पद पर प्रमोशन हो सकता है. 2023 में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ये चर्चा रही है कि 30-30 मंथ यानी ढाई-ढाई साल फॉर्मूले के तहत सिद्धारमैया पहले 30 मंथ के लिए सीएम बने. ये 30 मंथ इसी महीने पूरे हो रहे है. अब डीके की बारी है. खुलकर तो नहीं लेकिन बंद कमरों में डीके दावेदारी पेश कर रहे हैं. सिद्धारमैया ने कभी संकोच नहीं किया ये बताने में कि वही 5 साल तक सीएम रहेंगे. वो किसी नवंबर क्रांति से इनकार करते हैं.
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सीएम सिद्धारमैया कर रहे दावा
डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश का भी एक बयान आया है जिसमें उन्होंने ढाई साल पूरे होने पर कहा कि उम्मीद है सिद्धारमैया अपने वचन पर कायम रहेंगे. हालांकि सुरेश ने ये साफ नहीं कि जिस वचन को निभाने की उम्मीद की जा रही है क्या वो ढाई साल बाद डीके के लिए कुर्सी छोड़ने के बारे में दी थी? डीके शिवकुमार सीएम के मजबूत दावेदार थे, हैं और आगे भी रहेंगे. उन्होंने खुद से कभी नहीं कहा कि वो सीएम के दावेदार हैं. सीएम सिद्धारमैया कई बार दावा कर चुके हैं कि 30-30 ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं. वो सीएम का 5 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे. जैसे ही डीके ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने का इशारा किया, सिद्धारमैया ने दावा कर दिया कि चिंता मत कीजिए- विधानसभा में अगला बजट मैं ही पढूंगा 17वीं बार. मैंने 16 बजट पेश किए हैं और अब 17वां बजट पेश करूंगा. एक चर्चा ये भी चल रही है कि कैबिनेट में फेरबदल होने वाला है. अगर सिद्धारमैया ने कैबिनेट में फेरबदल कर लिया तो बदले जाने की चर्चा थम जाएगी. अगर सीएम बदला जाना है तो फिलहाल कैबिनेट फेरबदल नहीं होगा. फिलहाल सीएम और कैबिनेट फेरबदल दोनों का फैसला होल्ड पर है. दोनों कैंप की सांसें थमी हैं.
सिद्धारमैया को हटाया तो क्या होगा?
कर्नाटक कांग्रेस के सबसे मजबूत राज्यों में से है, जहां सब ठीक सिवाय सिद्धारमैया और डीके के बीच सीएम को लेकर चल रही रार से. सीएम बदला जाएगा या नहीं, ये फैसला राहुल गांधी को करना है. ये फैसला इसलिए लटका है क्योंकि शायद मन नहीं बना. बिहार में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद हिचक और बढ़ गई है. अगर डीके को सीएम नहीं बनाया तो शायद चीजें लटकी रहें. वो इंतजार करते रहें. अगर सिद्धारमैया को हटा दिया कि चीजें खराब हो सकती हैं. चुनावी मैनेजमेंट में डीके ने अपना दमखम दिखाया है लेकिन जनाधार के मामले में सिद्धारमैया डीके से बड़े नेता माने जाते हैं. आसानी से डीके के लिए सरेंडर करने का इरादा आजतक नहीं दिखाया है.
डीके आज तक नहीं भूले
2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हैरान करते हुए बीजेपी को हराया था. कांग्रेस को जिताने का जिम्मा डीके पर था. जीत के बाद डीके सिद्धारमैया आमने-सामने आए. सिद्धारमैया ने वन मैन वन पोस्ट की दलील दी. जनाधार में मजबूत सिद्धारमैया ने बाजी मारी ली. डीके पिछड़ गए. प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम पर मना लिया गया. कहा जाता है कि तब ढाई-ढाई में रोटेशनल सीएम की बात हुई थी. सिद्धारमैया को ऐसे किसी फॉर्मूले की याद भूल गए. डीके आज तक नहीं भूले कि उनका नंबर तो आकर रहेगा.










