शिल्पी-गौतम केस में पत्रकार ज्ञानेश्वर ने बताई अलग कहानी, सम्राट चौधरी पर प्रशांत किशोर के आरोपों को किया खारिज

Shilpi-Gautam Case: पत्रकार ज्ञानेश्वर वात्सायन ने सम्राट चौधरी पर प्रशांत किशोर के आरोपों को खारिज किया. बताया असली राकेश कुमार कौन था और क्या कहती है CBI रिपोर्ट.

Samrat Chaudhary vs Prashant Kishor Controversy
प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी पर लगाए आरोप.
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बिहार से चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने राजनीतिक पारा को हाई कर दिया है. 29 सितंबर को प्रशांत किशोर ने एक प्रेस कॉन्प्रेंस कर शिल्पी-गौतम केस में सम्राट चौधरी को संदिग्ध अभियुक्त बताया. अब बिहार के वरिष्ठ पत्रकार और लंबे समय तक क्राइम रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार ज्ञानेश्वर वात्सायन ने प्रशांत किशोर के आरोपों को खारिज करते हुए इस मामले में अलग ही कहानी बता दी. बिहार तक से बातचीत में उन्होंने इस केस के अहम मुद्दे पर अपनी बात रखीं. आइए विस्तार से जानते है पूरी कहानी.

पत्रकार ज्ञानेश्वर ने बताई पूरी कहानी

पत्रकार ज्ञानेश्वर ने बताया कि जब 1999 में यह मामला हुआ तब वे क्राइम रिपोर्टिंग करते थे और यह मामला जघन्य था. लेकिन जब प्रशांत किशोर ने अपने प्रेस कॉन्प्रेंस में यह मामला उठाया कि सम्राट चौधरी ही शिल्पी-गौतम हत्याकांड में राकेश कुमार है और उनका ब्लड सैंपल भी लिया गया तो उन्होंने इसकी पुष्टि करने के लिए अपनी लाल डायरी के पन्ने खोले और 2003 में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को भी पढ़ा. ज्ञानेश्वर ने कहा कि उन्होंने अपना फर्ज समझते हुए सारी सच्चाई सामने रखी.

क्या सम्राट चौधरी ही राकेश कुमार है?

ज्ञानेश्वर वात्सायन ने बताया कि प्रशांत किशोर जो आरोप सम्राट चौधरी पर लगा रहे हैं, वो गलत है. जिस राकेश की चर्चा हो रही है वह सम्राट चौधरी नहीं है. उस व्यक्ति का नाम राकेश कुमार मस्करा था जो एक आइसक्रीम फैक्ट्री के मालिक आज भी है और वो गौतम के मित्र थे.

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ज्ञानेश्वर ने यह भी कहा कि मैंने इसलिए इन बातों को उजागर किया क्योंकि बहुत से लोगों के पास पुराने दस्तावेज संग्रह नहीं होते है और बिहार में ऐसे पत्रकारों की भी बहुत कमी है. उन्होंने यह भी कि भाजपा वाले क्लोजर रिपोर्ट कहां-कहां ढूंढते और इस मामले में भाजपा वाले सफाई देते-देते परेशान हो जाते.

थंबनेल को लेकर हुए विवाद पर क्या बोले पत्रकार?

ज्ञानेश्वर ने आगे बताया कि जब उन्होंने अगले दिन अपने लाल डायरी के पन्ने पलटे तो उसमें और कई सारे तथ्य लिखे थे जैसे किन-किन के ब्लड सैंपल लिए गए थे. आगे उन्होंने कहा कि आपको जानकर हैरानी होगी की इस कांड में शिल्पी के चाचा का भी ब्लड सैंपल लिया गया था, हालांकि वह मैच नहीं हुआ था. उन्होंने थंबनेल को लेकर हो रहे ट्रोलिंग और विवाद पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब आप क्राइम रिपोर्टिंग करते हैं तो आप भावनाओं में नहीं बह सकते.  जो परिस्थिति जन्य साक्ष्य हैं, जो सबूत है, जो संदेह के सब कारण है, उसकी विवेचना आपको करनी होती है, लेकिन इस मामले में कोई विवेचना नहीं की जा सकती क्योंकि सीबीआई ने 2003 में क्लोज रिपोर्ट लगा दी.

आगे उन्होंने थंबनेल टेक्स्ट को लेकर कहा कि, यह एक मानक है कि जब आप पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जब आप मेडिकल रिपोर्ट को कोट कर रहे हैं तो उसमें तथ्यों को तोड़ मरोड़ नहीं सकते. इसलिए उन्होंने वीडियो के थंबनेल में वहीं शब्द लिखें जो कि रिपोर्ट में इस्तेमाल हुए थे.

यहां देखें वीडियो

यहां पढ़ें शिल्पी-गौतम केस की पूरी कहानी:

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