राहुल गांधी के करीबी ने चेन्नई में क्यों की विजय से मुलाकात? तमिलनाडु कांग्रेस में 'अलायंस' पर क्यों मचा घमासान?
तमिलनाडु की राजनीति में विजय और कांग्रेस की नजदीकियों को लेकर अटकलें तेज हैं. लेकिन तमिलनाडु कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि गठबंधन डीएमके के साथ ही रहेगा. टीवीके तेजी से उभर रही है, जबकि बिहार चुनाव के नतीजों का असर यहां की राजनीति पर भी दिख रहा है.

इंटरनेट पर ऐसी बहुत सारी स्टोरीज मौजूद हैं कि 2009 के लोकसभा चुनाव के समय विजय की मुलाकात राहुल गांधी के कराई गई थी. तब राहुल गांधी से मिलकर विजय अवाक थे. सारी चीजें तय थी. राहुल गांधी तीन दिन के लिए तमिलनाडु के दौरे पर जाने वाले थे. विजय को मंच पर आना था लेकिन ऐन वक्त पर विजय ने तौबा कर ली. न कांग्रेस में आए, न राजनीति में. 15 साल बाद राजनीति में आए तो अपनी पार्टी बनाकर लेकिन अब चर्चाएं तेज चल रही हैं कि क्या राहुल-विजय के पुराने संबंधों से कांग्रेस-विजय का अलायंस तो नहीं बन जाएगा.
प्रवीण चक्रवर्ती की चेन्नई में दो बार हुई मुलाकातें
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी के करीबी और पार्टी के डेटा डिपार्टमेंट के अध्यक्ष प्रवीण चक्रवर्ती दो बार चेन्नई जाकर मिले. ये तो पता नहीं चला कि मुलाकातों से क्या निकला.
तमिलनाडु कांग्रेस नेताओं के बयान से मचा सियासी हंगामा
थलापति विजय को लेकर तमिलनाडु कांग्रेस के नेता लगातार बोल रहे हैं. कांग्रेस सांसद और राहुल के करीबी मणिक्कम टैगोर और ज्योतिमणि के बयानों ने हल्ला मचाया. मणिक्कम टैगोर ने कहा था कि इंडिया अलायंस के खिलाफ विजय मजबूत ताकत बन रहे हैं.
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SIR और डिलिमिटेशन पर विजय की लाइन का स्वागत करते हुए टैगोर ने कहा था कि कांग्रेस हर उस व्यक्ति, पार्टी का स्वागत करेगी जो बीजेपी-आरएसएस के खिलाफ लड़ रहे हैं. टैगोर ने विजय से अलायंस का खंडन भी नहीं किया था.
राहुल से फोन पर बातचीत और अलायंस की अटकलें
विजय ने बीजेपी को लेकर हार्ड लाइन ली हुई है. राहुल गांधी की कई पॉलिसियों का समर्थन किया. करूर हादसे के बाद विजय की राहुल गांधी से फोन पर बात भी हुई थी. इससे अलायंस की चर्चाएं और तेज हुईं. अब टीम राहुल की सदस्य एस ज्योति मनी ने कांग्रेस और राहुल की बॉन्डिंग का ब़ड़ा खुलासा किया. कहा कि 2010 से राहुल गांधी के साथ विजय के संबंध बने हैं. लेकिन तब न विजय न राजनीति में आए, न कांग्रेस में. विजय कांग्रेस के लिए नए नहीं हैं लेकिन सोशल मीडिया पर व्यक्ति विचारों से चुनावों में अलायंस नहीं हुआ करते.
कांग्रेस में दो ग्रुप- डीएमके के साथ या टीवीके के साथ?
करूर हादसे के समय राहुल-विजय की बातचीत में कोई राजनीति नहीं थी. कांग्रेस डीएमके के साथ अलायंस में रहेगी. तमिलनाडु कांग्रेस में दो ग्रुप एक्टिव हैं. एक ग्रुप चाहता है कि डीएमके के साथ अलायंस से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए. दूसरा ग्रुप इस पक्ष में है कि विजय के साथ अलायंस का प्रयोग किया जाना चाहिए. दूसरे ग्रुप के इंटरेस्ट को देखकर हाईकमान लेवल पर भी सिचुएशन असेसटमेंट हुआ.
तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष का बड़ा क्लैरिफिकेशन
अब तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष सेल्वापेरुन्थगई का बड़ा बयान क्लेरिफिकेशन की तरह आया है कि तमिलनाडु में कांग्रेस डीएमके के साथ अलायंस में बनी रहेगी. इंडिया गठबंधन ही विधानसभा चुनाव में उतरेगा. जिस मंच से सेल्वापेरुन्थगई ने टीवीके का साथ किसी अलायंस से इनकार किया उस मंच पर उदयनिधि स्टालिन भी मौजूद थे.
सेल्वापेरुन्थगई ने कहा कि दो महीने से अफवाहें उड़ रही थी कि अलायंस कांग्रेस-डीएमके अलायंस को लेकर क्या होगा. अलायंस हमेशा से मजबूत था और रहेगा. मैं साफ करना चाहता हूं कि आने वाले दिनों में कुछ और अनाउंसमेंट हो सकती है. टीवीके से कांग्रेस की बातचीत की उड़ती-उड़ाती खबरों के बीच कुछ दिन पहले स्टालिन ने भी राहुल गांधी से दोस्ती को याद किया और कहा कि राहुल मुझे बड़े भाई की तरह मानते हैं.
