सैलरी बढ़ेगी, नुकसान भी होगा! 8वें वेतन आयोग में HRA एरियर क्यों बना चिंता?

8वें वेतन आयोग में देरी तय मानी जा रही है, जिससे कर्मचारियों को भले ही एरियर मिले, लेकिन HRA एरियर में शामिल न होने से लाखों रुपये का नुकसान हो सकता है. देरी 24–36 महीने तक हुई तो हर कर्मचारी को 4 से 6.5 लाख रुपये तक की सीधी आर्थिक चोट लगने की आशंका है.

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केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए आठवें वेतन आयोग को लेकर चिंता लगातार बढ़ती जा रही है. वजह साफ है, वेतन आयोग बनने और लागू होने में हो रही भारी देरी. इस देरी का सबसे बड़ा असर एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) पर पड़ता दिख रहा है जो एरियर में शामिल नहीं किया जाता. यही वजह है कि लाखों कर्मचारियों को लाखों रुपये के नुकसान की आशंका सता रही है.

हर वेतन आयोग की होती है एक्सपायरी डेट

हर वेतन आयोग एक तय अवधि के लिए बनाया जाता है ताकि उसकी सिफारिशों के हिसाब से कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन समय पर लागू हो सके. सातवें वेतन आयोग का समय 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रही है. इसके बाद 1 जनवरी 2026 से आठवें वेतन आयोग का सर्कल शुरू होना चाहिए.

लेकिन समस्या ये है कि जब नया सर्कल शुरू हो रहा है तब तक वेतन आयोग का गठन और उसकी सिफारिशें पूरी तरह तैयार ही नहीं होंगी. सरकार ने जिस आयोग का गठन किया है, उसे 18 महीने सिफारिशें तैयार करने के लिए दिए गए हैं. इसके बाद सरकार को रिपोर्ट स्वीकार करने और लागू करने में कम से कम 6 महीने और लगेंगे. यानि कुल मिलाकर 24 महीने की देरी लगभग तय मानी जा रही है.

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पहले भी मिल चुका है एरियर

  • 7वां वेतन आयोग जून 2016 में लागू हुआ, लेकिन एरियर 1 जनवरी 2016 से दिया गया.
  • 6वां वेतन आयोग अगस्त 2008 में लागू हुआ और एरियर 1 जनवरी 2006 से मिला. 

उस समय एरियर की अवधि कम थी इसलिए नुकसान सीमित रहा, लेकिन इस बार एरियर पीरियड 24 से 36 महीने तक का हो सकता है जो कर्मचारियों के लिए बड़ी चिंता है.

सरकार के बयानों में भी विरोधाभास

जनवरी में सरकार ने वेतन आयोग बनाने की बात कही, लेकिन असल गठन नवंबर में जाकर हुआ. यानी 10-11 महीने की देरी पहले ही हो चुकी है.

कैबिनेट ब्रीफिंग में मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि आठवां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होगा, लेकिन संसद में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इस तारीख को दोहराने से बचते हुए कहा कि 'जब रिपोर्ट आएगी, तब देखा जाएगा.'

एरियर मिलेगा लेकिन पूरा नहीं

करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 69 लाख पेंशनर्स इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि देर-सवेर एरियर 1 जनवरी 2026 से जरूर मिलेगा. लेकिन डर ये है कि पुराने सिस्टम के तहत एरियर मिला, तो सबसे बड़ा नुकसान HRA में होगा.

वेतन आयोग का एरियर आमतौर पर बेसिक सैलरी पर मिलता है. डीए (जो अभी 58% है) रीसेट होकर जीरो हो जाएगा और बेसिक में मर्ज हो जाएगा इससे कर्मचारियों को बहुत मलाल नहीं है. असल चोट पड़ती है एचआरए पर, क्योंकि एचआरए एरियर में शामिल नहीं किया जाता. पहले भी ऐसा हो चुका है.

सैलरी कैसे 2 लाख के करीब पहुंच सकती है?

मान लीजिए:

  • बेसिक सैलरी: ₹76,500
  • डीए (58%): ₹44,370
  • HRA (30%): ₹22,950
  • कुल सैलरी बनती है: ₹1,43,820

अगर नए वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2 हुआ

  • नई बेसिक सैलरी करीब ₹1,53,000
  • पुराना डीए बेसिक में मर्ज
  • नया HRA (लगभग): ₹41,310

तो कुल सैलरी हो सकती है 1,94,310 रुपये. यानि 76 हजार बेसिक वालों की सैलरी लगभग 2 लाख रुपये तक पहुंच सकती है.

देरी से कितना होगा नुकसान?

समस्या ये है कि एरियर में HRA नहीं मिलेगा. इस उदाहरण में हर महीने करीब 18,000 रुपये का HRA एरियर से गायब हो सकता है. अगर देरी 24 महीने की हुई तो नुकसान करीब 4.32 लाख को होगा. वहीं अगर देरी 36 महीने की हुई तो नुकसान करीब 6.5 लाख का होगा. 

HRA शहर के हिसाब से बेसिक का 30%, 40% या 50% होता है. इतने बड़े एरियर पीरियड का HRA न मिलना कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका होगा.

कर्मचारी संगठनों की मांग

कर्मचारी संघ लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि वेतन आयोग के एरियर में HRA भी शामिल किया जाए. मनजीत पटेल समेत कई कर्मचारी नेता साफ कह चुके हैं कि अगर HRA एरियर नहीं मिला तो यह सीधे-सीधे कर्मचारियों का नुकसान और सरकार की बड़ी बचत होगी.

आठवें वेतन आयोग से सैलरी में बड़ा उछाल तय माना जा रहा है लेकिन देरी की कीमत कर्मचारियों को अपनी जेब से चुकानी पड़ सकती है. अगर सरकार ने समय रहते HRA एरियर पर फैसला नहीं लिया तो लाखों कर्मचारियों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है. 

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