लोको पायलट पति को नहीं मिली छुट्टी, पत्नी खुद पहुंची रेलवे स्टेशन, यूं खोला करवाचौथ का व्रत
कानपुर की माया देवी ने लोको पायलट पति महेश चंद्र को छुट्टी न मिलने पर खुद गाड़ी चलाकर कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर करवा चौथ मनाया. उन्होंने प्लेटफॉर्म पर ही पूरी श्रद्धा से पति की पूजा की और व्रत खोला.

कानपुर. करवा चौथ के दिन हर पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरी आस्था से व्रत रखती हैं, लेकिन कानपुर की एक पत्नी ने जिस तरह से यह व्रत पूरा किया, वह कर्तव्य और प्रेम की एक अनूठी मिसाल है. लोको पायलट पति को छुट्टी न मिलने पर पत्नी खुद गाड़ी चलाकर स्टेशन पहुंची और वहीं उनकी पूजा कर अपना व्रत खोला.
ड्यूटी पर पति, स्टेशन पर पत्नी
यह भावुक कर देने वाला वाकया कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर हुआ. लोको पायलट महेश चंद्र को करवा चौथ पर छुट्टी नहीं मिल पाई, क्योंकि इससे दो महीने पहले वह बीमार थे और काफी छुट्टियां ले चुके थे. ऐसे में लोको पायलटों की कमी के कारण उनकी छुट्टी मंजूर नहीं हुई.
पति के कर्तव्य को समझते हुए उनकी पत्नी माया देवी ने एक शानदार फैसला लिया. उन्होंने दिन भर व्रत रखा और शाम को पूरा सोलह श्रृंगार करके, पूजा की थाल सजाकर, खुद गाड़ी चलाकर अपने छोटे बेटे के साथ कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंच गईं.
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प्लेटफॉर्म पर दिखी प्रेम की अनूठी तस्वीर
प्लेटफॉर्म पर जब माया देवी पूजा की थाल लेकर पहुंचीं तो वहां मौजूद सैकड़ों यात्री उन्हें देखते ही रह गए. उनके पति महेश चंद्र अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे थे. पत्नी माया देवी ने स्टेशन पर रखे लोको पायलट के बक्सों के पास अपनी पूजा की थाल सजाई. सामने स्टेशन का साइन बोर्ड दिख रहा था और वहीं से चांद भी दिखाई दे रहा था.
माया देवी ने पहले पूरे रीति-रिवाज से चांद की पूजा की. इसके बाद उन्होंने पति महेश चंद्र की आरती उतारी और उन्हें तिलक लगाकर आशीर्वाद लिया. इसके बाद उन्होंने पति के हाथों पानी पीकर अपना व्रत पूरा किया.
कर्तव्य का रखा पूरा ध्यान
माया देवी के इस अनूठे करवा चौथ ने सभी को हैरान कर दिया. उन्होंने अपनी परंपरा भी निभाई और साथ ही पति की सरकारी ड्यूटी और जिम्मेदारी का भी पूरा ध्यान रखा.
माया देवी ने बताया कि "जब पति को छुट्टी नहीं मिली, तो मैंने सोचा कि चलो, वे स्टेशन पर ही होंगे, वहीं जाकर उनकी पूजा कर लेंगे. इससे उनकी जिम्मेदारी भी पूरी हो जाएगी और मेरा व्रत भी पूरा हो जाएगा. पति की पूजा करनी है और व्रत निभाना है, तो कहीं भी पूजा कर सकते हैं. आखिर उनकी भी तो अपनी जिम्मेदारी थी."