जब इंदिरा गांधी ने पूर्व CM शिवचरण माथुर से कहा था- ये बात पत्नी को भी मत बताना

प्रमोद तिवारी

Story of Shivcharan Mathur becoming CM: राजस्थान तक (rajasthan Tak) के खास सीरीज ‘Siyasi kesse’ में आज बात होगी राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर (shiv charam mathur) की. प्रदेश में 1980 में चुनाव के बाद जगन्नाथ पहाड़ियां सीएम बने पर उस वक्त की जानी-मानी कवियित्री पर टिप्पणी उनको भारी पड़ गई. फिर एक ऐसे […]

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Story of Shivcharan Mathur becoming CM: जब इंदिरा गांधी ने पूर्व CM शिवचरण माथुर से कहा था- ये बात पत्नी को भी मत बताना
Story of Shivcharan Mathur becoming CM: जब इंदिरा गांधी ने पूर्व CM शिवचरण माथुर से कहा था- ये बात पत्नी को भी मत बताना
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Story of Shivcharan Mathur becoming CM: राजस्थान तक (rajasthan Tak) के खास सीरीज ‘Siyasi kesse’ में आज बात होगी राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर (shiv charam mathur) की. प्रदेश में 1980 में चुनाव के बाद जगन्नाथ पहाड़ियां सीएम बने पर उस वक्त की जानी-मानी कवियित्री पर टिप्पणी उनको भारी पड़ गई. फिर एक ऐसे शख्स को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली जिन्हें किसी भी विधायक का समर्थन नहीं बल्कि दिल्ली के एक चौराहे की रेड लाइट पर मिला था एक संदेश. तो क्या इस संदेश में ही एक विधायक से सीएम की कुर्सी तक का फार्मूला था?

जब राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए सियासी गणित, शक्ति प्रदर्शन, सियासी पैंतरे और दांव-पेंच का चलन था तब 3 बार के विधायक शिवचरण माथुर ने 14 जुलाई 1981 को मुख्यमंत्री शपथ ली. खुद पूर्व सीएम माथुर ने निधन से पहले यह पूरा किस्सा राजस्थान तक के प्रमोद तिवारी से साझा किया था.

जब दिल्ली स्थित राजस्थान हाउस में फोन बजा

किस्सा शुरू होता है 11 जुलाई 1981 की दोपहर से. पृथ्वीराज रोड स्थित पुराने राजस्थान हाउस के भवन में शिवचरण माथुर, हीरालाल देवपुरा जैसे तमाम नेताओं के साथ मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया को हटवाने के लिए दिल्ली डेरा डाले हुए थे. तभी राजस्थान हाउस के रिसेप्शन पर लगे टेलीफोन की घंटी बजी. इधर से आवाज आई… शिवचरण माथुर से बात करनी है. माथुर को बुलाया गया. उन्होंने फोन उठाया. उधर से आवाज आई…डॉ. केपी माथुर बोल रहा हूं. दरअसल ये तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी के फिजिशियन थे. उन्होंने माथुर को तुरंत जयपुर रवाना होने को कहा.

माथुर से माथुर ने कहा- तीसरी रेड लाइट पर रुकिए

शिवचरण माथुर से डॉ. केपी माथुर ने फोन पर कहा- पृथ्वीराज रोड पर दूसरी रेडलाइट छोड़कर तीसरी पर रुकिएगा और साइड में इंतजार करिएगा. वहीं आपके लिए एक जरूरी संदेश पहुंच रहा है. शिवचरण माथुर ने ऐसा ही किया. इधर केपी माथुर खुद पहुंचे और शिवचरण माथुर को इंदिरा गांधी के नाम एक संदेश दिया.

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संदेश था- पत्नी से भी मत बताइएगा

दरअसल इंदिरा गांधी के संदेश में माथुर को तुरंत जयपुर पहुंचने के लिए कहा गया. उन्हें बताया गया- 3 दिन बाद आप राजस्थान के मुख्यमंत्री बनाए जाने वाले हैं. जगन्नाथ पहाड़िया मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे, फिर दूसरे दिन ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी से ऑब्जर्वर आएंगे और वह आपके नाम की प्रदेश कांग्रेस कमेटी में घोषणा करेंगे. आपको बिना समय गवाएं उसी दिन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी है. यह ध्यान रहे कि यह संदेश आप अपनी पत्नी से भी साझा नहीं करेंगे, नहीं तो यह निर्णय बदल भी सकता है.

सामान पैक कर जयपुर निकले माथुर

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का डॉ. माथुर की ओर से दिया गया संदेश पाकर शिवचरण माथुर जयपुर आ गए. 3 दिन तक इतने महत्वपूर्ण संदेश को अपनी पत्नी से भी छिपा कर रखा. जैसा डॉ. माथुर ने बताया था वैसा ही हुआ. 12 जुलाई को जगन्नाथ पहाड़िया ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और 14 जुलाई को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में आए ऑब्जर्वर ने माथुर के नाम का सीएम के लिए ऐलान किया. शाम 4 बजे उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली.

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मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने वाले जगन्नाथ पहाड़िया भी जोर लगा रहे थे. वह चाहते थे कि भीलवाड़ा के तत्कालीन सांसद और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके गिरधारीलाल व्यास को 70 से अधिक कांग्रेस विधायकों के साथ के चलते मुख्यमंत्री बना दिया जाए. शिवचरण माथुर के मुख्यमंत्री बनने के बाद गिरधारी लाल व्यास ने 20 सूत्री कार्यक्रम की तर्ज पर पूरे राजस्थान में माथुर हटाओ के नाम पर एक सूत्री कार्यक्रम भी चलाया था. बाद में 1988 में माथुर के मुख्यमंत्री के दूसरे कार्यकाल में गिरधारीलाल व्यास और शिवचरण माथुर में सुलह भी हो गई थी.

नगरपालिका चेयरमैन से CM तक का सफर

शिवचरण माथुर का सियासी सफर भीलवाड़ा नगर पालिका के चेयरमैन से शुरू हुआ था. बाद में भीलवाड़ा जिला परिषद के प्रमुख बनाए गए. साल 1964 में लोकसभा के उपचुनाव में सांसद बने और 1967 में जिले की मांडल विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने के साथ ही सुखाड़िया मंत्रिमंडल में शामिल हो गए. इसके बाद वे मांडल के पंचायत समिति प्रधान अपने मित्र विजय सिंह के खातिर मांडल छोड़कर मांडलगढ़ चले गए और वहीं के होकर रह गए. 1971 से लेकर साल 2003 तक माथुर ने 7 चुनाव लड़ा. साल 1977 के अलावा उन्होंने 6 बार चुनाव जीते. राजस्थान के प्रमुख स्वाधीनता सेनानी और आजादी के बाद संयुक्त राजस्थान के प्रथम प्रधानमंत्री माणिक्यलाल वर्मा के दामाद होने का भी फायदा शिवचरण माथुर को मिला. 1 जनवरी 1945 को वर्मा की बेटी सुशीला माथुर के साथ उनका विवाह हुआ.

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