Mokama Violence: दुलारचंद यादव की हत्या के बाद मोकामा विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार को लेकर आया बड़ा फैसला 

Mokama Violence: मोकामा में जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के बाद प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. अब उम्मीदवारों को मजिस्ट्रेट और पुलिस की निगरानी में चुनाव प्रचार करना होगा. सुरक्षा बढ़ाई गई है और हर प्रचार गतिविधि की वीडियोग्राफी होगी.

Mokama Violence
एसडीपीओ राजेश कुमार
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Mokama Violence: बाहुबलियों का गढ़ कहे जाने वाले मोकामा में जन सुराज के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के बाद इलाके में तनातनी का माहौल है. इसी बीच मोकामा में चुनाव से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. पुलिस प्रशासन ने एक बयान जारी कर जानकारी दी है कि अब मोकामा में उम्मीदवारों को मजिस्ट्रेट और पुलिस की निगरानी में चुनाव प्रचार करना होगा. साथ ही प्रचार की जानकारी प्रशासन को भी देनी पड़ेगी. दुलारचंद यादव के हत्या के बाद पुलिस प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड में है और इलाके में शांति बहाल करने की कोशिश कर रही हैं. 

चुनाव प्रचार की वीडियोग्राफी भी होगी

6 नवंबर को पहले फेज की वोटिंग से पहले इलाके में तनाव के माहौल को देखते हुए प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. प्रशासन की निगरानी में चुनाव प्रचार के साथ ही उसकी वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी. इसे लेकर एसडीपीओ राजेश कुमार ने कहा कि, इसका उद्देश्य यह है कि कैंडिडेट्स जो भी मूवमेंट कर रहे हैं तो इसकी जानकारी पहले से हो ताकि रास्ते में या कहीं भी कोई घटना-दुर्घटना नहीं हो सकें.

एसडीपीओ ने आगे कहा कि, पुलिस बल, वीडियोग्राफर और मैजिस्ट्रेट के साथ तैनाती करने का आदेश निकला है ताकि चुनाव प्रचार बिल्कुल ही शांतिपूर्ण ढंग से हो और भयमुक्त वातावरण में चुनाव का कार्य संपन्न कराया जा सके. 

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एक्टिव मोड में प्रशासन

आपको बता दें कि बीते कल दुलारचंद यादव की शव यात्रा के दौरान बाढ़ के पंडारक में एक बार फिर बवाल हो गया था. दरअसल जब दुलारचंद की शवयात्रा बाढ़ अनुमंडल अस्पताल की ओर जा रही थी तभी अचानक से ईंट-पत्थर चले और एक युवक को चोट भी आई. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई कर रही है और कई आरोपियों की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है.

30 अक्टूबर को हुई थी दुलारचंद यादव की मौत

30 अक्टूबर यानी बीते गुरुवार को एनडीए उम्मीदवार अनंत सिंह और जनसुराज के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के चुनाव प्रचार का काफिला आमने-सामने हुआ था. इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई और दुलारचंद यादव की मौत हो गई थी. दुलारचंद यादव इस चुनाव में जन सुराज का समर्थन दे रहे थे. दुलारचंद यादव का भी अपना आपराधिक इतिहास रहा है और वे लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे हैं.

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