टीवीके की उम्मीदें, इंटरनल सर्वे और बिहार चुनाव का असर
कांग्रेस से अलायंस को लेकर टीवीके नेता इतना खुलकर नहीं बोल रहे. टीवीके को भरोसा है कि इंटरनल सर्वे में 26 परसेंट शेयर का अनुमान है. जबकि चुनाव होने में करीब 6 महीने का समय बचा है. बिहार चुनाव में विपक्ष की हार के बाद टीवीके नेता उम्मीद नहीं कर रहे कि कांग्रेस अलायंस के लिए आगे बढ़ेगी.
ये सारी बातें तब हो रही है जब बिहार में हार का जख्म ताजा-ताजा है. तमिलनाडु के चुनाव में करीब 6 महीने का समय है. हो सकता है उससे पहले असम, बंगाल के चुनाव हो चुके हों. य़े संभव है कि इन राज्यों के नतीजों की राजनीति से तमिलनाडु का चुनाव भी असर डाले.
करूर हादसे के बाद विजय का कैम्पेन फिर शुरू
इस बीच करूर हादसे से रूका हुआ विजय का कैंपेन दिसंबर में सलेम से शुरू होने की उम्मीद है. कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर का हाल देखकर विजय अलायंस को लेकर खुलकर तो नहीं लेकिन फ्लेसिबल हो रहे हैं. उन्होंने चुनाव बाद मिलीजुली सरकार का इशारा किया था. थलापति भी उसी रणनीति पर काम कर रहे जिस पर प्रशांत किशोर चले. अकेले चुनाव लड़े. सारी सीटों पर अड़े और खुद नहीं लड़े. कम से कम थलापति अब ये रिस्क नहीं ले सकते है कि पार्टी लड़ेगी और वो नहीं लड़ेंगे.
थलापति विजय ने जब से राजनीति में आए उन्होंने ये लाइन ली हुई है कि टीवीके अकेले चुनाव लड़ेगी. बिना किसी से अलायंस किए. विजय सीधी लड़ाई डीएमके से लड़ रहे हैं इसलिए डीएमके का तो सवाल नहीं. AIADMK ने भी विजय में इंटरेस्ट दिखाया. अन्नामलाई को छोड़कर बीजेपी ने खुलकर विजय पर हमले नहीं किए.
कांग्रेस के लिए टीवीके से गठजोड़ एक बड़ा जोखिम
हालांकि कांग्रेस के लिए ये कोई कैजुअल डिजीसन नहीं हो सकता कि वो अचानक डीएमके से अलायंस तोड़कर टीवीके से अलायंस कर ले. तमिलनाडु में दोनों पार्टियों का अलायंस न केवल पुराना है बल्कि सक्सेसफुल भी है. जबकि टीवीके के साथ जाने में 1000 परसेंट रिस्क है. न तो विजय टेस्ट हुआ, न टीवीके का.
2019 के लोकसभा चुनाव, 2021 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों में डीएमके-कांग्रेस ने शानदार और एकतरफा जीत हासिल की. जयललिता के बाद टूटी फूटी AIADMK डीएमके का मुकाबला नहीं कर पाई. बीजेपी भी इस स्थिति में नहीं है इसलिए उसने AIADMK से टूटा हुआ अलायंस फिर से जोड़ा.
2019–2024 का चुनावी डेटा
तमिलनाडु में कांग्रेस ने 100 परसेंट रिजल्ट दिया. डीएमके के छोटे भाई की हैसियत में कांग्रेस 9 सीटों पर लड़ी और करीब 11 परसेंट वोट शेयर के साथ सारी 9 सीटें जीती. हालांकि उसका वोट शेयर 2 परसेंट गिरा जबकि डीएमके की गिरावट करीब 7 परसेंट हुई. बीजेपी ने 7.5 परसेंट और AIADMK के वोटों में एक परसेंट का इजाफा हुआ.
यही 2026 के चुनावों में डीएमके-कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है. 2019 में भी कांग्रेस ने ऐसा ही रिजल्ट दिया था. 8 सीटें लड़कर 8 सीटें जीती थी. वोट शेयर 13 परसेंट तक पहुंचा जो 2024 में 2 परसेंट गिर गया.
बिहार चुनाव की गूंज, तमिलनाडु राजनीति पर असर
बिहार में जो भी जैसा भी रिजल्ट हुआ उसकी सीधी गूंज तमिलनाडु में सुनाई दे रही है. पॉलिटिकल डेब्यू करने वाले प्रशांत किशोर की हालत देखने के बाद थलापति विजय पर नजरें टिकी हैं कि उनके डेब्यू का क्या होगा. एक चर्चा रह-रहकर हो रही है कि कांग्रेस डीएमके से अलग विजय की पार्टी टीवीके के साथ अलायंस की संभावना तलाश रही है. इसके लिए जोरदार कोशिशें हुई भी लेकिन अब कुछ ऐसा हुआ उससे चीजें बदल रही हैं.










